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भरी सर्दी में अपनी बेटी को पालना गृह में छोड़ गए माता-पिता, नवजात की हालत गंभीर होने पर उदयपुर किया रेफर - भीलवाड़ा की ताजा खबर

भीलवाड़ा के महात्मा गांधी अस्पताल परिसर में मौजूद पालनागृह में ठिठुरन भरी रात में एक नवजात बच्ची मिली. जिसके बाद चिकित्सकों ने बच्ची का उपचार शुरू कर दिया, लेकिन हालत गंभीर होने के कारण बच्ची को उदयपुर रैफर किया गया.

palna grah in bhilwara, भीलवाड़ा न्यूज
नवजात का इलाज करते चिकित्सक
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Published : Nov 27, 2019, 3:15 PM IST

भीलवाड़ा. सरकार चाहे लाख जतन कर ले 'बेटी बचाओ-बेटी पढाओं' की लेकिन फिर भी धरातल पर इसका कोई असर नहीं हो रहा है. शहर के महात्मा गांधी अस्पताल के बाहर लगे पालना गृह में अज्ञात माता-पिता अपनी बेटी को ठिठुरन भरी रात में छोड़कर चले गए. जिसके बाद बच्ची का महात्मा गांधी अस्पताल में उपचार चल रहा है.

भरी सर्दी में अपनी बेटी को पालना गृह में छोड़ गए माता-पिता

समाज में आज भी बेटियों को पराया धन समझ कर लोग उन्‍हें मरने के लिए छोड़ रहे है. ऐसा ही नजारा भीलवाड़ा के महात्‍मा गांधी चिकित्सालय परिसर में स्थित पालना गृह में देखने को मिला. जहां पर एक दिन की नवजात को परिजनों ने बालिका होने के कारण लावारिस छोड़ दिया. वहीं बालिका की हालत गंभीर होने के कारण उसे उदयपुर रैफर कर दिया गया है.

महिला एंव बाल कल्‍याण समिति की अध्‍यक्षा सुमन त्रिवेदी ने कहा कि देर शाम को महात्‍मा गांधी चिकित्‍सालय में लगे पालना गृह में एक दिन की मासूम को छोड़ दिया गया. वहीं शिशु रोग चिकित्‍सक डॉ. इंदिरा सिंह ने कहा कि बालिका का वजन काफी कम है और उसे सांस लेने में भी काफी दिक्‍कत हो रही है.

पढ़ें: अगर आप चाहते हैं 'कलेक्टर' साहब आप की शादी में आएं तो ध्यान रखनी होंगी ये बातें

भीलवाड़ा के ए श्रेणी महात्मा गांधी अस्पताल के बाहर लगे पालना गृह में कई बार लोग अपनी कोख से जन्मी बेटियों को इस ठिठुरन भरी सर्दी में छोड़ कर चले जाते है जो कि समाज के लिए एक दर्पण की तरह कार्य करता है. यह बताता है कि यहीं वो समाज है जिसके सभ्य होने का हम दावा करते रहते हैं.

भीलवाड़ा. सरकार चाहे लाख जतन कर ले 'बेटी बचाओ-बेटी पढाओं' की लेकिन फिर भी धरातल पर इसका कोई असर नहीं हो रहा है. शहर के महात्मा गांधी अस्पताल के बाहर लगे पालना गृह में अज्ञात माता-पिता अपनी बेटी को ठिठुरन भरी रात में छोड़कर चले गए. जिसके बाद बच्ची का महात्मा गांधी अस्पताल में उपचार चल रहा है.

भरी सर्दी में अपनी बेटी को पालना गृह में छोड़ गए माता-पिता

समाज में आज भी बेटियों को पराया धन समझ कर लोग उन्‍हें मरने के लिए छोड़ रहे है. ऐसा ही नजारा भीलवाड़ा के महात्‍मा गांधी चिकित्सालय परिसर में स्थित पालना गृह में देखने को मिला. जहां पर एक दिन की नवजात को परिजनों ने बालिका होने के कारण लावारिस छोड़ दिया. वहीं बालिका की हालत गंभीर होने के कारण उसे उदयपुर रैफर कर दिया गया है.

महिला एंव बाल कल्‍याण समिति की अध्‍यक्षा सुमन त्रिवेदी ने कहा कि देर शाम को महात्‍मा गांधी चिकित्‍सालय में लगे पालना गृह में एक दिन की मासूम को छोड़ दिया गया. वहीं शिशु रोग चिकित्‍सक डॉ. इंदिरा सिंह ने कहा कि बालिका का वजन काफी कम है और उसे सांस लेने में भी काफी दिक्‍कत हो रही है.

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भीलवाड़ा के ए श्रेणी महात्मा गांधी अस्पताल के बाहर लगे पालना गृह में कई बार लोग अपनी कोख से जन्मी बेटियों को इस ठिठुरन भरी सर्दी में छोड़ कर चले जाते है जो कि समाज के लिए एक दर्पण की तरह कार्य करता है. यह बताता है कि यहीं वो समाज है जिसके सभ्य होने का हम दावा करते रहते हैं.

Intro:भीलवाडा- भीलवाड़ा के महात्मा गांधी अस्पताल के बाहर लगे पालना गृह में अज्ञात माता पिता ने अपने कलेजे के टुकड़े बेटी को ठिठुरन भरी रात में छोड़कर चले गए। जहां बच्ची का महात्मा गांधी अस्पताल में उपचार चल रहा है।Body:सरकार चाहे लाख जतन कर ले बेटी बचाओ-बेटी पढाओं लेकिन फिर भी धरातल पर इसका कोई असर नहीं हो रहा है। आज भी बेटियों को पराया धन समझ कर लोग उन्‍हे मरने के लिए छोड रहे है। ऐसा ही नजारा भीलवाड़ा के महात्‍मा गांधी चिकित्‍सालय परिसर में स्थित पालना गृह में देखने को मिला। जहां पर एक दिन की नवजात को परिजनों ने बालिका होने के कारण लावारिश छोड दिया। वहीं बालिका की हालत गंभीर होने के कारण उसे उदयपुर रैफर कर दिया गया।
महिला एंव बाल कल्‍याण समिति की अध्‍यक्षा .सुमन त्रिवेदी ने कहा कि देर शाम को महात्‍मा गांधी चिकित्‍सालय में लगे पालना गृह में एक दिन की मासूम को छोड दिया। जिसे अस्‍पताल में भर्ती किया गया जहां उसकी हालत गंभीर होने के कारण उसे उदयपुर रैफर कर दिया गया। वहीं शिशू रोग चिकित्‍सक डॉ.इंदिरा सिंह ने कहा कि बालिका का वजन काफी कम है और उसे सांस लेने में भी काफी दिक्‍कत हो रही है।

भीलवाड़ा के ए श्रेणी महात्मा गांधी अस्पताल के बाहर लगे पालना गृह में कहीं बार अपनी कोख में जन्मी बेटियों को इस ठिठुरन भरी सर्दी में छोड़ कर चले जाते हैं । लेकिन समाज में अभी भी बेटियों के प्रति जो सम्मान नहीं है उसके लिए अब प्रदेश सरकार को कोई न कोई कदम उठाना चाहिए जिससे इनमें बेटियों के प्रति जागरूकता बढ़ सके।
सोमदत्त त्रिपाठी ईटीवी भारत भीलवाडा

बाईट –सुमन त्रिवेदी, अध्‍यक्षा, महिला एंव बाल कल्‍याण समिति
डॉ.इंदिरा सिंह, चिकित्‍सक, शिशू रोग विशेषज्ञ, एमजीएचConclusion:
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