भीलवाड़ा. सरकार चाहे लाख जतन कर ले 'बेटी बचाओ-बेटी पढाओं' की लेकिन फिर भी धरातल पर इसका कोई असर नहीं हो रहा है. शहर के महात्मा गांधी अस्पताल के बाहर लगे पालना गृह में अज्ञात माता-पिता अपनी बेटी को ठिठुरन भरी रात में छोड़कर चले गए. जिसके बाद बच्ची का महात्मा गांधी अस्पताल में उपचार चल रहा है.
समाज में आज भी बेटियों को पराया धन समझ कर लोग उन्हें मरने के लिए छोड़ रहे है. ऐसा ही नजारा भीलवाड़ा के महात्मा गांधी चिकित्सालय परिसर में स्थित पालना गृह में देखने को मिला. जहां पर एक दिन की नवजात को परिजनों ने बालिका होने के कारण लावारिस छोड़ दिया. वहीं बालिका की हालत गंभीर होने के कारण उसे उदयपुर रैफर कर दिया गया है.
महिला एंव बाल कल्याण समिति की अध्यक्षा सुमन त्रिवेदी ने कहा कि देर शाम को महात्मा गांधी चिकित्सालय में लगे पालना गृह में एक दिन की मासूम को छोड़ दिया गया. वहीं शिशु रोग चिकित्सक डॉ. इंदिरा सिंह ने कहा कि बालिका का वजन काफी कम है और उसे सांस लेने में भी काफी दिक्कत हो रही है.
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भीलवाड़ा के ए श्रेणी महात्मा गांधी अस्पताल के बाहर लगे पालना गृह में कई बार लोग अपनी कोख से जन्मी बेटियों को इस ठिठुरन भरी सर्दी में छोड़ कर चले जाते है जो कि समाज के लिए एक दर्पण की तरह कार्य करता है. यह बताता है कि यहीं वो समाज है जिसके सभ्य होने का हम दावा करते रहते हैं.