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भीलवाड़ा: कोरोना काल पर लिखी पुस्तक 'मैं चांद नहीं छुपने दूंगा' का विमोचन - जिला कलेक्टर शिवप्रसाद एम नकाते

विश्वव्यापी कोरोना जैसी महामारी के समय भीलवाड़ा कलेक्ट्रेट कार्यालय में पद स्थापित वरिष्ठ विधि अधिकारी ताराचंद खेतावत का मन विचलित हो गया. उन्होंने कोरोना समय को लेकर एक काव्य पुस्तक संग्रहित की, जिसका विमोचन जिला कलेक्टर व मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट ने किया.

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मैं चांद नहीं छुपने दूंगा...
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Published : Jan 16, 2021, 3:46 PM IST

भीलवाड़ा. विश्वव्यापी कोरोना जैसी महामारी के समय भीलवाड़ा कलेक्ट्रेट कार्यालय में पद स्थापित वरिष्ठ विधि अधिकारी ताराचंद खेतावत का मन विचलित हो गया. उन्होंने कोरोना समय को लेकर एक काव्य पुस्तक संग्रहित की, जिसका विमोचन जिला कलेक्टर व मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट ने किया. पुस्तक में ताराचंद ने कोरोना की प्रस्तुति के साथ ही, देश के युवा स्वयं के चरित्र के निर्माण कर राष्ट्र निर्माण में बहुमूल्य योगदान दें जैसी कविता सग्रहित की है. पुस्तिका का नाम "मैं चांद नहीं छुपने दूंगा". पुस्तक का विमोचन भीलवाड़ा जिला कलेक्टर शिवप्रसाद एम नकाते, मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट अभिलाषा शर्मा व अतिरिक्त जिला कलेक्टर राकेश कुमार ने किया.

'मैं चांद नहीं छुपने दूंगा' का विमोचन...

इस दौरान वरिष्ठ विधि अधिकारी ताराचंद खेतावत ने ETV भारत से खास बातचीत की. उन्होंने कहा, कोरोना संक्रमण के दौरान में मैंने पैतृक गांव भीलवाड़ा जिले की सीमा पर 4 से 5 बार यात्रा की. उस दौरान मैंने देखा कि सड़कों पर बहुत सारे लोग अपने परिवार, बच्चों के साथ जा रहे हैं. उनकी आंखों में निराशा, दुख, पीड़ा, डर व भविष्य के प्रति आशंका स्पष्ट नजर आ रही थी. उनके बाद कोरोना का विस्तार होता गया. लोगों की मौत की खबरें आने लगी. उन सब बातों ने मेरे मन को बड़ा विचलित किया. इसी दौरान कुछ कविताओं का निर्माण हुआ, जो संक्रमण के दौरान मेरे मन में एक निराश थी. उनको दूर करने के लिए मैंने कविता के रूप में उकरने का प्रयास किया. जहां मैंने एक काव्य संग्रह किया जिसका नाम 'मैं चांद नहीं छुपने दूंगा' रखा है. जिसका विमोचन जिला कलेक्टर शिवप्रसाद एम नकाते, मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट अभिलाषा शर्मा व अतिरिक्त जिला कलेक्टर राकेश कुमार ने किया.

पढ़ें: राजस्थान में 90 सीटों पर निकाय चुनाव, बागियों को मनाने में जुटीं बीजेपी-कांग्रेस

काव्य संग्रह के मुख्य उद्देश्य के सवाल पर वरिष्ठ विधि अधिकारी ने कहा कि इस पुस्तक को प्रकाशित करने का मुख्य उद्देश्य है समाज में तत्कालीन समय में जो समस्या आ रही है, उसका समाज पर प्रभाव को दूर करने के लिए एक विकल्प देना है. कुछ समस्या का समाधान ईश्वर के माध्यम से ही हो सकता है. ईश्वर को याद कर, उस पर विश्वास कर कठिन समय निकल जाता है. उन्होंने वेदना की बात लिखी है कि हर व्यक्ति को मुश्किल समय में ईश्वर पर भरोसा रखना चाहिए.

मुख्य कौन-कौन सी कविता के सवाल पर वरिष्ठ विधि अधिकारी ने कहा कि मैंने गजल की 75, गीत माला की 8, छोटी कविता तीन संग्रहित की है. वहीं, उन्होंने लोगों से भी अपील की कि वे राष्ट्र निर्माण में अपनी भूमिकाओं को समझें. राष्ट्र निर्माण में युवा की सबसे अधिक भूमिका है. क्योंकि, वो राष्ट्र के भविष्य निर्धारित करने वाले लोग हैं. उनके क्रियाकलाप, विचार व कार्यपद्धती देश को आगे ले जाने की होती है. इसलिए युवा स्वयं के चरित्र का निर्माण कर राष्ट्र के चरित्र निर्माण में बहुमूल्य योगदान दें.

प्रमुख कविता...

यह रात अमावस की काली, तुमको मैं नहीं लगने दूंगा ।
वे सूर्य अगर नहीं उगने देंगे, मैं चांद नहीं छुपने दूंगा।।

जब नींव के पत्थर दो आंसू रोते हैं।
तब अर्श पर कंगूरे जगमग होते हैं ।।

नभ में जो इतने तिरंगे लहराये हैं ।
शहीदों की सांसो से हक पाए हैं ।।

गीत मंगल के अब गाय नहीं जाते ।
बीते दिन लौट कर आए नहीं जाते ।।

जिंदा कौम इंतजार नहीं करती ।
तकदीर से तकरार नहीं करती ।।

हवाओं के मोहताज नहीं होते दिए ।
वो जिनको मालिक का रजा जलाए।।

भीलवाड़ा. विश्वव्यापी कोरोना जैसी महामारी के समय भीलवाड़ा कलेक्ट्रेट कार्यालय में पद स्थापित वरिष्ठ विधि अधिकारी ताराचंद खेतावत का मन विचलित हो गया. उन्होंने कोरोना समय को लेकर एक काव्य पुस्तक संग्रहित की, जिसका विमोचन जिला कलेक्टर व मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट ने किया. पुस्तक में ताराचंद ने कोरोना की प्रस्तुति के साथ ही, देश के युवा स्वयं के चरित्र के निर्माण कर राष्ट्र निर्माण में बहुमूल्य योगदान दें जैसी कविता सग्रहित की है. पुस्तिका का नाम "मैं चांद नहीं छुपने दूंगा". पुस्तक का विमोचन भीलवाड़ा जिला कलेक्टर शिवप्रसाद एम नकाते, मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट अभिलाषा शर्मा व अतिरिक्त जिला कलेक्टर राकेश कुमार ने किया.

'मैं चांद नहीं छुपने दूंगा' का विमोचन...

इस दौरान वरिष्ठ विधि अधिकारी ताराचंद खेतावत ने ETV भारत से खास बातचीत की. उन्होंने कहा, कोरोना संक्रमण के दौरान में मैंने पैतृक गांव भीलवाड़ा जिले की सीमा पर 4 से 5 बार यात्रा की. उस दौरान मैंने देखा कि सड़कों पर बहुत सारे लोग अपने परिवार, बच्चों के साथ जा रहे हैं. उनकी आंखों में निराशा, दुख, पीड़ा, डर व भविष्य के प्रति आशंका स्पष्ट नजर आ रही थी. उनके बाद कोरोना का विस्तार होता गया. लोगों की मौत की खबरें आने लगी. उन सब बातों ने मेरे मन को बड़ा विचलित किया. इसी दौरान कुछ कविताओं का निर्माण हुआ, जो संक्रमण के दौरान मेरे मन में एक निराश थी. उनको दूर करने के लिए मैंने कविता के रूप में उकरने का प्रयास किया. जहां मैंने एक काव्य संग्रह किया जिसका नाम 'मैं चांद नहीं छुपने दूंगा' रखा है. जिसका विमोचन जिला कलेक्टर शिवप्रसाद एम नकाते, मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट अभिलाषा शर्मा व अतिरिक्त जिला कलेक्टर राकेश कुमार ने किया.

पढ़ें: राजस्थान में 90 सीटों पर निकाय चुनाव, बागियों को मनाने में जुटीं बीजेपी-कांग्रेस

काव्य संग्रह के मुख्य उद्देश्य के सवाल पर वरिष्ठ विधि अधिकारी ने कहा कि इस पुस्तक को प्रकाशित करने का मुख्य उद्देश्य है समाज में तत्कालीन समय में जो समस्या आ रही है, उसका समाज पर प्रभाव को दूर करने के लिए एक विकल्प देना है. कुछ समस्या का समाधान ईश्वर के माध्यम से ही हो सकता है. ईश्वर को याद कर, उस पर विश्वास कर कठिन समय निकल जाता है. उन्होंने वेदना की बात लिखी है कि हर व्यक्ति को मुश्किल समय में ईश्वर पर भरोसा रखना चाहिए.

मुख्य कौन-कौन सी कविता के सवाल पर वरिष्ठ विधि अधिकारी ने कहा कि मैंने गजल की 75, गीत माला की 8, छोटी कविता तीन संग्रहित की है. वहीं, उन्होंने लोगों से भी अपील की कि वे राष्ट्र निर्माण में अपनी भूमिकाओं को समझें. राष्ट्र निर्माण में युवा की सबसे अधिक भूमिका है. क्योंकि, वो राष्ट्र के भविष्य निर्धारित करने वाले लोग हैं. उनके क्रियाकलाप, विचार व कार्यपद्धती देश को आगे ले जाने की होती है. इसलिए युवा स्वयं के चरित्र का निर्माण कर राष्ट्र के चरित्र निर्माण में बहुमूल्य योगदान दें.

प्रमुख कविता...

यह रात अमावस की काली, तुमको मैं नहीं लगने दूंगा ।
वे सूर्य अगर नहीं उगने देंगे, मैं चांद नहीं छुपने दूंगा।।

जब नींव के पत्थर दो आंसू रोते हैं।
तब अर्श पर कंगूरे जगमग होते हैं ।।

नभ में जो इतने तिरंगे लहराये हैं ।
शहीदों की सांसो से हक पाए हैं ।।

गीत मंगल के अब गाय नहीं जाते ।
बीते दिन लौट कर आए नहीं जाते ।।

जिंदा कौम इंतजार नहीं करती ।
तकदीर से तकरार नहीं करती ।।

हवाओं के मोहताज नहीं होते दिए ।
वो जिनको मालिक का रजा जलाए।।

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