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स्पेशल रिपोर्ट: समाज में सुधार लाने के लिए बेटी ने छोड़ा 9 लाख पैकेज... अब सिविल सर्विसेज के जरिए लोहार समाज को चाहती है बढ़ाना

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Published : Nov 2, 2019, 7:55 PM IST

भीलवाड़ा में लोहार समाज से आने वाली बेटी सुंदर गाड़ोलिया ने अपना 9 लाख का पैकेज छोड़कर समाज के लिए कुथ करने की ठानी है. सुंदर कॉरपोरेट जगत की नौकरी छोड़कर समाज में कुरीतियां मिटाने और समाज के बच्चों को आगे बढ़ाने के लिए कलेक्टर बनना चाहती है. देखिए स्पेशल रिपोर्ट

Sunder Gadolia quits engineer job, Sunder Gadolia starts upsc exam

भीलवाड़ा. जिले की हुरडा पंचायत समिति में रहने वाली सुंदर गाड़ोलिया समाज की सेवा करने के लिए कलेक्टर बनना चाहती है. इसके लिए वो यूपीएससी की तैयारी कर रही है. अब तक पढ़ाई में सबसे पिछड़े माने जाने वाले गाड़ोलिया समाज की बेटी सुंदर गाड़ोलिया ने समाज के लिए कुछ करने की ठानी है. उड़ीसा की एक निजी कंपनी में 9 लाख रुपए का सालाना पैकेज छोड़कर उसने कलेक्टर बनने इच्छा जताई है.

सिविल सेवा की तैयारी कर रही सुंदर गाड़ोलिया
ऐसी होनहार बेटी की पारिवारिक स्थिति और उनके मन का संकल्प जाने ईटीवी भारत सुंदर गाड़ोलिया के घर पहुंचा. जहां जानकारी मिली कि घुमंतु परिवार में जन्मी सुंदर गाड़ोलिया लोहार, केमिकल इंजीनियर बन गई. जो समाज में कुरीतियां मिटाने के लिए कॉरपोरेट जगत की नौकरी छोड़ सिविल सेवा की तैयारी कर रही है. खुद की यूपीएससी की परीक्षा की तैयारी के दौरान वह रोजाना गांव में समाज के बच्चों को भी शिक्षा दे रही है.

स्पेशल रिपोर्ट: समाज में सुधार लाने के लिए बेटी ने छोड़ा 9 लाख पैकेज

पढ़ें- स्पेशल रिपोर्ट: जयपुर की मिनी ने हुनर से तोड़ी दिव्यांगता की दीवार

समाज में कुरीतियों को मिटाने के लिए छोड़ी नौकरी
कलेक्टर बनने का सपना संजोय हुए यूपीएससी की परीक्षा की तैयारी कर रही सुंदर गाड़ोलिया ने ईटीवी भारत को बताया कि उसने कक्षा 11वीं और 12वीं की पढ़ाई हुरड़ा स्कूल से की. उसके बाद जेईई परीक्षा में ऑल इंडिया में अच्छा रैंक मिलने पर एमबीएम इंजीनियरिंग कॉलेज, जोधपुर में एडमिशन मिला. वहां केमिकल इंजीनियरिंग की डिग्री करने पर उसका उड़ीसा की एक निजी कंपनी में 9 लाख रुपए वार्षिक पैकेज मिला. जिसके बाद उसने समाज में कुरीतियों को मिटाने के लिए नौकरी छोड़ दी. सुंदर का कहना है कि राजस्थान में सबसे गरीब तबके का उनका समाज है. उसको सुधारने के लिए वो कलेक्टर बनना चाहती है. वर्तमान में सुंदर ननिहाल में यूपीएससी की परीक्षा की तैयारी कर रही है. साथ ही समाज के छोटे-छोटे बच्चों को निशुल्क शिक्षा देकर उनको भी पढ़ाने के लिए प्रेरित कर रही है.

पढ़ें- खिलाड़ियों के लिए दावे बड़े-बड़े लेकिन हकीकत कोसों दूर, प्राइज मनी के लिए भटक रहा है गोल्ड मेडलिस्ट दिव्यांग खिलाड़ी

परिवार ने आभूषण बेचकर दिलाया इंजीनियरिंग में दाखिला
सुंदर ने बताया कि उसका एक ही उद्देश्य है वो है समाज सुधारना. जिससे उनका समाज भी कुछ आगे बढ़ सकें. ईटीवी भारत से बात करते हुए सुंदर ने बताया कि पढ़ाई के दौरान आर्थिक स्थिति बहुत कमजोर थी. जन्म के 2 साल बाद उनके मामा और नाना उनको हुरड़ा लेकर आए. जहां से बचपन के साथ-साथ पढ़ाई का सफर भी जारी रहा. वहीं अपने परिवार की आर्थिक स्थिति के बारे में बताते हुए सुंदर ने कहा कि इंजीनियरिंग की पढ़ाई के दौरान उनके माता-पिता को आभूषण बेचकर उनका एडमिशन कराया था. अब वो कलेक्टर बनकर समाज को सुधारने का काम करेंगी, इसके साथ ही उनके माता-पिता का सपना भी साकार होगा.

भीलवाड़ा. जिले की हुरडा पंचायत समिति में रहने वाली सुंदर गाड़ोलिया समाज की सेवा करने के लिए कलेक्टर बनना चाहती है. इसके लिए वो यूपीएससी की तैयारी कर रही है. अब तक पढ़ाई में सबसे पिछड़े माने जाने वाले गाड़ोलिया समाज की बेटी सुंदर गाड़ोलिया ने समाज के लिए कुछ करने की ठानी है. उड़ीसा की एक निजी कंपनी में 9 लाख रुपए का सालाना पैकेज छोड़कर उसने कलेक्टर बनने इच्छा जताई है.

सिविल सेवा की तैयारी कर रही सुंदर गाड़ोलिया
ऐसी होनहार बेटी की पारिवारिक स्थिति और उनके मन का संकल्प जाने ईटीवी भारत सुंदर गाड़ोलिया के घर पहुंचा. जहां जानकारी मिली कि घुमंतु परिवार में जन्मी सुंदर गाड़ोलिया लोहार, केमिकल इंजीनियर बन गई. जो समाज में कुरीतियां मिटाने के लिए कॉरपोरेट जगत की नौकरी छोड़ सिविल सेवा की तैयारी कर रही है. खुद की यूपीएससी की परीक्षा की तैयारी के दौरान वह रोजाना गांव में समाज के बच्चों को भी शिक्षा दे रही है.

स्पेशल रिपोर्ट: समाज में सुधार लाने के लिए बेटी ने छोड़ा 9 लाख पैकेज

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समाज में कुरीतियों को मिटाने के लिए छोड़ी नौकरी
कलेक्टर बनने का सपना संजोय हुए यूपीएससी की परीक्षा की तैयारी कर रही सुंदर गाड़ोलिया ने ईटीवी भारत को बताया कि उसने कक्षा 11वीं और 12वीं की पढ़ाई हुरड़ा स्कूल से की. उसके बाद जेईई परीक्षा में ऑल इंडिया में अच्छा रैंक मिलने पर एमबीएम इंजीनियरिंग कॉलेज, जोधपुर में एडमिशन मिला. वहां केमिकल इंजीनियरिंग की डिग्री करने पर उसका उड़ीसा की एक निजी कंपनी में 9 लाख रुपए वार्षिक पैकेज मिला. जिसके बाद उसने समाज में कुरीतियों को मिटाने के लिए नौकरी छोड़ दी. सुंदर का कहना है कि राजस्थान में सबसे गरीब तबके का उनका समाज है. उसको सुधारने के लिए वो कलेक्टर बनना चाहती है. वर्तमान में सुंदर ननिहाल में यूपीएससी की परीक्षा की तैयारी कर रही है. साथ ही समाज के छोटे-छोटे बच्चों को निशुल्क शिक्षा देकर उनको भी पढ़ाने के लिए प्रेरित कर रही है.

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परिवार ने आभूषण बेचकर दिलाया इंजीनियरिंग में दाखिला
सुंदर ने बताया कि उसका एक ही उद्देश्य है वो है समाज सुधारना. जिससे उनका समाज भी कुछ आगे बढ़ सकें. ईटीवी भारत से बात करते हुए सुंदर ने बताया कि पढ़ाई के दौरान आर्थिक स्थिति बहुत कमजोर थी. जन्म के 2 साल बाद उनके मामा और नाना उनको हुरड़ा लेकर आए. जहां से बचपन के साथ-साथ पढ़ाई का सफर भी जारी रहा. वहीं अपने परिवार की आर्थिक स्थिति के बारे में बताते हुए सुंदर ने कहा कि इंजीनियरिंग की पढ़ाई के दौरान उनके माता-पिता को आभूषण बेचकर उनका एडमिशन कराया था. अब वो कलेक्टर बनकर समाज को सुधारने का काम करेंगी, इसके साथ ही उनके माता-पिता का सपना भी साकार होगा.

Intro:
नोट- स्पेशल स्टोरी

भीलवाड़ा- अगर मन में मजबूत इरादा हो और सफलता पाने के लिए परिश्रम करने का दृढ़ निश्चय हो तो निश्चित रुप से हमेशा मेहनत करने से आगे बढ़ सकते हैं। इसी इरादे को लेकर भीलवाड़ा जिले कि हुरडा पंचायत समिति के हुरडा ग्राम पंचायत क्षेत्र में निवास करने वाली सुंदर गाडोलिया की दास्तान जो कारपोरेट जगत की नौकरी छोड़कर समाज में कुरीतियां मिटाने व समाज को आगे बढ़ाने के लिए कलेक्टर बनना चाहती है।


Body:हाथ में हथोड़ा लिए लोहे को गर्म कर उनके औजार बनाना जिस तरह अपने समाज की परंपरा है उसी तरह अपने जीवन में भी लोहे से ओजार बनाने की तरह कठोर परिश्रम कर समाज में कुरीतियां मिटाने के लिए पढ़ने का संकल्प ले रखा सुंदर गाडोलिया की कहानी । जो समाज को नई दिशा देने के लिए कारपोरेट जगत की नौकरी छोड़ यूपीएससी की तैयारी में जुट गई है । सुन्दर का कहना है की जिस तरह लोहे को गर्म करके ओजार बनाया जाता है । उसी तरह मन में आगे बढने का संकल्प है तो निश्चित रूप से आगे बढ़ सकते हैं ।

ऐसी होनहार बेटी की पारिवारिक स्थिति जानने और उनके मन का संकल्प जाने ईटीवी भारत की टीम भीलवाड़ा जिले के हुरडा पहुंची तो उस बच्ची की दास्तान सुनकर ईटीवी भारत की टीम को भी सुन्दर पर गर्व महसूस हुआ। घुमंतु परिवार में जन्मी सुंदर गाडोलिया लोहार केमिकल इंजीनियर बन गई जो समाज में कुरीतियां मिटाने के लिए कारपोरेट जगत की नौकरी छोड़ सिविल सेवा की तैयारी कर रही है । खुद की यूपीएससी की परीक्षा की तैयारी के दौरान वह प्रतिदिन उसके गांव में समाज के बच्चे भी शिक्षा से जुड़े इसलिए वह प्रतिदिन बच्चों को अपने निवास पर निशुल्क शिक्षा देती है।

कलेक्टर बनने का सपना पाले हुए यूपीएससी की परीक्षा की तैयारी कर रही सुंदर गाडोलिया ने ईटीवी भारत से खास बातचीत करते हुए कहा कि मैंने कक्षा 11 व 12 की पढ़ाई हुरड़ा स्कूल में ही कि । उसके बाद जेईई परीक्षा में ऑल इंडिया में अच्छा रैक मिलने पर मेरे को एमबीएम इंजीनियरिंग कॉलेज जोधपुर में ऐडमिशन मिला। वहां मेंने केमिकल इंजीनियरिंग की डिग्री करने पर मेरे को उड़ीसा की एक निजी कंपनी में 9 लाख रूपये वार्षिक का पैकेज मिला था। उस पैकेज को मैंने समाज में कुरीतियां मिटाने के लिए नौकरी छोडी। हमारा समाज राजस्थान में सबसे गरीब तबके का समाज है उनको सुधारने के लिए मैंने कलेक्टर बनने का विचार मन में था । उसी को लेकर मैंने कारपोरेट जगत की नौकरी छोड़ वर्तमान में मेरे ननिहाल में यूपीएससी की परीक्षा की तैयारी कर रही हूं । साथ ही हमारे समाज के छोटे-छोटे बच्चों को निशुल्क शिक्षा देकर उनको भी पढ़ाने के लिए मोटिवेट कर रही हूं ।
मेरा एक ही उद्देश्य है कि हमारा समाज सुधारना चाहिए। जिससे हमारा समाज भी कुछ आगे बढ़ सके । मेरी पढ़ाई के दौरान आर्थिक स्थिति बहुत कमजोर थी। मेरा जन्म उदयपुर जिले के कानोड़ गांव में हुआ था। मेरे माता-पिता अभी भी उदयपुर जिले के कानोड़ गांव में रहते हैं। जहां मेरे माता-पिता की आर्थिक स्थिति कमजोर होने के कारण मेरे जन्म से 2 साल बाद मेरे मामा और नाना -नानी मेरे को यहा हुरड़ा लेकर आए। यहां मेरा बचपन बीतने के बाद यहीं से अब तक का सफर जारी है और मेरी इंजीनियरिंग की पढ़ाई के दौरान मेरे माता-पिता को आभूषण बेचकर मेरे को एडमिशन दिलाया था। मैं कलेक्टर बनकर समाज को सुधारने का काम करूंगी । साथ ही इसके लिए मेरी माता पिता का सपना भी साकार होगा।

वही सुंदर गाडोलिया की नानी बिजी बाई ने ईटीवी भारत से खास बातचीत करते हुए कहा कि यह मेरी लड़की की लड़की है इनकी पारिवारिक स्थिति कमजोर होने के कारण सुन्दर छोटी थी तब से यहां लेकर आ गई। 2 साल की थी तभी सुन्दर का लालन-पालन और देखरेख हम करते हैं। और इनका पढ़ाई लिखाई का खर्चा भी हम वहन करते हैं।

बाइट -बीजी भाई

सुंदर गाडोलिया की नानी

वही सुंदर गाडोलिया के मामा प्रकाश गाडोलिया ने कहा कि इनके माता-पिता की स्थिति कमजोर है। इसका भविष्य में हम परिवार वाले उज्जवल बनाना चाहते हैं ।जिससे यह समाज की सेवा कर सके। वही समाज में कुरीतियां मिटा सके। इसे सुधार करने के लिए हम परिश्रम कर इनको पढ़ा लिखा रहे हैं और यह कारपोरेट जगत की नौकरी छोड़कर कलेक्टर बनना चाहती है। यह हमारे काम में भी हाथ बटाती है । प्रतिदिन जब हम लोहे के औजार बनाते हैं उस समय हथौड़े की चोट भी यह लगाती है ।

बाईट- प्रकाश

सुंदर गाडोलिया के मामा

अब देखना यह होगा कि कलेक्टर बनकर सुंदर गाडोलिया का सपना कब साकार होता है और कब वो कलेक्टर बनकर समाज में कुरीतियां मिटाती है ।

सोमदत्त त्रिपाठी ईटीवी भारत भीलवाड़ा

वन-टू-वन - सुन्दर गाडोलिया
होनहार बेटी




Conclusion:
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