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Exclusive: घुमंतु अर्ध घुमंतू जाति के उत्थान के लिए राजनीति में भागीदारी जरूरी: रतन नाथ कालबेलिया - ratan nath kalbeliya

घुमंतू अर्ध घुमंतू विमुक्त जाति परिषद के प्रदेश अध्यक्ष रतन नाथ कालबेलिया ने ईटीवी भारत से खास बातचीत में कहा कि सरकार को समाज के लोगों को मुख्यधारा में लाने के लिए जरूरी प्रतिनिधित्व देने की जरूरत है. साथ ही उन्होंने कोरोना में घुमंतू समाज के लोगों को आई परेशानियों को राज्य सरकार के प्रयासों के बारे में विस्तृत बातचीत की. पढ़े पूरी रिपोर्ट...

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घुमंतु अर्ध घुमंतू जाति
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Published : Dec 25, 2020, 4:54 AM IST

भीलवाड़ा. कोरोना में घुमंतू अर्ध घुमंतू जाति के लोगों को काफी समस्याओं का सामना करना पड़ा. जिसको लेकर घुमंतू अर्ध घुमंतू विमुक्त जाति परिषद के प्रदेश अध्यक्ष रतन नाथ कालबेलिया ने ईटीवी भारत से खास बातचीत करते हुए कहा कि मुख्यमंत्री की सोच के कारण हमारे समाज के लोगों को कोरोना के समय भूख का अहसास नहीं हुआ. लेकिन अब जो प्रदेश में राजनीतिक नियुक्तियां होने वाली हैं उसमें हमारे समाज को भी प्रतिनिधित्व मिले. जिससे हमारे समाज के लोग अपनी आवाज मुख्यमंत्री तक पहुंचा सकें.

Part - 1

रतन नाथ कालबेलिया ने कहा कि घुमंतू जाति हमेशा कांग्रेस पार्टी के साथ रही है. इस जाति के उत्थान के लिए सत्ता में भागीदारी जरूरी है. उन्होंने कहा कि कोरोना के समय मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने देश में सबसे अच्छा काम किया. कोरोना के बाद लगे लॉकडाउन में घुमंतू समाज के लोगों की परेशानियां बढ़ी लेकिन खाने पीने की सामग्री सरकार की तरफ से समाज के लोगों के घरों में पहुंचाई गई.

घुमंतू जाति इतनी अहम क्यों है

राजस्थान में घुमंतू जाति के करीब 15 से 20 लाख लोग रहते हैं. उदयपुर, जोधपुर, भीलवाड़ा और पश्चिमी राजस्थान के जैसलमेर व बाड़मेर जिलों में इनकी अच्छी खासी जनसंख्या है. इस जाति के लोग अक्सर पलायन करते रहते हैं. लेकिन पिछले कुछ सालों में वो स्थाई बसावट के प्रयास कर रहे हैं. रतन नाथ कालबेलिया ने कहा कि जिस जगह उनके समाज के लोग रहते हैं वहां आंगनबाड़ी, अस्पताल, स्कूल आदि की व्यवस्था नहीं है. समाज के लोगों के लिए श्मशान घाट की भी व्यवस्था नहीं है. इन सब सुविधाओं को लेकर पूर्ववर्ती भाजपा सरकार के समय भी घुमंतू लोगों ने विरोध किया था.

Part - 2

पढ़ें: जनवरी के पहले सप्ताह में आएगा कांस्टेबल भर्ती परीक्षा का परिणाम, एडीजी ने दी जानकारी

घुमंतू समाज ने विधानसभा चुनाव के समय घुमंतू मतदाता जागृति यात्रा निकाली थी. उसमें मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के पूर्व के 10 वर्ष के कार्यकाल में घुमंतू समाज के लिए जो योजना चलाई गई थी, उन योजनाओं का एक रथ बनाकर राजस्थान की 135 विधानसभा क्षेत्र में नुक्कड़ नाटक कर लोगों को जागरूक किया गया था. रतन नाथ ने कहा कि इस यात्रा का मकसद समाज के लोग जागरूक करना था.

शिक्षा का क्या स्तर है घुमंतू समाज में

रतन नाथ ने कहा कि उनके समाज के अधिकतर बच्चे शिक्षा से वंचित हैं. इनको मुख्यधारा से जोड़ने के लिए लगातार जागरूकता कार्यक्रम किए जाने की जरूरत है. लेकिन वर्तमान में कोरोना के समय मोबाइल व डिजिटल मीडियम से शिक्षा दी जा रही है और समाज के बच्चों के पास मोबाइल और लैपटॉप नहीं हैं. ऐसे में सरकार को इस दिशा में जरूरी कदम उठाने की आवश्यकता है.

घुमंतू जाति के उत्थान के लिए क्या करना चाहिए

रतन नाथ ने कहा कि हमारे समाज की राजस्थान मे 15 से 20 लाख की आबादी है. जिसमें गाडोलिया लोहार , बंजारा, कालबेलिया व भोपा राजस्थान के अलग-अलग जिलों में रह रहे हैं. जिन्होंने राजस्थान की परंपरा व संस्कृति को हमेशा बचाए रखा है. हमारी मांग है कि सरकार जल्द राजनीतिक नियुक्तियां करने वाली है, उसमें राजस्थान की घुमंतू अर्ध घुमंतू जाति को भी प्रतिनिधित्व मिले.

भीलवाड़ा. कोरोना में घुमंतू अर्ध घुमंतू जाति के लोगों को काफी समस्याओं का सामना करना पड़ा. जिसको लेकर घुमंतू अर्ध घुमंतू विमुक्त जाति परिषद के प्रदेश अध्यक्ष रतन नाथ कालबेलिया ने ईटीवी भारत से खास बातचीत करते हुए कहा कि मुख्यमंत्री की सोच के कारण हमारे समाज के लोगों को कोरोना के समय भूख का अहसास नहीं हुआ. लेकिन अब जो प्रदेश में राजनीतिक नियुक्तियां होने वाली हैं उसमें हमारे समाज को भी प्रतिनिधित्व मिले. जिससे हमारे समाज के लोग अपनी आवाज मुख्यमंत्री तक पहुंचा सकें.

Part - 1

रतन नाथ कालबेलिया ने कहा कि घुमंतू जाति हमेशा कांग्रेस पार्टी के साथ रही है. इस जाति के उत्थान के लिए सत्ता में भागीदारी जरूरी है. उन्होंने कहा कि कोरोना के समय मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने देश में सबसे अच्छा काम किया. कोरोना के बाद लगे लॉकडाउन में घुमंतू समाज के लोगों की परेशानियां बढ़ी लेकिन खाने पीने की सामग्री सरकार की तरफ से समाज के लोगों के घरों में पहुंचाई गई.

घुमंतू जाति इतनी अहम क्यों है

राजस्थान में घुमंतू जाति के करीब 15 से 20 लाख लोग रहते हैं. उदयपुर, जोधपुर, भीलवाड़ा और पश्चिमी राजस्थान के जैसलमेर व बाड़मेर जिलों में इनकी अच्छी खासी जनसंख्या है. इस जाति के लोग अक्सर पलायन करते रहते हैं. लेकिन पिछले कुछ सालों में वो स्थाई बसावट के प्रयास कर रहे हैं. रतन नाथ कालबेलिया ने कहा कि जिस जगह उनके समाज के लोग रहते हैं वहां आंगनबाड़ी, अस्पताल, स्कूल आदि की व्यवस्था नहीं है. समाज के लोगों के लिए श्मशान घाट की भी व्यवस्था नहीं है. इन सब सुविधाओं को लेकर पूर्ववर्ती भाजपा सरकार के समय भी घुमंतू लोगों ने विरोध किया था.

Part - 2

पढ़ें: जनवरी के पहले सप्ताह में आएगा कांस्टेबल भर्ती परीक्षा का परिणाम, एडीजी ने दी जानकारी

घुमंतू समाज ने विधानसभा चुनाव के समय घुमंतू मतदाता जागृति यात्रा निकाली थी. उसमें मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के पूर्व के 10 वर्ष के कार्यकाल में घुमंतू समाज के लिए जो योजना चलाई गई थी, उन योजनाओं का एक रथ बनाकर राजस्थान की 135 विधानसभा क्षेत्र में नुक्कड़ नाटक कर लोगों को जागरूक किया गया था. रतन नाथ ने कहा कि इस यात्रा का मकसद समाज के लोग जागरूक करना था.

शिक्षा का क्या स्तर है घुमंतू समाज में

रतन नाथ ने कहा कि उनके समाज के अधिकतर बच्चे शिक्षा से वंचित हैं. इनको मुख्यधारा से जोड़ने के लिए लगातार जागरूकता कार्यक्रम किए जाने की जरूरत है. लेकिन वर्तमान में कोरोना के समय मोबाइल व डिजिटल मीडियम से शिक्षा दी जा रही है और समाज के बच्चों के पास मोबाइल और लैपटॉप नहीं हैं. ऐसे में सरकार को इस दिशा में जरूरी कदम उठाने की आवश्यकता है.

घुमंतू जाति के उत्थान के लिए क्या करना चाहिए

रतन नाथ ने कहा कि हमारे समाज की राजस्थान मे 15 से 20 लाख की आबादी है. जिसमें गाडोलिया लोहार , बंजारा, कालबेलिया व भोपा राजस्थान के अलग-अलग जिलों में रह रहे हैं. जिन्होंने राजस्थान की परंपरा व संस्कृति को हमेशा बचाए रखा है. हमारी मांग है कि सरकार जल्द राजनीतिक नियुक्तियां करने वाली है, उसमें राजस्थान की घुमंतू अर्ध घुमंतू जाति को भी प्रतिनिधित्व मिले.

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