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बीकानेर के विकास ने किया गौरवान्वित...वर्ल्ड पैरा एथलेटिक्स चैंपियनशिप में करेगा भारत का प्रतिनिधित्व

कहते हैं कि दिल में कुछ कर गुजरने की तमन्ना हो और कुछ पाने का जुनून हो तो मुश्किल काम भी आसान हो जाता है.जन्म से ही एक हाथ से दिव्यांग बीकानेर के एक किशोर विकास ने भी कुछ ऐसा कर दिखाया है कि सामान्य बच्चे भी इनकी प्रतिभा का लोहा मानने लग गए हैं

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Published : Jul 27, 2019, 11:10 AM IST

बीकानेर के विकास ने किया जिले का नाम रौशन, वर्ल्ड पैरा एथलेटिक्स चैंपियनशिप में हुआ चयनित

बीकानेर.जिले के रहने वाले विकास के जज्बे को हर कोई सलाम कर रहा है और करे भी क्यों ना,आखिर विकास ने किया भी तो कुछ ऐसा है जिससे सबको उसपर फर्ख है.वो कहते हैं न कि पंखों से नहीं हौसलों से उड़ान होती है और दिल में अगर कुछ कर गुजरने का जुनून हो तो व्यक्ति हर मुश्किल से पार पा लेता है.

बीकानेर के विकास ने किया जिले का नाम रौशन, वर्ल्ड पैरा एथलेटिक्स चैंपियनशिप में हुआ चयनित


जी हां, बीकानेर के 14 साल के विकास भाटीवाल का 1 अगस्त से 4 अगस्त तक यूरोप के स्विजरलैंड में होने वाले वर्ल्ड पैरा एथलेटिक्स चैंपियनशिप में चयन हुआ है.खास बात यह है कि पैरा एथलेटिक्स में चयनित होने वाले विकास,जन्म से ही एक हाथ से दिव्यांग है.वैसे तो पैरा ओलंपिक में राजस्थान के देवेंद्र झाझरिया जगसीर जैसे युवाओं ने मिसाल कायम की है और ये कहना गलत नहीं होगा कि अब विकास भी इसी राह पर चलने के लिए तैयार हैं.


एक हाथ नहीं होनें की वजह से बचपन में अपने दोस्तों के बीच उपहास का केंद्र बने विकास के मन में शुरू से ही कुछ ऐसा कर दिखाने का जुनून था जिससे उसे लोग सम्मान से देखें और उसके एक हाथ की कमी उसकी सफलता में आड़े न आए.नवोदय विद्यालय में पढ़ाई के दौरान अपने दोस्तों को डिस्कस थ्रो खेलते देख विकास के मन में भी इच्छा हुई इस खेल को वह खेल सकता है और बस यहीं से शुरू हो गई उसकी सफलता,जुनून और जीत की कहानी.


पैरा एथलेटिक्स चैंपियनशिप में भाग लेने के लिए स्विजरलैंड रवाना होने से पहले ईटीवी भारत से एक्सक्लयूसिव बातचीत में विकास ने कहा कि,'जब वह दोस्तों को देखता था तो उसके मन में यह इच्छा हुई कि इस डिस्कस थ्रो गेम को वह खेल सकता है और उसके बाद उसने इसको धीरे-धीरे खेलना शुरू किया.कई प्रतियोगिताओं में विजेता रहने के बाद उसका मन था कि देश के लिए भी कुछ मेडल लेकर आए'.पैरा एथलीट के लिए बेंगलुरु के साई सेंटर में हुए ट्रायल में विकास ने अब तक के विश्र्व रेकॉर्ड को तोड़ा है.विकास कहते हैं कि ट्रायल में विश्व रेकॉर्ड टूटने के बाद उसकी इच्छा है कि वह स्विजरलैंड में गोल्ड पर निशाना लगाएं और देश के लिए गोल्ड लेकर आए.


बता दें कि,14 साल का विकास पैरा एथलेटिक्स की जूनियर चैंपियनशिप में भाग लेने के लिए स्विजरलैंड रवाना हुआ है.विकास कहता है कि वह इस खेल को अपने जीवन का हिस्सा बनाना चाहता है और इस खेल के साथ जुड़कर देश के लिए ढेरों मेडल लाना उसकी इच्छा है.विकास के खेल की भावना को देखकर उसे प्रेरित करने वाले उसके रिश्तेदार और महाराजा गंगासिंह विश्वविद्यालय के पूर्व खेल निदेशक डॉ शंकरलाल प्रजापत कहते हैं कि कई खिलाड़ियों को मैंने सलाह दी है और उनको प्रोत्साहित किया है और खेलो इंडिया की भावना विकसित करने के लिए हमें खिलाड़ियों को प्रोत्साहित करना होगा.


उन्होंने ये भी कहा कि विकास जन्म से ही एक हाथ के चलते शारीरिक अक्षमता का दंश झेल रहा है लेकिन इसकी खेल के प्रति लगन ने इस बात को झुठला दिया कि शारीरिक अक्षमता व्यक्ति के विकास में आड़े आती है.विकास को खेलते देख और खेल के प्रति उसके लगन को देखकर मैंने इसे प्रोत्साहित किया और आज यह देश के लिए मेडल लाने वाली पंक्ति में शुमार हो गया है.मुझे उम्मीद है कि विकास स्विजरलैंड में होने वाली प्रतियोगिता में अच्छा प्रदर्शन करेगा और देश के लिए मेडल लेकर आएगा.विकास के साथ ही राजस्थान से दो अन्य खिलाड़ियों का भी इस प्रतियोगिता के लिए चयन हुआ है और ये तीनों खिलाड़ी स्विजरलैंड में भारत का प्रतिनिधित्व करेंगे.

बीकानेर.जिले के रहने वाले विकास के जज्बे को हर कोई सलाम कर रहा है और करे भी क्यों ना,आखिर विकास ने किया भी तो कुछ ऐसा है जिससे सबको उसपर फर्ख है.वो कहते हैं न कि पंखों से नहीं हौसलों से उड़ान होती है और दिल में अगर कुछ कर गुजरने का जुनून हो तो व्यक्ति हर मुश्किल से पार पा लेता है.

बीकानेर के विकास ने किया जिले का नाम रौशन, वर्ल्ड पैरा एथलेटिक्स चैंपियनशिप में हुआ चयनित


जी हां, बीकानेर के 14 साल के विकास भाटीवाल का 1 अगस्त से 4 अगस्त तक यूरोप के स्विजरलैंड में होने वाले वर्ल्ड पैरा एथलेटिक्स चैंपियनशिप में चयन हुआ है.खास बात यह है कि पैरा एथलेटिक्स में चयनित होने वाले विकास,जन्म से ही एक हाथ से दिव्यांग है.वैसे तो पैरा ओलंपिक में राजस्थान के देवेंद्र झाझरिया जगसीर जैसे युवाओं ने मिसाल कायम की है और ये कहना गलत नहीं होगा कि अब विकास भी इसी राह पर चलने के लिए तैयार हैं.


एक हाथ नहीं होनें की वजह से बचपन में अपने दोस्तों के बीच उपहास का केंद्र बने विकास के मन में शुरू से ही कुछ ऐसा कर दिखाने का जुनून था जिससे उसे लोग सम्मान से देखें और उसके एक हाथ की कमी उसकी सफलता में आड़े न आए.नवोदय विद्यालय में पढ़ाई के दौरान अपने दोस्तों को डिस्कस थ्रो खेलते देख विकास के मन में भी इच्छा हुई इस खेल को वह खेल सकता है और बस यहीं से शुरू हो गई उसकी सफलता,जुनून और जीत की कहानी.


पैरा एथलेटिक्स चैंपियनशिप में भाग लेने के लिए स्विजरलैंड रवाना होने से पहले ईटीवी भारत से एक्सक्लयूसिव बातचीत में विकास ने कहा कि,'जब वह दोस्तों को देखता था तो उसके मन में यह इच्छा हुई कि इस डिस्कस थ्रो गेम को वह खेल सकता है और उसके बाद उसने इसको धीरे-धीरे खेलना शुरू किया.कई प्रतियोगिताओं में विजेता रहने के बाद उसका मन था कि देश के लिए भी कुछ मेडल लेकर आए'.पैरा एथलीट के लिए बेंगलुरु के साई सेंटर में हुए ट्रायल में विकास ने अब तक के विश्र्व रेकॉर्ड को तोड़ा है.विकास कहते हैं कि ट्रायल में विश्व रेकॉर्ड टूटने के बाद उसकी इच्छा है कि वह स्विजरलैंड में गोल्ड पर निशाना लगाएं और देश के लिए गोल्ड लेकर आए.


बता दें कि,14 साल का विकास पैरा एथलेटिक्स की जूनियर चैंपियनशिप में भाग लेने के लिए स्विजरलैंड रवाना हुआ है.विकास कहता है कि वह इस खेल को अपने जीवन का हिस्सा बनाना चाहता है और इस खेल के साथ जुड़कर देश के लिए ढेरों मेडल लाना उसकी इच्छा है.विकास के खेल की भावना को देखकर उसे प्रेरित करने वाले उसके रिश्तेदार और महाराजा गंगासिंह विश्वविद्यालय के पूर्व खेल निदेशक डॉ शंकरलाल प्रजापत कहते हैं कि कई खिलाड़ियों को मैंने सलाह दी है और उनको प्रोत्साहित किया है और खेलो इंडिया की भावना विकसित करने के लिए हमें खिलाड़ियों को प्रोत्साहित करना होगा.


उन्होंने ये भी कहा कि विकास जन्म से ही एक हाथ के चलते शारीरिक अक्षमता का दंश झेल रहा है लेकिन इसकी खेल के प्रति लगन ने इस बात को झुठला दिया कि शारीरिक अक्षमता व्यक्ति के विकास में आड़े आती है.विकास को खेलते देख और खेल के प्रति उसके लगन को देखकर मैंने इसे प्रोत्साहित किया और आज यह देश के लिए मेडल लाने वाली पंक्ति में शुमार हो गया है.मुझे उम्मीद है कि विकास स्विजरलैंड में होने वाली प्रतियोगिता में अच्छा प्रदर्शन करेगा और देश के लिए मेडल लेकर आएगा.विकास के साथ ही राजस्थान से दो अन्य खिलाड़ियों का भी इस प्रतियोगिता के लिए चयन हुआ है और ये तीनों खिलाड़ी स्विजरलैंड में भारत का प्रतिनिधित्व करेंगे.

Intro:कहते हैं कि दिल में कुछ कर गुजरने की तमन्ना हो और कुछ पाने का जुनून हो तो बड़ा मुश्किल काम भी आसान हो जाता है जन्म से ही एक हाथ से दिव्यांग बीकानेर के एक किशोर विकास ने भी कुछ ऐसा किया कि सामान्य बच्चे भी इसकी प्रतिभा का लोहा मानने लग गए हैं।


Body:बीकानेर। किसी ने सच ही कहा है कि पंखों से नहीं हौसलों से उड़ान होती है दिल में अगर कुछ कर गुजरने का जुनून हो तो व्यक्ति हर मुश्किल से पार पा लेता है। 1 अगस्त से 4 अगस्त तक यूरोप के स्विजरलैंड में होने वाली वर्ल्ड पैरा एथलेटिक्स चैंपियनशिप में बीकानेर के 14 साल के विकास भाटीवाल का भी चयन हुआ है खास बात यह है कि पैरा एथलेटिक्स में में चयनित होने वाले विकास जन्म से ही एक हाथ से दिव्यांग है। वैसे तो पैरा ओलंपिक में राजस्थान के देवेंद्र झाझरिया जगसीर जैसे युवाओं ने मिसाल कायम की है और इसी राह पर अब भी करने का विकास भी चलने के लिए तैयार है। एक हाथ नहीं होने की वजह से बचपन में अपने दोस्तों के बीच उपहास का केंद्र बने विकास के मन में शुरू से ही इस बात का जुनून था कि कुछ ऐसा किया जाए जिससे लोग उसे सम्मान से देखें और उसके एक हाथ की कमी उसकी सफलता में आड़े नहीं आए। नवोदय विद्यालय में पढ़ाई के दौरान अपने दोस्तों को डिस्कस थ्रो खेलते देखने के दौरान विकास के मन में भी इच्छा हुई इस खेल को वह खेल सकता है और बस यही से शुरू हो गई उसकी सफलता की और जुनून और जीत की कहानी। पैरा एथलेटिक्स चैंपियनशिप में भाग लेने के लिए स्विजरलैंड रवाना होने से पहले ईटीवी भारत से एक्सक्लूसिव बातचीत में विकास ने कहा कि जब वह दोस्तों को देखता था तो उसके मन में यह इच्छा हुई कि इस डिस्कस थ्रो गेम को वह खेल सकता है और उसके बाद उसने इसको धीरे-धीरे खेलना शुरू किया कई प्रतियोगिताओं में विजेता रहने के बाद उसका मन था कि देश के लिए भी कुछ मेडल लेकर आऊं। पैरा एथलीट के लिए बेंगलुरु के साई सेंटर में हुए ट्रायल में विकास ने अब तक केवल रिकॉर्ड को भी तोड़ दिया विकास कहते हैं कि ट्रायल में विश्व रिकॉर्ड टूटने के बाद उसकी इच्छा है कि वह स्विजरलैंड में गोल्ड पर निशाना लगाएं और देश के लिए गोल्ड लेकर आए।


Conclusion:14 साल के विकास पैरा एथलेटिक्स की जूनियर चैंपियनशिप में भाग लेने के लिए स्विजरलैंड रवाना हुआ है। विकास कहता है कि वह इस खेल को अपने जीवन का हिस्सा बनाना चाहता है और इस खेल के साथ ही जुड़कर देश के लिए खूब सारी मेडल लाना उसकी इच्छा है। विकास के खेल की भावना को देख कर उसे प्रसारित करने वाले उसके रिश्तेदार और महाराजा गंगासिंह विश्वविद्यालय के पूर्व खेल निदेशक डॉ शंकरलाल प्रजापत कहते हैं कि कई खिलाड़ियों को मैंने सलाह दी है और उनको प्रोत्साहित किया है और खेलो इंडिया की भावना विकसित करने के लिए हमें खिलाड़ियों को प्रोत्साहित करना होगा। उनका विकास जन्म से ही एक हाथ के चलते शारीरिक अक्षमता का दंश झेल रहा है लेकिन इसकी खेल के प्रति लगन ने इस बात को झुठला दिया कि शारीरिक अक्षमता व्यक्ति के विकास में आड़े आती है। विकास को खेलते देख और उसकी लगन को देखकर मैंने इसे प्रोत्साहित किया और आज यह देश के लिए मैडल लाने वाली पंक्ति में शुमार हो गया है। प्रजापत कहा कि उन्हें उम्मीद है कि विकास स्विजरलैंड में होने वाली प्रतियोगिता में अच्छा प्रदर्शन करेगा और देश के लिए मेडल लेकर आएगा। विकास के साथ ही राजस्थान से दो अन्य खिलाड़ियों का भी इस प्रतियोगिता के लिए चयन हुआ है और ये तीनों खिलाड़ी स्विजरलैंड में भारत का प्रतिनिधित्व करेंगे।
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