बीकानेर. जिला मुख्यालय के कलेक्ट्रेट सभागार में मंगलवार को कलेक्टर कुमार पाल गौतम और पुलिस अधीक्षक प्रदीप मोहन शर्मा ने जिले के सभी धर्म गुरुओं के साथ बैठक की. बैठक में धर्म गुरुओं ने कहा कि, कोरोना चुनौती का सामना करने के लिए सभी धार्मिक संस्थाएं सरकार के साथ खड़ी है. अब तक सरकार की ओर से लिए गए निर्णय को पूर्ण समर्थन दिया गया है. यदि अब 30 जून के बाद धार्मिक स्थल खुलते हैं तो सरकार के तय नियमों की पालना होगी.
बैठक में जिला कलेक्टर ने कहा कि, यदि 30 जून के बाद धार्मिक स्थल खोलते हैं तो, वहां दर्शनार्थियों को समझाने के लिए सभी पूजा स्थलों पर बोर्ड लगाया जाए. जिसमें यह लिखा हो कि, दर्शनार्थी मास्क का उपयोग करें, हाथों के लिए सैनिटाइजर का प्रयोग करें, सोशल डिस्टेंसिंग रखेंगे और किसी भी स्थिति में धार्मिक स्थल परिसर में गंदगी नहीं फैलाएं.
बैठक में पुलिस अधीक्षक प्रदीप मोहन शर्मा ने कहा कि, सभी धर्म स्थल खुले, इसमें आप सभी का सकारात्मक सहयोग सबसे अहम बात है. अगर आप दर्शनार्थियों को समझाइश करेंगे तो कोविड-19 की एडवाइजरी की पालना और बेहतर होगी. साथ ही कहा कि, सरकार के आदेश और निर्देशों की पालना तो होती ही है, मगर धर्म गुरुओं की अपील का अपना प्रभाव रखता है. ऐसे में धर्म गुरु भी आस्था केन्द्रों में आने वालों को यह बताएं कि सोशल डिस्टेंसिंग रखनी है. धार्मिक स्थल खोलने का निर्णय तो राज्य सरकार स्तर पर होगा, परन्तु एडवाइजरी के मुताबिक ही उसकी पालना सुनिश्चित करना आपका और हमारा सब का नैतिक दायित्व रहेगा.
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कोरोना संक्रमित मरीज की मौत को लेकर ज्ञापन
पीबीएम अस्पताल में हुई कोरोना संक्रमित मरीज की मौत का मामला गरमा गया है. इस मामले को लेकर मंगलवार को वार्ड 17 की पार्षद चेतना चौधरी के नेतृत्व में एक प्रतिनिधिमंडल ने जिला कलेक्टर को मुख्यमंत्री के नाम का ज्ञापन दिया. जिसमें जांच कर दोषी के खिलाफ कार्रवाई की मांग की गई है.
पार्षद चेतना चौधरी ने अस्पताल प्रशासन के रवैए को लेकर रोष जताते हुए कहा कि, पीबीएम सुपर स्पेशलियटी अस्पताल के कोविड 19 वार्ड में एक कोरोना संक्रमित सोमवार को शौचालय में तड़पता रहा, उसकी चौदह साल की बेटी गिड़गिड़ाती रही. लेकिन अस्पताल में मौजूद डाक्टर हिले तक नहीं. जब मामला जिला कलेक्टर तक पहुंचा तो उनके दखल के बाद डाक्टर मरीज की सुध लेने पहुंचे. लेकिन तब तक मरीज का दम निकल चुका था.
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ज्ञापन में इस मामले में लापरवाही बरतने वाले कर्मचारियों के खिलाफ न्यायिक जांच करवाने और मृतक परिवार को राज्य सरकार के नियमों के तहत सहायता कोष से मुआवजा देने की मांग की गई हैं. साथ ही कहा गया है कि, पीबीएम अस्पताल के डाक्टरों को पाबंद किया जाए. जिससे की ऐसी घटना दोबारा न हो.