भीलवाड़ा. अगर आदमी में कुछ करने का जुनून हो तो वह निश्चित रूप से लगन के साथ कुछ भी हासिल कर ही लेता है. यही नजीर पेश कर रहे हैं, भीलवाड़ा शहर के बापू नगर में रहने वाले गुलाब मिरचंदानी. जिन्होंने सरकारी नौकरी में सेवा की शुरुआत के साथ ही अनूठी लाइब्रेरी के संग्रहालय की शुरुआत की. जिसमें आज 18 हजार पुस्तके मौजूद हैं.
बता दें कि प्रदेश भर में कॉलेज व्याख्याताओं को भी जब गूगल या तमाम लाइब्रेरी में कोई किताब नहीं मिलती हैं तो वह भीलवाड़ा में गुलाब मिरचंदानी के पास आते हैं. मिरचंदानी के यहां आकर काफी हद तक उनकी खोज पूरी होती है.
नौकरी के शुरुआत के साथ ही की लाइब्रेरी की शुरुआत...
भीलवाड़ा के बापू नगर में रहने वाले 76 वर्षीय गुलाब मिरचंदानी ने अपने घर अनूठी लाइब्रेरी बना रखी है. मिरचंदानी ने बताया कि सरकारी सेवा में नौकरी के शुरुआत के साथ ही लाइब्रेरी की शुरुआत की थी. जहां मीरचंदानी ने सबसे पहले एक सौ रुपए में पुस्तक खरीदी थी.
पढ़ें- यात्रियों की सफल, सुखद और मंगलमय यात्रा के लिए जयपुर-इलाहाबाद Express train में लगेंगे LHB कोच
विभिन्न तरह की किताबें मौजूद...
मिरचंदानी की लाइब्रेरी में विभिन्न तरह के सिंधी साहित्य, राजनेताओं की, महापुरुषों की, धर्म, आध्यात्मिक, डॉ. भीमराव अंबेडकर, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ, मेवाड़ राजघराना, मेवाड़ इतिहास, महाराणा प्रताप, रानी पद्मावती, विभिन्न युग के पाषाण युग के सिक्कों पर किताब सहित महात्मा गांधी और विवेकानंद की जीवनी के बारे में किताबें संरक्षित हैं.
अजमेर की लहर किताब के संपादक प्रेमचंद जैन के संपर्क में आने से शुरू हुआ सफर...
मिरचंदानी के किताबों के शोक का सफर अजमेर की लहर किताब के संपादक प्रेमचंद जैन के संपर्क में आने से शुरू हुआ. जब वह 20 साल के थे यह किताब रूस तक जाती थी. डाक विभाग में लिपिक के पद पर भर्ती होने पर साल 1964 में पहले वेतन से उन्होंने 100 रुपये से शरतचंद्र के उपन्यास का पूरा सेट खरीदा था. इसकी कीमत का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि तब 63 रुपये में 1 तोला सोना आता था. यानि उनकी पहली किताब सोने से महंगी थी.
गुलाब मिरचंदानी ने ईटीवी भारत से खास बातचीत में कहा कि मैंने नौकरी की जॉइनिंग 3 फरवरी 1964 के दिन की थी. इसी दिन लाइब्रेरी की पहली किताब खरीदी थी. सबसे पहले शरदचंद्र का पूरा सेट अजमेर से मात्र 100 रुपये में खरीदा था. आज वह सेट 400 से 500 रुपये में मिल रहा है. उन्होंने बताया कि अजमेर में नौकरी के दौरान लहर के संपादक की प्रेरणा से लाइब्रेरी बनाने की शुरुआत की थी.
पढ़ें- सर्दी के तेवर के साथ जयपुर नगर निगम ने शहर में शुरू किए अस्थाई रैन बसेरे
अधिकांश सिंधी साहित्य अरबी लिपि में उपलब्ध...
मिरचंदानी ने हिंदी साहित्य की 5 हजार से अधिक किताबों का संरक्षण किया हुआ है. जो भी सिंधी साहित्य पढ़ना चाहता है वह यहां पढ़ सकता है. अधिकांश सिंधी साहित्य अरबी लिपि में उपलब्ध है. वहीं 18 हजिर कवि, स्वास्थ्य, शेष, पत्रकारिता, इतिहास, हिंदी, जीवनिया, नेपोलियन बोनापार्ट से महात्मा गांधी का पूरा सेट राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का इतिहास, आरएसएस के अंदर जो इस्लामिक के रूप में लिखा है. उनका इतिहास,मेवाड़ का इतिहास सहित सभी तरह के उपन्यास महाभारत, रामायण सभी धर्मों के धार्मिक ग्रंथ, सभी लिपियां, सभी सिखों की किताबें उपलब्ध हैं. साथ ही मेवाड़ का तमाम इतिहास यहां मौजूद है. बताया कि कम से कम यहां 500 किताबें संग्रहित कर रखी गई हैं.
यूपीएससी की तैयारी कर रहे छात्र यहां आकर पढ़ते हैं किताबें...
बता दें कि यूपीएससी की तैयारी कर रहे छात्रों को भी जो पुस्कतें बाहर नहीं मिलती वह भी यहां आकर अध्ययन करते. वहीं इसके मुख्य उद्देश्य के सवाल पर मिरचंदानी ने कहा कि आदमी किसी को हेल्प कर सके इससे बड़ा क्या होगा. उन्होंने कहा कि जीवन में हमेशा आदमी को व्यस्त रहना चाहिए और मैं इसमें व्यस्त हूं. समय अच्छा निकले दूसरों की बुराई से दूर रहें इसी को ध्यान में रखते हुए मैंने इस संग्रहालय की शुरुआत की.