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पर्यावरण बचाने की अनूठी पहल, गाय के गोबर से बना रहे हैं लकड़ी

भीलवाड़ा में स्थित परम पूज्य माधव गो विज्ञान अनुसंधान केंद्र में गाय के गोबर से लकड़ी बनाने का काम किया जा रहा है. जिसको अंतिम संस्कार में भी उपयोग में लिया जा सकता है.

गाय के गोबर से लकड़ी, Wood from cow dung
गाय के गोबर से बना रहे हैं लकड़ी
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Published : Mar 18, 2020, 10:48 AM IST

भीलवाड़ा. जिले के नौगांवा गांव में स्थित परम पूज्य माधव गो विज्ञान अनुसंधान केंद्र ने पर्यावरण बचाने की अनूठी पहल की है. जहां गाय के गोबर से लकड़ी बनाने का काम किया जा रहा है. इस लकड़ी को अंतिम संस्कार में भी काम में ले सकते हैं.

गाय के गोबर से बना रहे हैं लकड़ी

केंद्र के ट्रस्टी गोविंद सोडाणी ने ईटीवी भारत से बात करते हुए बताया कि उनका उद्देश्य पर्यावरण की सुरक्षा करते हुए, पेड़ों को कटने से बचाया जाना है. जिसके चलते वे लोग गाय के गोबर से गो कास्ट लकड़ी बनाने का काम कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि गाय के गोबर से लकड़ी बनाने की प्रक्रिया काफी जगह देखकर, हमने नौगांवा गांव के इस अनुसंधान केंद्र में शुरू की.

उन्होंने देश वासियों से अपील करते हुए कहा कि वह पेड़ की लकड़ी जलाने के बजाय गाय के गोबर से बनी लकड़ी को ही उपयोग लें. क्योंकि एक पेड़ लगाने और उसको बड़ा करने में काफी समय लगता है. जबकि एक पेड़ को काटने में बहुत कम समय लगता है. जानकारी के अनुसार गाय के गोबर से बनी लकड़ी को जलाने के बाद जो राख बचती है, उसको किसान खाद के रूप में काम में ले सकते हैं. जिससे फसल का उत्पादन भी अच्छा होगा.

पढ़ें: Corona से बचाव के लिए सहकारिता विभाग ने किया ये बदलाव, Biometric सत्यापन नहीं OTP से होगा पंजीयन

बता दें कि माधव गोशाला में 6 रूपए प्रति किलो की दर से गाय के गोबर से बनी लकड़ी बिक रही है. देश के कई शहरों में वर्तमान समय में इसी लकड़ी से अंतिम संस्कार हो रहा है. वहीं केंद्र के सुपरवाइजर अजीत सिंह ने बताया कि अंतिम संस्कार में एक शव को जलाने के लिए 500 से 550 किलो पेड़ की लकड़ी की आवश्यकता होती है. जबकि यहां की 400 किलो लकड़ी से ही एक शव का अंतिम संस्कार हो जाता है.

भीलवाड़ा. जिले के नौगांवा गांव में स्थित परम पूज्य माधव गो विज्ञान अनुसंधान केंद्र ने पर्यावरण बचाने की अनूठी पहल की है. जहां गाय के गोबर से लकड़ी बनाने का काम किया जा रहा है. इस लकड़ी को अंतिम संस्कार में भी काम में ले सकते हैं.

गाय के गोबर से बना रहे हैं लकड़ी

केंद्र के ट्रस्टी गोविंद सोडाणी ने ईटीवी भारत से बात करते हुए बताया कि उनका उद्देश्य पर्यावरण की सुरक्षा करते हुए, पेड़ों को कटने से बचाया जाना है. जिसके चलते वे लोग गाय के गोबर से गो कास्ट लकड़ी बनाने का काम कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि गाय के गोबर से लकड़ी बनाने की प्रक्रिया काफी जगह देखकर, हमने नौगांवा गांव के इस अनुसंधान केंद्र में शुरू की.

उन्होंने देश वासियों से अपील करते हुए कहा कि वह पेड़ की लकड़ी जलाने के बजाय गाय के गोबर से बनी लकड़ी को ही उपयोग लें. क्योंकि एक पेड़ लगाने और उसको बड़ा करने में काफी समय लगता है. जबकि एक पेड़ को काटने में बहुत कम समय लगता है. जानकारी के अनुसार गाय के गोबर से बनी लकड़ी को जलाने के बाद जो राख बचती है, उसको किसान खाद के रूप में काम में ले सकते हैं. जिससे फसल का उत्पादन भी अच्छा होगा.

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बता दें कि माधव गोशाला में 6 रूपए प्रति किलो की दर से गाय के गोबर से बनी लकड़ी बिक रही है. देश के कई शहरों में वर्तमान समय में इसी लकड़ी से अंतिम संस्कार हो रहा है. वहीं केंद्र के सुपरवाइजर अजीत सिंह ने बताया कि अंतिम संस्कार में एक शव को जलाने के लिए 500 से 550 किलो पेड़ की लकड़ी की आवश्यकता होती है. जबकि यहां की 400 किलो लकड़ी से ही एक शव का अंतिम संस्कार हो जाता है.

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