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स्पेशल रिपोर्ट: भीलवाड़ा में अफीम काश्तकारों का छलका दर्द, औसत मार्फिन नहीं बैठने से सरकार ने घटाया रकबा - काश्तकारों को 6 आरी क्षेत्रफल का पट्टा

भीलवाड़ा नारकोटिक्स विभाग के अंतर्गत भीलवाड़ा और चित्तौड़गढ़ जिले के अफीम काश्तकारों को फसल वर्ष 2019-20 के लिए पट्टे वितरण का कार्य शुरू हो गया है. यहां गत वर्ष की तुलना में इस साल भीलवाड़ा और चित्तौड़गढ़ जिले में 200 अफीम काश्तकारों की वृद्धि हुई है. वहीं गत वर्ष औसत मार्फिन नहीं बैठने के कारण अफीम के 10 आरी की जगह 6 आरी का पट्टा ही मिल रहा है. अफीम बुआई के क्षेत्रफल में कमी करने के कारण अफीम काश्तकारों का ईटीवी भारत पर दर्द छलक पड़ा.

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Published : Oct 22, 2019, 5:33 PM IST

भीलवाड़ा. नारकोटिक्स विभाग के अंतर्गत भीलवाड़ा और चित्तौड़गढ़ जिले आते हैं. यहां के अफीम काश्तकार उनके क्षेत्र में अफीम की बुवाई के लिए तैयारियां शुरू कर दिए हैं. वहीं केंद्रीय नारकोटिक्स विभाग द्वारा फसल वर्ष 2019-20 के लिए पट्टा वितरण का कार्य शुरू कर दिया है. भीलवाड़ा जिला अफीम कार्यालय में भीलवाड़ा, चित्तौड़गढ़ जिले के किसानों के लिए पट्टे वितरण का कार्य किया जा रहा है.

अफीम काश्तकारों का ईटीवी भारत पर छलका दर्द

इधर, भीलवाड़ा नारकोटिक्स विभाग कार्यालय में ईटीवी भारत ने जब पड़ताल की तो अफीम बुआई के क्षेत्रफल कम करने पर तो वहां आए किसानों ने भारत सरकार से मांग की कि हमारा क्षेत्रफल न घटाया जाए.

पढ़ें- बारिश ज्यादा होने से बढ़ेगा गेहूं का रकबा, 1 लाख 52 हजार हेक्टेयर पहुंचने का अनुमान

किसानों ने बताई अपनी पीड़ा

अफीम का पट्टा लेने पहुंचे का काश्तकारों ने बताया कि सरकार की नीतियों से अफीम काश्तकार संतुष्ट नहीं हैं. जो मार्फिन का नियम लागू कर रही है. किसान मार्फिन में नहीं समझते हैं. उन्होंने बताया कि गत वर्ष अच्छी औसत होते हुए भी 10 आरी बुआई क्षेत्रफल की जगह 6 आरी क्षेत्रफल का नवीनीकरण पट्टा दिया गया है. सरकार किसानों के साथ विश्वासघात कर रही है. सरकार मार्फिन के नियम को हटाकर औसत का नियम लागू करें, जिससे उनको राहत मिल सके. वहीं चित्तौड़गढ़ के बेगू क्षेत्र के किसानों ने बताया कि वो 15-20 सालों में अफीम की फसल बो रहे हैं. इस बार वर्षा ऋतु में बोई गई समस्त फसलें समाप्त हो गई हैं. अब हमारी रोजी-रोटी रबी की फसल पर ही आश्रित है. हम अफीम की फसल बो रहे हैं, जहां सरकार ने मार्फिन का नियम लागू किया है. हम काश्तकार मार्फिन के बारे में नहीं समझते हैं. हमारे गांव में पिछले साल में 96 अफीम पट्टे थे, जिसमें से 35 से 40 काश्तकारों को 10 आरी क्षेत्र फल का पट्टा मिला. बाकी सभी काश्तकारों को 6 आरी क्षेत्रफल का पट्टा मिला है. सरकार को सोचना चाहिए कि आधे आदमियों को पट्टा 6 आरी अफीम का क्षेत्रफल मिल रहा है. जिससे उनको नुकसान हो रहा है. हमारी मांग है कि नियमों में बदलाव किया जाए.

पढ़ें- भीलवाड़ा कृषि उपज मंडी में मक्के की आवक शुरू, किसानों ने कहा - खरीद केंद्र शुरू किया जाए

वहीं अफीम प्रत्येक क्षेत्र में नारकोटिक्स विभाग द्वारा एक मुखिया की नियुक्ति की गई है. यहां मुखिया बेगू तहसील के किशन लाल ने कहा कि गांव का मुखिया हूं. मेरे गांव में 46 पट्टे हैं. इस साल 3 पट्टों में बढ़ोतरी हुई है. उन्होंने बताया कि उनका काम देखभाल करना है, साथ ही विभाग और किसानों के बीच समन्वय स्थापित करते हैं.

पढ़ें- स्पेशल रिपोर्ट: खरीफ की कटाई लेट होने से रबी की बुवाई पिछड़ी, किसानों के माथे पर चिंता की लकीरें

वहीं जिला नारकोटिक्स विभाग के अधिकारी संजय कुमार सिंह ने पूरे मामले में बताया कि भीलवाड़ा नारकोटिक्स विभाग के अंतर्गत भीलवाड़ा और चित्तौड़गढ़ दो जिले आते हैं. यहां के अफीम काश्तकार उनके क्षेत्र में अफीम की बुआई के लिए तैयारियां शुरू कर दिए हैं. केंद्रीय नारकोटिक्स विभाग द्वारा फसल वर्ष 2019-20 के लिए पट्टा वितरण का कार्य शुरु कर दिया है. भीलवाड़ा जिला कार्यालय में भीलवाड़ा और चित्तौड़गढ़ के किसानों के लिए पट्टे वितरण किया जा रहे हैं. पिछले वर्ष भीलवाड़ा और चित्तौड़गढ़ जिले में 5 हजार 246 अफीम काश्तकार थे. वहीं इस वर्ष फसल वर्ष 2020-21 में 200 पट्टे कम होते हुए 400 पट्टों की बढ़ोतरी हुई है. इसलिए 5 हजार 440 के करीब इस वर्ष पट्टे वितरण किए जा रहे हैं.

भीलवाड़ा. नारकोटिक्स विभाग के अंतर्गत भीलवाड़ा और चित्तौड़गढ़ जिले आते हैं. यहां के अफीम काश्तकार उनके क्षेत्र में अफीम की बुवाई के लिए तैयारियां शुरू कर दिए हैं. वहीं केंद्रीय नारकोटिक्स विभाग द्वारा फसल वर्ष 2019-20 के लिए पट्टा वितरण का कार्य शुरू कर दिया है. भीलवाड़ा जिला अफीम कार्यालय में भीलवाड़ा, चित्तौड़गढ़ जिले के किसानों के लिए पट्टे वितरण का कार्य किया जा रहा है.

अफीम काश्तकारों का ईटीवी भारत पर छलका दर्द

इधर, भीलवाड़ा नारकोटिक्स विभाग कार्यालय में ईटीवी भारत ने जब पड़ताल की तो अफीम बुआई के क्षेत्रफल कम करने पर तो वहां आए किसानों ने भारत सरकार से मांग की कि हमारा क्षेत्रफल न घटाया जाए.

पढ़ें- बारिश ज्यादा होने से बढ़ेगा गेहूं का रकबा, 1 लाख 52 हजार हेक्टेयर पहुंचने का अनुमान

किसानों ने बताई अपनी पीड़ा

अफीम का पट्टा लेने पहुंचे का काश्तकारों ने बताया कि सरकार की नीतियों से अफीम काश्तकार संतुष्ट नहीं हैं. जो मार्फिन का नियम लागू कर रही है. किसान मार्फिन में नहीं समझते हैं. उन्होंने बताया कि गत वर्ष अच्छी औसत होते हुए भी 10 आरी बुआई क्षेत्रफल की जगह 6 आरी क्षेत्रफल का नवीनीकरण पट्टा दिया गया है. सरकार किसानों के साथ विश्वासघात कर रही है. सरकार मार्फिन के नियम को हटाकर औसत का नियम लागू करें, जिससे उनको राहत मिल सके. वहीं चित्तौड़गढ़ के बेगू क्षेत्र के किसानों ने बताया कि वो 15-20 सालों में अफीम की फसल बो रहे हैं. इस बार वर्षा ऋतु में बोई गई समस्त फसलें समाप्त हो गई हैं. अब हमारी रोजी-रोटी रबी की फसल पर ही आश्रित है. हम अफीम की फसल बो रहे हैं, जहां सरकार ने मार्फिन का नियम लागू किया है. हम काश्तकार मार्फिन के बारे में नहीं समझते हैं. हमारे गांव में पिछले साल में 96 अफीम पट्टे थे, जिसमें से 35 से 40 काश्तकारों को 10 आरी क्षेत्र फल का पट्टा मिला. बाकी सभी काश्तकारों को 6 आरी क्षेत्रफल का पट्टा मिला है. सरकार को सोचना चाहिए कि आधे आदमियों को पट्टा 6 आरी अफीम का क्षेत्रफल मिल रहा है. जिससे उनको नुकसान हो रहा है. हमारी मांग है कि नियमों में बदलाव किया जाए.

पढ़ें- भीलवाड़ा कृषि उपज मंडी में मक्के की आवक शुरू, किसानों ने कहा - खरीद केंद्र शुरू किया जाए

वहीं अफीम प्रत्येक क्षेत्र में नारकोटिक्स विभाग द्वारा एक मुखिया की नियुक्ति की गई है. यहां मुखिया बेगू तहसील के किशन लाल ने कहा कि गांव का मुखिया हूं. मेरे गांव में 46 पट्टे हैं. इस साल 3 पट्टों में बढ़ोतरी हुई है. उन्होंने बताया कि उनका काम देखभाल करना है, साथ ही विभाग और किसानों के बीच समन्वय स्थापित करते हैं.

पढ़ें- स्पेशल रिपोर्ट: खरीफ की कटाई लेट होने से रबी की बुवाई पिछड़ी, किसानों के माथे पर चिंता की लकीरें

वहीं जिला नारकोटिक्स विभाग के अधिकारी संजय कुमार सिंह ने पूरे मामले में बताया कि भीलवाड़ा नारकोटिक्स विभाग के अंतर्गत भीलवाड़ा और चित्तौड़गढ़ दो जिले आते हैं. यहां के अफीम काश्तकार उनके क्षेत्र में अफीम की बुआई के लिए तैयारियां शुरू कर दिए हैं. केंद्रीय नारकोटिक्स विभाग द्वारा फसल वर्ष 2019-20 के लिए पट्टा वितरण का कार्य शुरु कर दिया है. भीलवाड़ा जिला कार्यालय में भीलवाड़ा और चित्तौड़गढ़ के किसानों के लिए पट्टे वितरण किया जा रहे हैं. पिछले वर्ष भीलवाड़ा और चित्तौड़गढ़ जिले में 5 हजार 246 अफीम काश्तकार थे. वहीं इस वर्ष फसल वर्ष 2020-21 में 200 पट्टे कम होते हुए 400 पट्टों की बढ़ोतरी हुई है. इसलिए 5 हजार 440 के करीब इस वर्ष पट्टे वितरण किए जा रहे हैं.

Intro:भीलवाड़ा- भीलवाड़ा नारकोटिक्स विभाग के अंतर्गत भीलवाड़ा चित्तौड़गढ़ जिले के अफीम काश्तकारों को फसल वर्ष 2019 -20 के लिए पट्टे वितरण का कार्य शुरू हो गया है। जहां गत वर्ष की तुलना में इस वर्ष भीलवाड़ा व चित्तौड़गढ़ जिले में 200 अफीम काश्तकारों की वृद्धि हुई है। वहीं गत वर्ष औसत मार्फिन नहीं बैठने के कारण अफीम के दस आरी की जगह 6 आरी का पट्टा ही मिल रहा हैं । अफीम बुआई के क्षेत्रफल में कमी करने के कारण अफीम काश्तकारों का ईटीवी भारत पर दर्द छलक पड़ा।


Body:भीलवाड़ा नारकोटिक्स विभाग के अंतर्गत भीलवाड़ा, चित्तौड़गढ़ दौ जिले आते हैं । जहां के अफीम काश्तकार उनके क्षेत्र में अफीम की बुवाई के लिए तैयारियां शुरू कर दी है । वहीं केंद्रीय नारकोटिक्स विभाग द्वारा फसल वर्ष 2019 - 20 के लिए पट्टा वितरण का कार्य शुरू कर दिया है। जहां भीलवाड़ा जिला अफीम कार्यालय में भीलवाड़ा, चित्तौड़गढ़ जिले के किसानों के लिए पट्टे वितरण किए जा रहे हैं। जहां भीलवाड़ा, चित्तौड़गढ़ के अफीम काश्तकारों का ईटीवी भारत पर दर्द छलक पड़ा। भीलवाड़ा नारकोटिक्स विभाग कार्यालय में ईटीवी भारत ने जब पड़ताल की की अफीम की बुआई के क्षेत्रफल कम करने पर तो वहां आए किसानों ने भारत सरकार से मांग की कि हमारा क्षेत्रफल नहीं घटाया जाए।

अफीम का पट्टा लेने पहुंचे नारायण लाल धाकड़ ने ईटीवी भारत से खास बातचीत करते हुए कहा कि मैं अफीम का काश्तकार होने के नाते यहां नवीनीकरण का पट्टा लेने आया हूं। सरकार की नीतियों से अफीम काश्तकार संतुष्ट नहीं है। जो मार्फिन का नियम लागू कर रही है किसान मार्फिन में नहीं समझते हैं। मेरे गत वर्ष अच्छी औसत होते हुए भी मेरे को 10 आरी बुआई क्षेत्रफल की जगह छ आरी क्षेत्रफल का नवीनीकरण पट्टा दिया गया है ।सरकार किसानों के साथ विश्वासघात कर रही है। सरकार मार्फिन के नियम को हटाकर औसत का नियम लागू करें जिससे हमारे को राहत मिल सके।

बाइट- नारायण लाल धाकड़

अफीम काश्तकार

वही चित्तौड़गढ़ जिले के बेगू क्षेत्र के किसान रामस्वरूप ने कहा कि मैं अफीम का पट्टा लेने आया हूं ।15- 20 वर्ष से में अफीम की फसल बो रहा हूं । इस बार वर्षा ऋतु में बोई गई समस्त फसलें समाप्त हो गई है ।अब हमारी रोजी-रोटी रबी की फसल पर ही आश्रित है। हम अफीम की फसल बो रहे हैं जहां सरकार ने मार्फिन का नियम लागू किया है। हम काश्तकार मार्फिन के बारे में नहीं समझते हैं। हमारे गांव में पिछले वर्ष में 96 अफीम पटे थे। जिसमें से 35 से 40 काश्तकारों को 10 आरी क्षेत्र फल का पट्टा मिला । बाकी सभी काश्तकारों को छ आरी क्षेत्रफल का पट्टा मिला है ।सरकार को सोचना चाहिए कि आधे आदमियों को पटा छ आरी अफीम के क्षेत्रफल मिल रहा है जिससे उनको नुकसान हो रहा है । हमारी मांग है कि नियमों में बदलाव किया जाए।

बाइट -रामस्वरूप

अफीम काश्तकार

वहीं कास्त के लिए पट्टा लेने आई बुजुर्ग महिला नंदू देवी ने ईटीवी भारत से खास बातचीत करते हुए कहा कि पुराने समय से ही पट्टा मेरे नाम था। इसलिए मैं आज अफीम का पट्टा लेने आई हूं ।

बाईट-नंदू देवी

वही अफीम प्रत्येक क्षेत्र में नारकोटिक्स विभाग द्वारा एक मुखिया की नियुक्ति की गई है । जहां मुखिया बेगू तहसील के किशन लाल ने कहा कि गांव का मुखिया हूं ।मेरे गांव में 46 पट्टे हैं इस वर्ष 3 पट्टों में बढ़ोतरी हुई है ।मैं देखभाल करता हूं और विभाग व किसानों के बीच समन्वय स्थापित करता हूं।

बाइट- किशनलाल

अफीम मुखिया

वही जिला नारकोटिक्स विभाग के अधिकारी संजय कुमार सिंह ने ईटीवी भारत से बातचीत करते हुए कहा कि भीलवाड़ा नारकोटिक्स विभाग के अंतर्गत भीलवाड़ा व चित्तौड़गढ़ दो जिले आते हैं। जहां के अफीम कास्तकार उनके क्षेत्र में अफीम की बुआई के लिए तैयारियां शुरू कर दी है। वही केंद्रीय नारकोटिक्स विभाग द्वारा फसल वर्ष 2019-20 के लिए पट्टा वितरण का कार्य शुरु कर दिया है। भीलवाड़ा जिला कर्यालय में भीलवाड़ा, चित्तौड़गढ़ के किसानों के लिए पट्टे वितरण किया जा रहे हैं। गत वर्ष भीलवाड़ा चित्तौड़गढ़ जिले में 5246 अफीम काश्तकार थे और इस वर्ष फसल वर्ष 2020- 21 में 200 पट्टे कम होते हुए 400 पट्टों की बढ़ोतरी हुई है। इसलिए 5440 के करीब इस वर्ष पट्टे वितरण किए जा रहे हैं।

बाईट- संजय कुमार सिंह

जिला अफीम अधिकारी भीलवाड़ा

अब देखना यह होगा कि इस वर्ष वर्षा ऋतु में समस्त फसल खराब होने के बाद अफीम की अच्छी फसल का उत्पादन होता है और साथ ही मार्फिन के नियम में केंद्र सरकार बदलाव करती है या नहीं।

सोमदत्त त्रिपाठी ईटीवी भारत भीलवाड़ा


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