भीलवाड़ा. धनतेरस के दिन लोग घर में चांदी के सिक्के और बर्तन लाते हैं. लेकिन मेवाड़ में धनतेरस के दिन कुछ अलग ही परंपरा नजर आती है. भीलवाड़ा जिले में महिलाएं अलसुबह उठ कर खाली बर्तन लेकर घर से निकलती हैं और मिट्टी की पूजा कर अपने साथ मिट्टी ले आती हैं.
यहां माना जाता है कि मिट्टी में लक्ष्मी का वास होता है. घर में जितनी मिट्टी लाई जाएगी उतना ही लक्ष्मी का प्रवेश होगी और धन संपदा आएगी. दिवाली से दो दिन पहले आने वाले धनतेरस पर्व पर भीलवाड़ा के हिंदू समाज में लाल मिट्टी को पवित्र मानकर उसकी पूजा की जाती है.
भीलवाड़ा में महिलाएं सूर्य उदय होने से पहले घर से खाली बर्तन लेकर निकलती हैं और एक स्थान पर समूह के रूप में पहुंचकर मिट्टी की पूजा अर्चना करती हैं. इसके साथ महिलाएं बर्तन में मिट्टी भरकर सिर पर रखकर घर ले आती हैं. दिवाली के पर्व पर इसी मिट्टी से घर के आंगन को लीप कर शुद्ध किया जाता है.
मिट्टी की पूजा करने आई महिला दुर्गा देवी पायक ने बताया कि धनतेरस के पर्व पर हम सभी महिलाएं यहां पर मिट्टी लेने आए हैं, हम इस मिट्टी को धन का प्रतीक मानते हैं. क्योंकि पौराणिक काल में अनाज (धान) को धन माना जाता था. मिट्टी से अपने घर को बनाया जाता था. यह परंपरा कई सदियों से चली आ रही है. हम भी यह परंपरा निभा रहे हैं. हम इस मिट्टी की पूजा कर अपने घर ले जाएंगे.
पढ़ें- भीलवाड़ा के नवग्रह आश्रम में धनतेरस के दिन आयुर्वेद पद्धति से होता है निशुल्क इलाज
महिलाएं मिट्टी पूजने के लिए घर से पूजा का सामान लेकर निकलती हैं. रास्ते में वे एक स्थान पर रुककर विश्राम करती हैं. फिर मिट्टी पूजन कर उसे घर ले जाती हैं. एक अन्य महिला सुनीता शर्मा ने बताया कि मिट्टी को पूजने के लिए महिलाएं दीपक, कुमकुम, जल, अगरबत्ती और धान के रूप में गेहूं लेकर जाती हैं और मिट्टी की पूजा करती हैं.
इंसान मिट्टी से बना है और मिट्टी में ही खत्म हो जाता है. इसलिए इंसान का मिट्टी से गहरा नाता रहा है. यह नाता कई परंपराओं के रूप में सामने आता है. मिट्टी से ही हमें जीवन के लिये सभी जरूरी तत्व मिलते हैं. लिहाजा भीलवाड़ा के लोग अगर मिट्टी को ही धन मानते हैं, तो इसमें हैरत क्या है.