ETV Bharat / city

Special: रिटायरमेंट के बाद इन्होंने बनाई 18 हजार पुस्तकों की लाइब्रेरी, UPSC की तैयारी करने वाले छात्र भी यहां पढ़ते हैं किताबें - free books available in library

देश सहित प्रदेश में इंटरनेट पर जो किताब नहीं मिलती, वह किताब भीलवाड़ा के रहने वाले गुलाब मिरचंदानी के पास मिल जाएगी. जी हां, मिरचंदानी ने अपने घर पर अनूठी लाइब्रेरी बना रखी है, जिसमें 18 हजार पुस्तके मौजूद हैं. बता दें कि यूपीएससी की तैयारी करने वाले छात्र भी गुलाब मिरचंदानी के घर पहुंच कर पुस्तकों से ज्ञान लेते हैं.

Bhilwara latest news, भीलवाड़ा न्यूज, unique library of Bhilwara, भीलवाड़ा की अनूठी लाइब्रेरी, गुलाब मिरचंदानी, निशुल्क देखते हैं किताबें,
Bhilwara latest news, भीलवाड़ा न्यूज, unique library of Bhilwara, भीलवाड़ा की अनूठी लाइब्रेरी, गुलाब मिरचंदानी, निशुल्क देखते हैं किताबें
author img

By

Published : Dec 7, 2019, 1:19 PM IST

भीलवाड़ा. अगर आदमी में कुछ करने का जुनून हो तो वह निश्चित रूप से लगन के साथ कुछ भी हासिल कर ही लेता है. यही नजीर पेश कर रहे हैं, भीलवाड़ा शहर के बापू नगर में रहने वाले गुलाब मिरचंदानी. जिन्होंने सरकारी नौकरी में सेवा की शुरुआत के साथ ही अनूठी लाइब्रेरी के संग्रहालय की शुरुआत की. जिसमें आज 18 हजार पुस्तके मौजूद हैं.

रिटायरमेंट के बाद भी अनूठी लाइब्रेरी बना रखी है मिरचंदानी ने

बता दें कि प्रदेश भर में कॉलेज व्याख्याताओं को भी जब गूगल या तमाम लाइब्रेरी में कोई किताब नहीं मिलती हैं तो वह भीलवाड़ा में गुलाब मिरचंदानी के पास आते हैं. मिरचंदानी के यहां आकर काफी हद तक उनकी खोज पूरी होती है.

नौकरी के शुरुआत के साथ ही की लाइब्रेरी की शुरुआत...

भीलवाड़ा के बापू नगर में रहने वाले 76 वर्षीय गुलाब मिरचंदानी ने अपने घर अनूठी लाइब्रेरी बना रखी है. मिरचंदानी ने बताया कि सरकारी सेवा में नौकरी के शुरुआत के साथ ही लाइब्रेरी की शुरुआत की थी. जहां मीरचंदानी ने सबसे पहले एक सौ रुपए में पुस्तक खरीदी थी.

पढ़ें- यात्रियों की सफल, सुखद और मंगलमय यात्रा के लिए जयपुर-इलाहाबाद Express train में लगेंगे LHB कोच

विभिन्न तरह की किताबें मौजूद...

मिरचंदानी की लाइब्रेरी में विभिन्न तरह के सिंधी साहित्य, राजनेताओं की, महापुरुषों की, धर्म, आध्यात्मिक, डॉ. भीमराव अंबेडकर, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ, मेवाड़ राजघराना, मेवाड़ इतिहास, महाराणा प्रताप, रानी पद्मावती, विभिन्न युग के पाषाण युग के सिक्कों पर किताब सहित महात्मा गांधी और विवेकानंद की जीवनी के बारे में किताबें संरक्षित हैं.

अजमेर की लहर किताब के संपादक प्रेमचंद जैन के संपर्क में आने से शुरू हुआ सफर...

मिरचंदानी के किताबों के शोक का सफर अजमेर की लहर किताब के संपादक प्रेमचंद जैन के संपर्क में आने से शुरू हुआ. जब वह 20 साल के थे यह किताब रूस तक जाती थी. डाक विभाग में लिपिक के पद पर भर्ती होने पर साल 1964 में पहले वेतन से उन्होंने 100 रुपये से शरतचंद्र के उपन्यास का पूरा सेट खरीदा था. इसकी कीमत का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि तब 63 रुपये में 1 तोला सोना आता था. यानि उनकी पहली किताब सोने से महंगी थी.

गुलाब मिरचंदानी ने ईटीवी भारत से खास बातचीत में कहा कि मैंने नौकरी की जॉइनिंग 3 फरवरी 1964 के दिन की थी. इसी दिन लाइब्रेरी की पहली किताब खरीदी थी. सबसे पहले शरदचंद्र का पूरा सेट अजमेर से मात्र 100 रुपये में खरीदा था. आज वह सेट 400 से 500 रुपये में मिल रहा है. उन्होंने बताया कि अजमेर में नौकरी के दौरान लहर के संपादक की प्रेरणा से लाइब्रेरी बनाने की शुरुआत की थी.

पढ़ें- सर्दी के तेवर के साथ जयपुर नगर निगम ने शहर में शुरू किए अस्थाई रैन बसेरे

अधिकांश सिंधी साहित्य अरबी लिपि में उपलब्ध...

मिरचंदानी ने हिंदी साहित्य की 5 हजार से अधिक किताबों का संरक्षण किया हुआ है. जो भी सिंधी साहित्य पढ़ना चाहता है वह यहां पढ़ सकता है. अधिकांश सिंधी साहित्य अरबी लिपि में उपलब्ध है. वहीं 18 हजिर कवि, स्वास्थ्य, शेष, पत्रकारिता, इतिहास, हिंदी, जीवनिया, नेपोलियन बोनापार्ट से महात्मा गांधी का पूरा सेट राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का इतिहास, आरएसएस के अंदर जो इस्लामिक के रूप में लिखा है. उनका इतिहास,मेवाड़ का इतिहास सहित सभी तरह के उपन्यास महाभारत, रामायण सभी धर्मों के धार्मिक ग्रंथ, सभी लिपियां, सभी सिखों की किताबें उपलब्ध हैं. साथ ही मेवाड़ का तमाम इतिहास यहां मौजूद है. बताया कि कम से कम यहां 500 किताबें संग्रहित कर रखी गई हैं.

यूपीएससी की तैयारी कर रहे छात्र यहां आकर पढ़ते हैं किताबें...

बता दें कि यूपीएससी की तैयारी कर रहे छात्रों को भी जो पुस्कतें बाहर नहीं मिलती वह भी यहां आकर अध्ययन करते. वहीं इसके मुख्य उद्देश्य के सवाल पर मिरचंदानी ने कहा कि आदमी किसी को हेल्प कर सके इससे बड़ा क्या होगा. उन्होंने कहा कि जीवन में हमेशा आदमी को व्यस्त रहना चाहिए और मैं इसमें व्यस्त हूं. समय अच्छा निकले दूसरों की बुराई से दूर रहें इसी को ध्यान में रखते हुए मैंने इस संग्रहालय की शुरुआत की.

भीलवाड़ा. अगर आदमी में कुछ करने का जुनून हो तो वह निश्चित रूप से लगन के साथ कुछ भी हासिल कर ही लेता है. यही नजीर पेश कर रहे हैं, भीलवाड़ा शहर के बापू नगर में रहने वाले गुलाब मिरचंदानी. जिन्होंने सरकारी नौकरी में सेवा की शुरुआत के साथ ही अनूठी लाइब्रेरी के संग्रहालय की शुरुआत की. जिसमें आज 18 हजार पुस्तके मौजूद हैं.

रिटायरमेंट के बाद भी अनूठी लाइब्रेरी बना रखी है मिरचंदानी ने

बता दें कि प्रदेश भर में कॉलेज व्याख्याताओं को भी जब गूगल या तमाम लाइब्रेरी में कोई किताब नहीं मिलती हैं तो वह भीलवाड़ा में गुलाब मिरचंदानी के पास आते हैं. मिरचंदानी के यहां आकर काफी हद तक उनकी खोज पूरी होती है.

नौकरी के शुरुआत के साथ ही की लाइब्रेरी की शुरुआत...

भीलवाड़ा के बापू नगर में रहने वाले 76 वर्षीय गुलाब मिरचंदानी ने अपने घर अनूठी लाइब्रेरी बना रखी है. मिरचंदानी ने बताया कि सरकारी सेवा में नौकरी के शुरुआत के साथ ही लाइब्रेरी की शुरुआत की थी. जहां मीरचंदानी ने सबसे पहले एक सौ रुपए में पुस्तक खरीदी थी.

पढ़ें- यात्रियों की सफल, सुखद और मंगलमय यात्रा के लिए जयपुर-इलाहाबाद Express train में लगेंगे LHB कोच

विभिन्न तरह की किताबें मौजूद...

मिरचंदानी की लाइब्रेरी में विभिन्न तरह के सिंधी साहित्य, राजनेताओं की, महापुरुषों की, धर्म, आध्यात्मिक, डॉ. भीमराव अंबेडकर, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ, मेवाड़ राजघराना, मेवाड़ इतिहास, महाराणा प्रताप, रानी पद्मावती, विभिन्न युग के पाषाण युग के सिक्कों पर किताब सहित महात्मा गांधी और विवेकानंद की जीवनी के बारे में किताबें संरक्षित हैं.

अजमेर की लहर किताब के संपादक प्रेमचंद जैन के संपर्क में आने से शुरू हुआ सफर...

मिरचंदानी के किताबों के शोक का सफर अजमेर की लहर किताब के संपादक प्रेमचंद जैन के संपर्क में आने से शुरू हुआ. जब वह 20 साल के थे यह किताब रूस तक जाती थी. डाक विभाग में लिपिक के पद पर भर्ती होने पर साल 1964 में पहले वेतन से उन्होंने 100 रुपये से शरतचंद्र के उपन्यास का पूरा सेट खरीदा था. इसकी कीमत का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि तब 63 रुपये में 1 तोला सोना आता था. यानि उनकी पहली किताब सोने से महंगी थी.

गुलाब मिरचंदानी ने ईटीवी भारत से खास बातचीत में कहा कि मैंने नौकरी की जॉइनिंग 3 फरवरी 1964 के दिन की थी. इसी दिन लाइब्रेरी की पहली किताब खरीदी थी. सबसे पहले शरदचंद्र का पूरा सेट अजमेर से मात्र 100 रुपये में खरीदा था. आज वह सेट 400 से 500 रुपये में मिल रहा है. उन्होंने बताया कि अजमेर में नौकरी के दौरान लहर के संपादक की प्रेरणा से लाइब्रेरी बनाने की शुरुआत की थी.

पढ़ें- सर्दी के तेवर के साथ जयपुर नगर निगम ने शहर में शुरू किए अस्थाई रैन बसेरे

अधिकांश सिंधी साहित्य अरबी लिपि में उपलब्ध...

मिरचंदानी ने हिंदी साहित्य की 5 हजार से अधिक किताबों का संरक्षण किया हुआ है. जो भी सिंधी साहित्य पढ़ना चाहता है वह यहां पढ़ सकता है. अधिकांश सिंधी साहित्य अरबी लिपि में उपलब्ध है. वहीं 18 हजिर कवि, स्वास्थ्य, शेष, पत्रकारिता, इतिहास, हिंदी, जीवनिया, नेपोलियन बोनापार्ट से महात्मा गांधी का पूरा सेट राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का इतिहास, आरएसएस के अंदर जो इस्लामिक के रूप में लिखा है. उनका इतिहास,मेवाड़ का इतिहास सहित सभी तरह के उपन्यास महाभारत, रामायण सभी धर्मों के धार्मिक ग्रंथ, सभी लिपियां, सभी सिखों की किताबें उपलब्ध हैं. साथ ही मेवाड़ का तमाम इतिहास यहां मौजूद है. बताया कि कम से कम यहां 500 किताबें संग्रहित कर रखी गई हैं.

यूपीएससी की तैयारी कर रहे छात्र यहां आकर पढ़ते हैं किताबें...

बता दें कि यूपीएससी की तैयारी कर रहे छात्रों को भी जो पुस्कतें बाहर नहीं मिलती वह भी यहां आकर अध्ययन करते. वहीं इसके मुख्य उद्देश्य के सवाल पर मिरचंदानी ने कहा कि आदमी किसी को हेल्प कर सके इससे बड़ा क्या होगा. उन्होंने कहा कि जीवन में हमेशा आदमी को व्यस्त रहना चाहिए और मैं इसमें व्यस्त हूं. समय अच्छा निकले दूसरों की बुराई से दूर रहें इसी को ध्यान में रखते हुए मैंने इस संग्रहालय की शुरुआत की.

Intro:नोट- यह स्पेशल खबर है इसमें वॉइस और वहीं से करने का कष्ट करें ।

भीलवाड़ा- अगर आदमी में कुछ करने का जुनून हो तो वह निश्चित रूप से लगन के साथ कुछ हासिल कर ही लेता है । यही नजीर पेश कर रहे हैं भीलवाड़ा शहर के बापू नगर में रहने वाले गुलाब मिरचंदानी। जहां सरकारी नौकरी में सेवा की शुरुआत के साथ ही अनूठी लाइब्रेरी के संग्रहालय की शुरुआत की जो आज लाईब्रेरी मे 18 हजार पुस्तकों तक आंकड़ा पहुंच गया है। जहां देश सहित प्रदेश में ईटरनेट पर जो किताब नहीं मिलती है वही यूपीएससी की तैयारी करने वाले छात्र भी गुलाब मिरचंदानी के घर पहुंच कर पाठ्य पुस्तकों से ज्ञान लेते हैं।


Body:प्रदेशभर में कॉलेज व्याख्याताओं को भी जब गूगल या तमाम लाइब्रेरी में कोई किताब नहीं मिलती है तो वह भीलवाड़ा में गुलाब मिरचंदानी के पास आते हैं । मिरचंदानी के यहां आकर काफी हद तक उनकी खोज पूरी होती है । यह खोज हो भी क्यों नहीं हो आखिर मीरचंदानी के पास इतना किताबों का जो खजाना है वह अट्ठारह हजार के पार पहुंच गया है।

भीलवाड़ा शहर के बापू नगर में रहने वाले 76 वर्षीय गुलाब मिरचंदानी ने अपने घर अनूठी लाइब्रेरी बना रखी है। मिरचंदानी की सरकारी सेवा में नौकरी के शुरुआत के साथ ही लाइब्रेरी की शुरुआत की । जहां मीरचंदानी ने सबसे पहले उन्होंने सो रुपए में शरद चंद्र की किताब खरीद कर सन 1964 में शुरुआत की थी। जब सोना भी 65 रूपये प्रति तोला था यानी सोने से महंगी पहली किताब खरीदी थी । उसके बाद अब तक उनकी लाइब्रेरी में विभिन्न तरह के सिंधी साहित्य ,राजनेताओं की ,महापुरुषों की, धर्म ,आध्यात्मिक ,डॉ भीमराव अंबेडकर ,राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ, मेवाड़ राजघराना ,मेवाड़ इतिहास, महाराणा प्रताप ,रानी पद्मावती ,विभिन्न युग के पाषाण युग के सिक्कों पर किताब सहित महात्मा गांधी व विवेकानंद की जीवनी के बारे में किताबें संरक्षित है।

बापू नगर के मीरचंदानी के किताबों के शोक का सफर अजमेर की लहर किताब के संपादक प्रेमचंद जैन के संपर्क में आने के साथ तब शुरू हुआ । जब वह 20 साल के थे यह किताब रूस तक जाती थी डाक विभाग में लिपिक के पद पर भर्ती होने पर साल 1964 में पहले वेतन के 100 रूपये से शरतचंद्र के उपन्यास का पूरा सेट खरीदा था। इस कीमत का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि तब 63 रूपये में 1 तोला सोना आता था। मीरचंदानी हिंदी साहित्य की 5000 से अधिक किताबों का संरक्षण किया हुआ है । जो भी सिंधी साहित्य पढ़ना चाहता है वह यहां पढ सकता है । अधिकांश सिंधी साहित्य अरबी लिपि में उपलब्ध है।

ईटीवी भारत की टीम जब भीलवाड़ा शहर के बापू नगर में रहने वाले 76 वर्षीय डाक विभाग से रिटायर कर्मचारी गुलाब मीरचंदानी के घर पहुंची तो उनकी लाइब्रेरी में उनको काम करते देख ईटीवी भारत की टीम भी दंग रह गई।

गुलाब मिरचंदानी ने ईटीवी भारत से खास बातचीत करते हुए कहा कि मैंने इनकी शुरुआत नौकरी के पहले दिन जॉइनिंग 3 फरवरी 1964 के दिन ही इसकी लाइब्रेरी की पहली किताब खरीदी थी । सबसे पहले शरदचंद्र का पूरा सेट अजमेर से खरीदा मात्र 100 रूपये में खरीदा था। आज वह सेट 400 से 500 रूपये में मिल रहा है। अजमेर में नौकरी के दौरान मैं लहर के संपादक की प्रेरणा से लाइब्रेरी बनाने की शुरुआत की थी । हमारे पास 18 हजिर कवि, स्वास्थ्य, शेष ,पत्रकारिता, इतिहास ,हिंदी, जीवनिया, नेपोलियन बोनापार्ट से महात्मा गांधी का पूरा सेट राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का इतिहास, आरएसएस के अंदर जो इस्लामिक के रूप में लिखा है उनका इतिहास,मेवाड़ का इतिहास सहित सभी तरह के उपन्यास महाभारत, रामायण सभी धर्मों के धार्मिक ग्रंथ, सभी लिपियां, सभी सिखों की किताबें उपलब्ध है। साथ ही मेवाड़ का तमाम इतिहास या मौजूद है इसमें भी मेवाड़ शब्द है राजपूताना शब्द है उसमें कम से कम या 500 किताबें संग्रहित कर रखी है ।

इसके मुख्य उद्देश्य के सवाल पर मिरचंदानी ने कहा कि आदमी किसी को हेल्प कर सके, जीवन में हमेशा आदमी व्यस्त रहना चाहिए, इससे मैं व्यस्त हूं समय अच्छा निकले दूसरों की बुराई से दूर रहें इसी को ध्यान में रखते हुए मैंने इस संग्रहालय की शुरुआत की।
जो यूपीएससी की तैयारी कर रहे हैं छात्र वह भी यहां आकर जो पुस्तके वहां उनको कहीं नहीं मिलती है यहां आकर अध्ययन करते हैं यहां तक कि जब उनको पाठ्यपुस्तक की जरूरत होती है तो मैं स्वयं मेरे खर्चे से फोटोस्टेट करवा कर उसको उपलब्ध करवाता हूं।

वास्तव में गुलाब मिरचंदानी के जज्बे को ईटीवी भारत भी सलाम करती है । निश्चित रूप से इसी तरह और संग्रहालय में यूपीएससी की तैयारी करने वाले छात्र को अगर इसी तरह निशुल्क के किताब मिलती है तो देश का भविष्य भी सुधर सकता है ।

सोमदत्त त्रिपाठी ईटीवी भारत भीलवाड़ा ।

वन टू वन- गुलाब मिरचंदानी
पाठ्य पुस्तकों का संग्रहण करता


Conclusion:
ETV Bharat Logo

Copyright © 2025 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.