भीलवाड़ा. जिले से गुजरने वाले राष्ट्रीय राजमार्ग-79 पर मांडल चौराहे के पास औद्योगिक इकाई को बैंक का लोन नहीं चुकाना भारी पड़ गया है. बैंक ने गुरुवार को औद्योगिक इकाई के प्रवेश द्वार पर ताला लगाकर सीज कर दिया, जिससे हजारों मजदूर घंटों इंतजार करने के बाद मायूस होकर वापस घर लौटे.
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आईडीबीआई बैंक और स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (एसबीआई) समेत 7 बैंकों के करीब 144.57 करोड़ रुपये का ऋण बकाया होने पर भीलवाड़ा के एक टेक्सटाइल लिमिटेड की मांडल के गुढ़ा स्थित विविंग इकाई को सीज कर लिया गया है. इससे पूर्व इस टेक्सटाइल उद्योग समूह के संचालक के विजयनगर (अजमेर) स्थित मकान को कब्जे में लिया था. विविंग इकाई को अपने कब्जे में लेने की सूचना मिलते ही कपड़ा बाजार में हड़कम्प मच गया है. इस टेक्सटाइल्स लिमिटेड पर सात प्रमुख बैंकों के 144 करोड़ 57 लाख 96 हजार 998 रुपए बकाया है. सर्वाधिक 62.17 करोड़ रुपये एसबीआई के हैं. इसके अलावा आइडीबीआई, आइसीआइसीआई, ओरियंटल बैंक ऑफ कॉमर्स, पंजाब नेशनल बैंक, बैंक ऑफ बड़ौदा और तमिलनाडु मर्केंटाइल बैंक का पैसा फंसा हुआ है. इसकी वसूली के लिए सभी बैंकों की सह व्यवस्था बैंक सदस्य आइडीबीआई की नई दिल्ली स्थित शाखा ने की है.
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इस कार्रवाई से आस-पास की औद्योगिक इकाईयों में हड़कम्प मच गया है. हर कोई एक दूसरे से जानकारी लेने में जुट गया. वहीं, इस दौरान औद्योगिक समूहों में जब मजदूर काम के लिए सुबह पहुंचे तो अचानक गेट पर ताला देखकर हैरान रह गए. मजदूरों को औद्योगिक इकाई के मालिक ने आश्वासन दिया, जिसके बाद वो घर लौट गए.
कई मजदूर हो गए मायूस
औद्योगिक इकाई के प्रवेश द्वार पर जब मजदूर काम करने आए तब ताला देखकर मजदूर मायूस हो गए. मजदूर भोजन का टिफिन लेकर बड़े अरमान के साथ काम पर आए थे, लेकिन मजदूरों को प्रवेश द्वार पर ताला दिखाई दिया. मजदूरों का कहना है कि वैसे ही कोरोना के कारण काफी समय तक इंडस्ट्रीज बंद होने से रोजगार नहीं मिला था, वहीं, बैंक ने इंडस्ट्रीज को सीज कर दिया है, जिससे अब हमें परिवार चलाने के लिए दिक्कत होगी.