भीलवाड़ा. जिले की हुरडा पंचायत समिति में रहने वाली सुंदर गाड़ोलिया समाज की सेवा करने के लिए कलेक्टर बनना चाहती है. इसके लिए वो यूपीएससी की तैयारी कर रही है. अब तक पढ़ाई में सबसे पिछड़े माने जाने वाले गाड़ोलिया समाज की बेटी सुंदर गाड़ोलिया ने समाज के लिए कुछ करने की ठानी है. उड़ीसा की एक निजी कंपनी में 9 लाख रुपए का सालाना पैकेज छोड़कर उसने कलेक्टर बनने इच्छा जताई है.
सिविल सेवा की तैयारी कर रही सुंदर गाड़ोलिया
ऐसी होनहार बेटी की पारिवारिक स्थिति और उनके मन का संकल्प जाने ईटीवी भारत सुंदर गाड़ोलिया के घर पहुंचा. जहां जानकारी मिली कि घुमंतु परिवार में जन्मी सुंदर गाड़ोलिया लोहार, केमिकल इंजीनियर बन गई. जो समाज में कुरीतियां मिटाने के लिए कॉरपोरेट जगत की नौकरी छोड़ सिविल सेवा की तैयारी कर रही है. खुद की यूपीएससी की परीक्षा की तैयारी के दौरान वह रोजाना गांव में समाज के बच्चों को भी शिक्षा दे रही है.
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समाज में कुरीतियों को मिटाने के लिए छोड़ी नौकरी
कलेक्टर बनने का सपना संजोय हुए यूपीएससी की परीक्षा की तैयारी कर रही सुंदर गाड़ोलिया ने ईटीवी भारत को बताया कि उसने कक्षा 11वीं और 12वीं की पढ़ाई हुरड़ा स्कूल से की. उसके बाद जेईई परीक्षा में ऑल इंडिया में अच्छा रैंक मिलने पर एमबीएम इंजीनियरिंग कॉलेज, जोधपुर में एडमिशन मिला. वहां केमिकल इंजीनियरिंग की डिग्री करने पर उसका उड़ीसा की एक निजी कंपनी में 9 लाख रुपए वार्षिक पैकेज मिला. जिसके बाद उसने समाज में कुरीतियों को मिटाने के लिए नौकरी छोड़ दी. सुंदर का कहना है कि राजस्थान में सबसे गरीब तबके का उनका समाज है. उसको सुधारने के लिए वो कलेक्टर बनना चाहती है. वर्तमान में सुंदर ननिहाल में यूपीएससी की परीक्षा की तैयारी कर रही है. साथ ही समाज के छोटे-छोटे बच्चों को निशुल्क शिक्षा देकर उनको भी पढ़ाने के लिए प्रेरित कर रही है.
परिवार ने आभूषण बेचकर दिलाया इंजीनियरिंग में दाखिला
सुंदर ने बताया कि उसका एक ही उद्देश्य है वो है समाज सुधारना. जिससे उनका समाज भी कुछ आगे बढ़ सकें. ईटीवी भारत से बात करते हुए सुंदर ने बताया कि पढ़ाई के दौरान आर्थिक स्थिति बहुत कमजोर थी. जन्म के 2 साल बाद उनके मामा और नाना उनको हुरड़ा लेकर आए. जहां से बचपन के साथ-साथ पढ़ाई का सफर भी जारी रहा. वहीं अपने परिवार की आर्थिक स्थिति के बारे में बताते हुए सुंदर ने कहा कि इंजीनियरिंग की पढ़ाई के दौरान उनके माता-पिता को आभूषण बेचकर उनका एडमिशन कराया था. अब वो कलेक्टर बनकर समाज को सुधारने का काम करेंगी, इसके साथ ही उनके माता-पिता का सपना भी साकार होगा.