भीलवाड़ा. जिले के बागोर कस्बे में कोठारी नदी के नजदीक बसे गाड़िया लोहार बस्ती में जब वैक्सीनेशन के लिए टीम पहुंची तो अजीब स्थिति पैदा हो गई. गाड़िया लोहार समाज के लोग वैक्सीन के डर से भागने लगे. वहीं एक महिला स्वास्थ्य कर्मी के सामने हाथ जोड़कर गिड़गिड़ाने लगी. उसका कहना था कि भले संक्रमण से मौत हो जाए, लेकिन वे वैक्सीन नहीं लगवाएंगे.
बागोर प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र की टीम जब कोरोना का टीका लगाने पहुंची तो रामा गाडोलिया की पत्नी हाथ जोड़कर पैर पकड़कर स्वास्थ्य कर्मियों से टीका नहीं लगाने की गुहार करती नजर आई. स्वास्थ्य कर्मियों के लाख समझाने के बाद भी वह कोराना वैक्सीन लगाने के लिए तैयार नहीं हुई.
वहीं काम कर रहा एक पुरुष तो अपना काम छोड़कर ही भाग गया. जब स्वास्थ्य कर्मी टीका लगाने के लिए समझाने लगे तो महिला ने साफ मना करते हुए कहा कि हम किसी भी परिस्थिति में कोरोना का टीका नहीं लगाएंगे. परिवार के मुखिया रामा टीका लगाने के लिए तैयार हुआ तो सभी महिलाओं ने मिलकर उसे रोक दिया. महिलाओं का कहना था कि हमें तो टीका लगवाना ही नहीं है. हमें कोई टेंशन नहीं है.
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हालात ये बन गए कि जब मुखिया रामा गाडोलिया वैक्सीन के लिए तैयार हुआ तो एक तरफ से उसे टीम के सदस्यों ने पकड़ रखा था तो दूसरी तरफ से महिलाएं उसका हाथ पकड़ कर खींच रही थी. महिलाएं चाहती थी कि रामा वैक्सीन न लगवाए.
गाड़िया लोहारों का इतिहास
गाडोलिया लोहार आज भी बैलगाड़ी में निवास करते हैं और लोहे के औजार बनाते हैं. महाराणा प्रताप के अकबर से युद्ध के दौरान उनके जंगल- जंगल भटकने के समय इनके पूर्वजों ने सौगंध खाई थी कि जब तक महाराणा मेवाड़ को फतेह नहीं कर लेंगे तब तक वे पक्का घर बनाकर एक जगह नहीं रहेंगे. उस सौगंध के कारण ये परिवार आज भी गाड़ियों में ही रहते हैं.