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भीलवाड़ा, चित्तौड़गढ़ और प्रतापगढ़ जिले में पिछले 3 दिनों से सक्रिय है मानसून, अलर्ट मोड में सिंचाई विभाग - राजस्थान न्यूज़

भीलवाड़ा, चित्तौड़गढ़ और प्रतापगढ़ जिले में पिछले 3 दिनों से मानसून सक्रिय है. तीनों जिलों में बारिश होने के कारण नदियों और तालाबों में पानी की आवक हो रही है. इसके बाद सिंचाई विभाग अलर्ट मोड में है. अधिकारियों और कर्मचारियों को मौजूद रहने के निर्देश दिए गए हैं, जिससे कोई अनहोनी ना हो.

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भीलवाड़ा, चित्तौड़गढ़ और प्रतापगढ़ में सक्रिय है मानसून
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Published : Aug 24, 2020, 6:36 PM IST

भीलवाड़ा. जुलाई महीने में भीलवाड़ा, चित्तौड़गढ़ और प्रतापगढ़ जिले में मानसून कमजोर रहा. लेकिन, अगस्त महीने में मानसून सक्रिय हो गया है. यहां पिछले 3 दिनों से तीनों जिले में बारिश जारी है. सभी जगह बारिश होने के कारण नदियों और तालाबों में पानी की आवक हो रही है. भीलवाड़ा के सिचाई विभाग के अंतर्गत आने वाले तीनों भीलवाड़ा, चित्तौड़गढ़ और प्रतापगढ़ जिले में मानसून सक्रिय होने के कारण सिंचाई विभाग के अधीक्षण अभियंता सत्यपाल मीणा ने सभी अधिकारियों को धरातल पर मौजूद रहने के निर्देश दिए, जिससे किसी प्रकार की जनहानि ना हो.

भीलवाड़ा, चित्तौड़गढ़ और प्रतापगढ़ में सक्रिय है मानसून

पढ़ें: SPECIAL: पाली में मानसून ने फिर दिया धोखा, आसमान की ओर टकटकी लगाए देखते रहे किसान

भीलवाड़ा सिंचाई विभाग के अधीक्षण अभियंता सत्यपाल मीणा ने ईटीवी भारत से खास बातचीत करते हुए कहा कि भीलवाड़ा सिंचाई विभाग के कार्यालय के अंतर्गत भीलवाड़ा, चित्तौड़गढ़ और प्रतापगढ़ जिले आते हैं. क्षेत्र में पिछले 24 घंटे में सबसे ज्यादा बारिश भीलवाड़ा जिले के जहाजपुर में हुई है. यहां 63 मिलीमीटर हुई है और उससे कम 60 मिलीमीटर बारिश गंगापुर क्षेत्र में हुई है. वहीं, चित्तौड़गढ़ में सबसे ज्यादा राशमी क्षेत्र में 84 मिलीमीटर बारिश दर्ज की गई है और प्रतापगढ़ जिले के अरनोद में 109 मिलीमीटर बारिश हुई है. इस बार जुलाई माह में मानसून सक्रिय नहीं था, लेकिन अगस्त माह में मानसून सक्रिय है. इससे सभी जगह नदियों और बांधों में पानी की आवक शुरू हुई है. वहीं, खरीफ की जो फसल किसानों ने बोई है, वो खलियानों में लहलहाने लगी है.

पढ़ें: ओसियां में हालात बदतर, रास्ते के अभाव में 6 घंटे तक नहीं हो सका शव का अंतिम संस्कार

अधीक्षण अभियंता सत्यपाल मीणा ने कहा कि मानसून सक्रिय होने के साथ जहां भी पानी की आवक शुरू हुई है, वहां मौके पर सभी अधिकारियों और कर्मचारियों को मौजूद रहने के निर्देश दिए हैं, जिससे कोई अनहोनी ना हो. उन्होंने उम्मीद जताते हुए कहा कि अगर मानसून इसी तरह सक्रिय रहा तो तीनों जिले के जो बांध खाली हैं, उनमें भी पानी की आवक हो सकती है. अब उम्मीद की जा रही कि मानसून ज्यादा दिनों तक सक्रिय रहे, जिससे तीनों जिले के तमाम बांध लबालब हो सकें और जिले के किसान रबी की फसल आसानी से बो सकें.

भीलवाड़ा. जुलाई महीने में भीलवाड़ा, चित्तौड़गढ़ और प्रतापगढ़ जिले में मानसून कमजोर रहा. लेकिन, अगस्त महीने में मानसून सक्रिय हो गया है. यहां पिछले 3 दिनों से तीनों जिले में बारिश जारी है. सभी जगह बारिश होने के कारण नदियों और तालाबों में पानी की आवक हो रही है. भीलवाड़ा के सिचाई विभाग के अंतर्गत आने वाले तीनों भीलवाड़ा, चित्तौड़गढ़ और प्रतापगढ़ जिले में मानसून सक्रिय होने के कारण सिंचाई विभाग के अधीक्षण अभियंता सत्यपाल मीणा ने सभी अधिकारियों को धरातल पर मौजूद रहने के निर्देश दिए, जिससे किसी प्रकार की जनहानि ना हो.

भीलवाड़ा, चित्तौड़गढ़ और प्रतापगढ़ में सक्रिय है मानसून

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भीलवाड़ा सिंचाई विभाग के अधीक्षण अभियंता सत्यपाल मीणा ने ईटीवी भारत से खास बातचीत करते हुए कहा कि भीलवाड़ा सिंचाई विभाग के कार्यालय के अंतर्गत भीलवाड़ा, चित्तौड़गढ़ और प्रतापगढ़ जिले आते हैं. क्षेत्र में पिछले 24 घंटे में सबसे ज्यादा बारिश भीलवाड़ा जिले के जहाजपुर में हुई है. यहां 63 मिलीमीटर हुई है और उससे कम 60 मिलीमीटर बारिश गंगापुर क्षेत्र में हुई है. वहीं, चित्तौड़गढ़ में सबसे ज्यादा राशमी क्षेत्र में 84 मिलीमीटर बारिश दर्ज की गई है और प्रतापगढ़ जिले के अरनोद में 109 मिलीमीटर बारिश हुई है. इस बार जुलाई माह में मानसून सक्रिय नहीं था, लेकिन अगस्त माह में मानसून सक्रिय है. इससे सभी जगह नदियों और बांधों में पानी की आवक शुरू हुई है. वहीं, खरीफ की जो फसल किसानों ने बोई है, वो खलियानों में लहलहाने लगी है.

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अधीक्षण अभियंता सत्यपाल मीणा ने कहा कि मानसून सक्रिय होने के साथ जहां भी पानी की आवक शुरू हुई है, वहां मौके पर सभी अधिकारियों और कर्मचारियों को मौजूद रहने के निर्देश दिए हैं, जिससे कोई अनहोनी ना हो. उन्होंने उम्मीद जताते हुए कहा कि अगर मानसून इसी तरह सक्रिय रहा तो तीनों जिले के जो बांध खाली हैं, उनमें भी पानी की आवक हो सकती है. अब उम्मीद की जा रही कि मानसून ज्यादा दिनों तक सक्रिय रहे, जिससे तीनों जिले के तमाम बांध लबालब हो सकें और जिले के किसान रबी की फसल आसानी से बो सकें.

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