भीलवाड़ा. कई बार सोशल मीडिया और अखबारों में हम आम लोगों के इनोवेशन के बारे में पढ़ते सुनते हैं. हम देखते हैं कि कैसे कम संसाधनों और बिना किसी फॉर्मल एजुकेशन के गांव देहात के लोग भी कुछ ऐसे जुगाड़ बनाते हैं, जो सस्ता और फायदेमंद होता है. ऐसा ही कुछ देखने को मिला भीलवाड़ा जिले में.
जिले में एक किसान ने अपनी फसलों की निराई गुड़ाई के लिए एक देशी जुगाड़ बनाया है. लादूराम मोटरसाइकिल के पीछे हल बांधकर और उस पर वजन रख कर फसलों निराई-गुड़ाई कर रहा हैं. लादूराम का कहना है कि इससे कम समय में और कम पैसों में निराई-गुड़ाई हो जाती हैं.
लादूराम ने 20 बीघा में कपास की फसल लगाई है. इसकी निराई-गुड़ाई में किसान ने बताया कि जुगाड़ बनाने में 7 हजार की लागत आई है. जुगाड़ से निराई-गुड़ाई करने में एक बीघा में 1 लीटर के करीब पेट्रोल लग जाता है. लादूराम का कहना है कि आधुनिक दौर में कृषि करना घाटे का सौदा हो गया है. मजदूरों से निराई-गुड़ाई कराने में लागत भी ज्यादा आती है और समय भी ज्यादा लगता है.
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लादूराम ने यह जुगाड़ कहीं और देखा था. जिसके बाद उसने अपने खेतों में भी इसको काम में लेने की सोची. आधुनिक समय में जहां दुनिया के दूसरे देशों में किसान आधुनिक उपकरणों के सहारे अपनी पैदावार को बढ़ा रहे हैं. वहीं भारत में अब भी परम्परागत तरीकों से खेती की जाती है. सरकार को चाहिए की खेती को आसान और सस्ता बनाने के लिए किसानों को ट्रेनिंग दी जाए.