भीलवाड़ा. खनन से पहले की गई ब्लास्टिंग से सार्वजनिक स्थलों के ढांचे में दरारें पड़ने को लेकर पिछले 46 दिन से भीलवाड़ा के भाजपा विधायक विट्ठल शंकर अवस्थी भीलवाड़ा कलेक्ट्रेट पर धरना दे रहे हैं. विधायक का आरोप है कि जिंदल सॉ लिमिटेड कंपनी में खनन से पहले की गई ब्लास्टिंग की वजह से पुर कस्बे के सार्वजनिक स्थल सहित मकानों में दरारें आई है.
ममले में विधायक ने जिला प्रशासन को समस्या निवारण के लिए 45 दिन का समय दिया था. लेकिन 45 दिन में समस्या का समाधान नहीं होने पर 46वें दिन पुर कस्बे के आमजन और भाजपा पदाधिकारियों के प्रतिनिधि मंडल ने जिला कलेक्टर को ज्ञापन देकर समस्या के तुरंत निवारण की मांग की. वहीं भीलवाड़ा कलेक्टर राजेंद्र भट्ट ने ईटीवी भारत से खास बातचीत करते हुए कहा कि पुर वासियों को विस्थापित करने की राज्य सरकार की मंशा नहीं है. राज्य सरकार और जिला प्रशासन पुर के लोगों के साथ है और प्रशासन की मंशा उन्हें विस्थापित करने की नहीं है.
परंतु जानमाल की सुरक्षा की दृष्टि से क्षतिग्रस्त मकानों में निवासरत पुर वासियों को दिए गए तीन विकल्पों में से एक विकल्प को स्पष्ट रूप से चुनना होगा. कलेक्टर ने कहा कि राज्य सरकार और प्रशासन के लोगों की हिफाजत और संरक्षण के लिए तीन महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं. पहला ये कि कस्बे में 341 ऐसे मकान हैं जो पूरी तरह से क्षतिग्रस्त हो गए हैं और सार्वजनिक निर्माण विभाग ने जिन्हें नकारा घोषित कर दिया है. उन मकान मालिकों की जान-माल की सुरक्षा के लिए प्रशासन सबसे अधिक चिंतित है.
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प्रशासन की तरफ से ऐसे लोगों को हाउसिंग बोर्ड के मकान रियायती दर पर देने, नगर विकास न्यास द्वारा रिजर्व प्राइज की आधी रेट पर प्लाट देने तथा नगर विकास न्यास द्वारा नए मकान बनाकर 50 प्रतिशत की दर पर देने, जिनका भुगतान 10 साल में आसान किस्तों पर करने के प्रस्ताव रखे गए है. इन तीनों विकल्पों में से किसी भी विकल्प को पुर कस्बे वासी चुन सकते हैं.
जिंदल शॉ लिमिटेड पर कार्रवाई के सवाल पर जिला कलेक्टर ने कहा कि जांच के बाद कार्रवाई हो सकती है. वहीं पुर कस्बे वासियों और भीलवाड़ा जिला प्रशासन के समन्वय के अभाव के सवाल पर जिला कलेक्टर राजेंद्र भट्ट ने कहा कि पुर कस्बे वासियों और प्रशासन से समन्वय के लिए 21 अक्टूबर को पुर कस्बे में वे स्वयं पुलिस अधीक्षक सहित जन सुनवाई करेंगे.
ज नसुनवाई के दौरान उनका पक्ष भी सुनेंगे और राज्य सरकार की मंशा भी उनको स्पष्ट रूप से बताएंगे. जिससे उनके मन में भ्रम पैदा नहीं रहे और उनको तुरंत राहत मिल सके. अब देखना यह होगा कि 21 अक्टूबर को जन सुनवाई के बाद पुर कस्बे वासी क्या निर्णय लेते हैं, जिससे यह आंदोलन समाप्त हो सके.