भीलवाड़ा. भीलवाड़ा नारकोटिक्स कार्यालय के अंतर्गत फसल वर्ष 2019-20 में 5398 अफीम काश्तकारों की 24047 किलो अफीम की तुलाई हो गई है. तुलाई के बाद किसानों को इसका भुगतान भी कर दिया गया है. भीलवाड़ा अफीम कार्यालय के अंतर्गत भीलवाड़ा व चित्तौड़गढ़ जिले की 6 तहसीलों में अफीम की फसल की बुवाई हुई थी. चित्तौड़गढ़ जिले के बेगूं व भीलवाड़ा के सिंगोली में अफीम की तुलाई की गई. इन काश्तकारों को बैंक के जरिए फसल का भुगतान कर दिया गया है.
भीलवाड़ा डिवीजन के अफीम अधिकारी संजय कुमार सिंह ने ईटीवी भारत से बातचीत में बताया कि भीलवाड़ा डिवीजन में फसल वर्ष 2019-20 में 5573 अफीम काश्तकारों को पट्टे दिए गए थे. इन काश्तकारों को 382.56 हेक्टेयर में फसल की बुवाई करनी थी. इनमें से 81 काश्तकारों ने फसल की बुवाई नहीं की और 94 काश्तकारों ने फसल खराब हो जाने के कारण फसल की हकवाई (नष्ट) की थी.
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भीलवाड़ा डिवीजन में दो तोल केंद्र पर अफीम की तुलवाई हुई. जहां चित्तौड़गढ़ जिले के बेगूं में रावतभाटा के किसानों की अफीम की तुलाई हुई. वहीं सिंगोली में कोटडी, मांडलगढ़, बिजोलिया व जहाजपुर के किसानों की उपज की तुलवाई हुई. इन 5573 किसानों में से 5398 काश्तकारों ने अफीम की 366.92 हेक्टेयर मे फसल की बुआई की थी जिसमें 24047 किलो अफीम की पैदावार हुई. जिसके लिए किसानों को 3 करोड़ 94 लाख 28 हजार 400 रुपए का भुगतान कर दिया गया है.
अफीम एक जीवन रक्षक औषधि है, जिसका उपयोग कई तरह की दवाइयों को बनाने में किया जाता है. मुख्यत अफीम से मार्फिया इंजेक्शन, कोडीन फास्फेट, एल्प्राजोलम दवाइयां बनाई जाती है. तुलाई की हुई अफीम को शासकीय कारखाना गाजीपुर उत्तर प्रदेश में भेज दिया गया है. इस बार अफीम का 65 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर की दर से उत्पादन हुआ है.