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किसान कथा : सिरेमिक इंडस्ट्री बंद कर खेत में उगाए नींबू...भाव कम मिले तो खुद अचार बनाकर बेचा, अब लाखों का कारोबार - lemon pickle

इंडस्ट्री बंद कर एक युवा किसान (young farmer) ने बिना दवाई छिड़के नींबू की उपज (lemon yield) लेना शुरू किया. भाव कम मिले तब भी हार नहीं मानी. नींबू का अचार (lemon pickle) बनाकर अब वह सालाना लाखों का कारोबार कर रहा है. युवा किसान अभिषेक ने कहा कि खेती ही ऐसा फील्ड है जहां आप 1 से 1000 बना सकते हो.

नींबू की खेती, अचार का कारोबार
नींबू की खेती, अचार का कारोबार
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Published : Aug 13, 2021, 7:35 PM IST

Updated : Aug 13, 2021, 7:57 PM IST

भीलवाड़ा. मन में हौसला हो तो किसी भी कार्य में प्रगति की जा सकती है. यही कर दिखाया भीलवाड़ा जिले के एक युवा किसान अभिषेक जैन ने. अभिषेक ने अपनी सिरेमिक इंडस्ट्री (ceramic industry) बंद कर बागवानी खेती (horticulture farming ) में हाथ आजमाए. अब दवाओं का छिड़काव किये बिना नींबू की सालाना लाखों रुपए की उपज ले रहे हैं.

वर्तमान दौर में देश मे ऑर्गेनिक खेती (organic farming ) पर विशेष जोर दिया जा रहा है. बाजार में उन उपज का अच्छा दाम मिल रहा है जिसमें दवा का छिड़काव नहीं होता. भीलवाड़ा जिले के आसींद पंचायत समिति के शक संग्रामगढ़ गांव के युवा किसान अभिषेक जैन को जब नींबू की उपज का भाव कम मिला तो उन्होंने नींबू के अचार (lemon pickle) का काम शुरू कर दिया. अब वे अपने ब्रांड को ऑनलाइन देशभर में बेच रहे हैं.

युवा किसान के संघर्ष और सफलता की कहानी

जैन समाज खेती से ज्यादा व्यवसाय पर विश्वास करता है. लेकिन अभिषेक जैन ने सिरेमिक इंडस्ट्री बंद कर अपने खेत पर नींबू के पौधे लगाए. नींबू के पौधों में उन्होंने दवा का छिड़काव नहीं किया. बारिश के सीजन में नींबू के भाव कम मिलने पर भी अभिषेक ने हार नहीं मानी.

नींबू की खेती, अचार का कारोबार
इंडस्ट्री छोड़कर लगाया नींबू का बगीचा

अभिषेक अब नींबू का अचार बनाकर ऑनलाइन ही भारत के अलग-अलग राज्यों में बेच रहे हैं. इससे उन्हें अधिक मुनाफा मिल रहा है. ईटीवी भारत ने युवा किसान से बात की. उनके खेत में देसी किस्म के नींबू लगे हैं. अभिषेक खुद दिन-रात इन पौधों की सार संभाल करते हैं.

पढ़ें-Special: श्रीगंगानगर के किसान का कमाल, तैयार की ट्रैक्टर माउंटेड स्प्रेयर मशीन...जो किसानों का 60 प्रतिशत तक खर्च बचाएगी

अभिषेक ने बताया कि मैंने वर्ष 2002 में डिग्री पूरी कर ली थी. इसके बाद भाई के साथ मार्बल और सेरेमिक इंडस्ट्री लगाई और काम करने लगा. 2007 में मेरे पिता का निधन हो गया तो वापस गांव आ गया और खेत में नींबू के पौधे लगाकर उनकी देख-रेख शुरू कर दी. अभिषेक ने बताया कि मैंने 6 बीघा जमीन पर नींबू के 350 पौधे लगा रखे हैं. ये देसी किस्म के नींबू हैं.

नींबू की खेती, अचार का कारोबार
नीबू की खेती कर अचार का काम कर रहे अभिषेक

इन्हें कागजी नींबू कहते हैं क्योंकि इसका छिलका कागज के जैसा पतला होता है. यह नींबू की रसीली किस्म है. अभिषेक ने बताया कि मैंने यहां सारे पौधे बीज से पौध तैयार करके लगाए हैं. मैं किसानों को यही कहना चाहता हूं कि अगर आप अपने खलियान में नींबू के पौधे लगाने चाहते हैं तो बीज से ही पौधा तैयार करें.

किसान अभिषेक जैन ने बताया कि मैं हमेशा फसल चक्र अपनाता हूं. इसलिए बारह महिने नींबू की उपज होती है. साल में तीन बार नींबू के पौधे पर फ्लावरिंग होती है. सितंबर माह में खुदाई करने के कारण गर्मी में नींबू के पौधे में अच्छे नींबू आते हैं. मार्च माह में फ्लावरिंग के समय ज्यादा पानी पिलाने से अगस्त और सितंबर माह में अच्छा उत्पादन होता है.

नींबू की खेती, अचार का कारोबार
सालाना लाखों का काम

अभिषेक ने बताया कि नींबू की कम उपज पर भी मैंने हार नहीं मानी. वर्षा ऋतु में नींबू के कम भाव मिलते हैं. तो मैंने घर पर ही नींबू का अचार बनाना शुरू किया और सोशल मीडिया के जरिए धीरे-धीरे वह व्यापार बढ़ता गया. मैं वर्ष 2018 से ही नींबू का अचार बना रहा हूं. वर्तमान में प्रतिवर्ष 2000 किलो नींबू का अचार बेच देता हूं. जिसके मुझे दस लाख रूपये हासिल होते हैं.

पढ़ें- चितौड़गढ़: ग्राफ्टेड तकनीक से आम की किस्मों को बढ़ावा देने में लगा कृषि विज्ञान केंद्र

अभिषेक ने बताया कि खेती मुझे विरासत में मिली है. मेरे दादाजी, पिताजी भी खेती करते थे. लेकिन मैं कुछ परिवर्तन करके बागवानी की खेती करता हूं. खेती एक ऐसा फिल्ड है जहां आप एक का एक हजार कर सकते हो. क्योंकि किसान अपने खलिहान में एक बीज डालता है और 1000 बीज पैदा करता है.

नींबू की खेती, अचार का कारोबार
ऑर्गेनिक खेती पर फोकस

अभिषेक ने कहा कि अगर बागवानी खेती करनी है तो ऑर्गेनिक खेती अच्छा विकल्प है. ऑर्गेनिक खेती से अच्छी उपज होती है और मानव जीवन के स्वास्थ्य पर बुरा प्रभाव नहीं पड़ता. मिट्टी भी सही रहती है. हरित क्रांति के बाद मिट्टी की सेहत बिगड़ चुकी है. इसे सुधारने के लिए अब हमें बिना खाद- दवाई वाली ऑर्गेनिक खेती करनी चाहिए.

भीलवाड़ा. मन में हौसला हो तो किसी भी कार्य में प्रगति की जा सकती है. यही कर दिखाया भीलवाड़ा जिले के एक युवा किसान अभिषेक जैन ने. अभिषेक ने अपनी सिरेमिक इंडस्ट्री (ceramic industry) बंद कर बागवानी खेती (horticulture farming ) में हाथ आजमाए. अब दवाओं का छिड़काव किये बिना नींबू की सालाना लाखों रुपए की उपज ले रहे हैं.

वर्तमान दौर में देश मे ऑर्गेनिक खेती (organic farming ) पर विशेष जोर दिया जा रहा है. बाजार में उन उपज का अच्छा दाम मिल रहा है जिसमें दवा का छिड़काव नहीं होता. भीलवाड़ा जिले के आसींद पंचायत समिति के शक संग्रामगढ़ गांव के युवा किसान अभिषेक जैन को जब नींबू की उपज का भाव कम मिला तो उन्होंने नींबू के अचार (lemon pickle) का काम शुरू कर दिया. अब वे अपने ब्रांड को ऑनलाइन देशभर में बेच रहे हैं.

युवा किसान के संघर्ष और सफलता की कहानी

जैन समाज खेती से ज्यादा व्यवसाय पर विश्वास करता है. लेकिन अभिषेक जैन ने सिरेमिक इंडस्ट्री बंद कर अपने खेत पर नींबू के पौधे लगाए. नींबू के पौधों में उन्होंने दवा का छिड़काव नहीं किया. बारिश के सीजन में नींबू के भाव कम मिलने पर भी अभिषेक ने हार नहीं मानी.

नींबू की खेती, अचार का कारोबार
इंडस्ट्री छोड़कर लगाया नींबू का बगीचा

अभिषेक अब नींबू का अचार बनाकर ऑनलाइन ही भारत के अलग-अलग राज्यों में बेच रहे हैं. इससे उन्हें अधिक मुनाफा मिल रहा है. ईटीवी भारत ने युवा किसान से बात की. उनके खेत में देसी किस्म के नींबू लगे हैं. अभिषेक खुद दिन-रात इन पौधों की सार संभाल करते हैं.

पढ़ें-Special: श्रीगंगानगर के किसान का कमाल, तैयार की ट्रैक्टर माउंटेड स्प्रेयर मशीन...जो किसानों का 60 प्रतिशत तक खर्च बचाएगी

अभिषेक ने बताया कि मैंने वर्ष 2002 में डिग्री पूरी कर ली थी. इसके बाद भाई के साथ मार्बल और सेरेमिक इंडस्ट्री लगाई और काम करने लगा. 2007 में मेरे पिता का निधन हो गया तो वापस गांव आ गया और खेत में नींबू के पौधे लगाकर उनकी देख-रेख शुरू कर दी. अभिषेक ने बताया कि मैंने 6 बीघा जमीन पर नींबू के 350 पौधे लगा रखे हैं. ये देसी किस्म के नींबू हैं.

नींबू की खेती, अचार का कारोबार
नीबू की खेती कर अचार का काम कर रहे अभिषेक

इन्हें कागजी नींबू कहते हैं क्योंकि इसका छिलका कागज के जैसा पतला होता है. यह नींबू की रसीली किस्म है. अभिषेक ने बताया कि मैंने यहां सारे पौधे बीज से पौध तैयार करके लगाए हैं. मैं किसानों को यही कहना चाहता हूं कि अगर आप अपने खलियान में नींबू के पौधे लगाने चाहते हैं तो बीज से ही पौधा तैयार करें.

किसान अभिषेक जैन ने बताया कि मैं हमेशा फसल चक्र अपनाता हूं. इसलिए बारह महिने नींबू की उपज होती है. साल में तीन बार नींबू के पौधे पर फ्लावरिंग होती है. सितंबर माह में खुदाई करने के कारण गर्मी में नींबू के पौधे में अच्छे नींबू आते हैं. मार्च माह में फ्लावरिंग के समय ज्यादा पानी पिलाने से अगस्त और सितंबर माह में अच्छा उत्पादन होता है.

नींबू की खेती, अचार का कारोबार
सालाना लाखों का काम

अभिषेक ने बताया कि नींबू की कम उपज पर भी मैंने हार नहीं मानी. वर्षा ऋतु में नींबू के कम भाव मिलते हैं. तो मैंने घर पर ही नींबू का अचार बनाना शुरू किया और सोशल मीडिया के जरिए धीरे-धीरे वह व्यापार बढ़ता गया. मैं वर्ष 2018 से ही नींबू का अचार बना रहा हूं. वर्तमान में प्रतिवर्ष 2000 किलो नींबू का अचार बेच देता हूं. जिसके मुझे दस लाख रूपये हासिल होते हैं.

पढ़ें- चितौड़गढ़: ग्राफ्टेड तकनीक से आम की किस्मों को बढ़ावा देने में लगा कृषि विज्ञान केंद्र

अभिषेक ने बताया कि खेती मुझे विरासत में मिली है. मेरे दादाजी, पिताजी भी खेती करते थे. लेकिन मैं कुछ परिवर्तन करके बागवानी की खेती करता हूं. खेती एक ऐसा फिल्ड है जहां आप एक का एक हजार कर सकते हो. क्योंकि किसान अपने खलिहान में एक बीज डालता है और 1000 बीज पैदा करता है.

नींबू की खेती, अचार का कारोबार
ऑर्गेनिक खेती पर फोकस

अभिषेक ने कहा कि अगर बागवानी खेती करनी है तो ऑर्गेनिक खेती अच्छा विकल्प है. ऑर्गेनिक खेती से अच्छी उपज होती है और मानव जीवन के स्वास्थ्य पर बुरा प्रभाव नहीं पड़ता. मिट्टी भी सही रहती है. हरित क्रांति के बाद मिट्टी की सेहत बिगड़ चुकी है. इसे सुधारने के लिए अब हमें बिना खाद- दवाई वाली ऑर्गेनिक खेती करनी चाहिए.

Last Updated : Aug 13, 2021, 7:57 PM IST
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