ETV Bharat / city

भीलवाड़ा: थोड़ा समय और कम लागत में निराई-गुड़ाई करनी है तो, अपनाएं लादूराम का ये तरीका - Native Innovation in bhilwara

भीलवाड़ा जिले में लादूराम अपनी फसलों की निराई-गुड़ाई जुगाड़ से कर रहा हैं. जिससे कम समय और लागत में काम हो जाता है. लादूराम ने जुगाड़ मोटरसाइकिल के पीछे हल फिट करके बनाया है. जुगाड़ बनाने में करीब 7 हजार की लागत आई.

rajasthan news,  crops Weeding,  weeding crops with jugaad,  Native Innovation in bhilwara,  निराई-गुड़ाई
कम समय और लागत में निराई-गुड़ाई
author img

By

Published : Jul 9, 2020, 5:38 PM IST

भीलवाड़ा. कई बार सोशल मीडिया और अखबारों में हम आम लोगों के इनोवेशन के बारे में पढ़ते सुनते हैं. हम देखते हैं कि कैसे कम संसाधनों और बिना किसी फॉर्मल एजुकेशन के गांव देहात के लोग भी कुछ ऐसे जुगाड़ बनाते हैं, जो सस्ता और फायदेमंद होता है. ऐसा ही कुछ देखने को मिला भीलवाड़ा जिले में.

जिले में एक किसान ने अपनी फसलों की निराई गुड़ाई के लिए एक देशी जुगाड़ बनाया है. लादूराम मोटरसाइकिल के पीछे हल बांधकर और उस पर वजन रख कर फसलों निराई-गुड़ाई कर रहा हैं. लादूराम का कहना है कि इससे कम समय में और कम पैसों में निराई-गुड़ाई हो जाती हैं.

जुगाड़ बनाने में लगे 7 हजार रुपए

लादूराम ने 20 बीघा में कपास की फसल लगाई है. इसकी निराई-गुड़ाई में किसान ने बताया कि जुगाड़ बनाने में 7 हजार की लागत आई है. जुगाड़ से निराई-गुड़ाई करने में एक बीघा में 1 लीटर के करीब पेट्रोल लग जाता है. लादूराम का कहना है कि आधुनिक दौर में कृषि करना घाटे का सौदा हो गया है. मजदूरों से निराई-गुड़ाई कराने में लागत भी ज्यादा आती है और समय भी ज्यादा लगता है.

पढ़ें: डूंगरपुर: अतिवृष्टि में टूटे एनीकट की 14 साल से नहीं ली सुध, किसान हो रहे परेशान

लादूराम ने यह जुगाड़ कहीं और देखा था. जिसके बाद उसने अपने खेतों में भी इसको काम में लेने की सोची. आधुनिक समय में जहां दुनिया के दूसरे देशों में किसान आधुनिक उपकरणों के सहारे अपनी पैदावार को बढ़ा रहे हैं. वहीं भारत में अब भी परम्परागत तरीकों से खेती की जाती है. सरकार को चाहिए की खेती को आसान और सस्ता बनाने के लिए किसानों को ट्रेनिंग दी जाए.

भीलवाड़ा. कई बार सोशल मीडिया और अखबारों में हम आम लोगों के इनोवेशन के बारे में पढ़ते सुनते हैं. हम देखते हैं कि कैसे कम संसाधनों और बिना किसी फॉर्मल एजुकेशन के गांव देहात के लोग भी कुछ ऐसे जुगाड़ बनाते हैं, जो सस्ता और फायदेमंद होता है. ऐसा ही कुछ देखने को मिला भीलवाड़ा जिले में.

जिले में एक किसान ने अपनी फसलों की निराई गुड़ाई के लिए एक देशी जुगाड़ बनाया है. लादूराम मोटरसाइकिल के पीछे हल बांधकर और उस पर वजन रख कर फसलों निराई-गुड़ाई कर रहा हैं. लादूराम का कहना है कि इससे कम समय में और कम पैसों में निराई-गुड़ाई हो जाती हैं.

जुगाड़ बनाने में लगे 7 हजार रुपए

लादूराम ने 20 बीघा में कपास की फसल लगाई है. इसकी निराई-गुड़ाई में किसान ने बताया कि जुगाड़ बनाने में 7 हजार की लागत आई है. जुगाड़ से निराई-गुड़ाई करने में एक बीघा में 1 लीटर के करीब पेट्रोल लग जाता है. लादूराम का कहना है कि आधुनिक दौर में कृषि करना घाटे का सौदा हो गया है. मजदूरों से निराई-गुड़ाई कराने में लागत भी ज्यादा आती है और समय भी ज्यादा लगता है.

पढ़ें: डूंगरपुर: अतिवृष्टि में टूटे एनीकट की 14 साल से नहीं ली सुध, किसान हो रहे परेशान

लादूराम ने यह जुगाड़ कहीं और देखा था. जिसके बाद उसने अपने खेतों में भी इसको काम में लेने की सोची. आधुनिक समय में जहां दुनिया के दूसरे देशों में किसान आधुनिक उपकरणों के सहारे अपनी पैदावार को बढ़ा रहे हैं. वहीं भारत में अब भी परम्परागत तरीकों से खेती की जाती है. सरकार को चाहिए की खेती को आसान और सस्ता बनाने के लिए किसानों को ट्रेनिंग दी जाए.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2025 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.