ETV Bharat / city

मेवाड़ के प्रसिद्ध महंत 1008 खंडे़श्वर महाराज पंचतत्व में विलीन, 17 साल एक पैर पर खड़े रहकर की थी तपस्या - Funeral at Donor Pyra Ashram

दाता पायरा आश्रम के संत खड़ेश्वर महाराज शनिवार को पंचतत्व में विलीन हो गए. दाह संस्कार से पूर्व भक्तों ने पुष्प अर्पित कर उनके अंतिम दर्शन किए. शनिवार सुबह उनका आश्रम में ही अंतिम संस्कार किया गया.

खंडेश्वर जी महाराज का निधन, 17 साल एक पैर पर की तपस्या , Khandeshwar Ji Maharaj passed away, Funeral at Donor Pyra Ashram, Bhilwara news
खंडेश्वर जी महाराज पंचतत्व में विलीन
author img

By

Published : May 15, 2021, 4:57 PM IST

Updated : May 15, 2021, 6:03 PM IST

भीलवाड़ा. भीलवाड़ा की मेवाड़ मिल के सामने वर्षों तक खड़े रहकर तपस्या करने वाले और दाता पायरा आश्रम के संत खड़ेश्वर महाराज शनिवार को पंचतत्व में विलीन हो गए. भक्तों ने अश्रुपूरित अंतिम विदाई दी. महाराज का शुक्रवार को देवलोक गमन हो गया था.

खंडेश्वर जी महाराज पंचतत्व में विलीन

शनिवार सुबह दाता पायरा आश्रम में ही भक्तों ने विधिविधान के साथ खड़ेश्वर जी महाराज का अंतिम संस्कार किया. इससे पहले उनकी बैकुंठी (बेवाण) निकाली गई. अंतिम संस्कार के मौके पर कई भक्त वहां पहुंचे लेकिन उन्हें कोरोना संक्रमण के चलते आश्रम में प्रवेश नहीं दिया गया. अंतिम संस्कार से पहले आश्रम में भजन कीर्तन भी हुए और भक्तों ने अंतिम श्रद्धा सुमन भी अर्पित किए. खंड़ेश्वर महाराज 20 दिन पहले भीलवाड़ा में एक निजी अस्पताल में भर्ती रहे. गुरुवार को उनकी कोरोना रिपोर्ट निगेटिव आ गई थी. तबीयत ज्यादा खराब होने पर भीलवाड़ा ले जाते समय शुक्रवार को उन्होंने अंतिम सांस ली.

पढ़ें: SPECIAL : एक ताने से बसा शहर है बीकानेर, पूरा किया 534 साल का सफर

10 अक्‍टुबर 1970 से साल 2002 तक लगातार भीलवाड़ा की तत्‍कालीन मेवाड़ टेक्‍टसटाइल मिल के सामने खडे़ रहकर तपस्‍या करने वाले खडेश्‍वर महाराज के नाम से प्रसिद्ध संत आज दाता पायरा आश्रम में पंचतत्‍व में विलिन हो गए. खडे़श्‍वर महाराज ने जीवन पर्यंत मौन व्रत रखा और केवल फलहार ही लिया था. अन्तिम संस्कार से पूर्व उनके अनुयायियों ने अन्तिम दर्शन किए. भीलवाड़ा जिले के धार्मिक कार्यक्रमों में खडे़श्‍वर महाराज की उपस्थिति प्रभावी होती थी. इस दौरान पुलिस अधीक्षक विकास शर्मा, अतिरिक्‍त पुलिस अधीक्षक गजेन्‍द्र सिंह जौधा सहित कई गणमान्‍य नागरिक भी मौजूद रहे.

खंडेश्वर जी महाराज का निधन, 17 साल एक पैर पर की तपस्या , Khandeshwar Ji Maharaj passed away, Funeral at Donor Pyra Ashram, Bhilwara news
अंतिम यात्रा में शामिल हुए भक्त

17 साल एक पैर पर रहकर की तपस्या

खडे़श्‍वर महाराज के अनुया‍यी तेज सिंह ने कहा कि सन् 1970 में वह यहां आये थे और एक रात के लिए उन्‍होंने मेवाड़ मिल के बाहर झुला लगाया लेकिन वह यहां पर 17 साल तक एक पैर पर खडे़ रहे. उसके बाद वह 32 वर्षों तक खडे़ रहकर अपनी तपस्‍या करते रहे. इस दौरान उनके अनुयायी कई जगहों पर उनके आश्रम बनाकर आमजन की सेवा भी कर रहे हैं. आगे भी महाराज के दिखाये रास्‍ते पर चलकर जन सेवा करेंगे. पंचमुखी धाम के महंत लक्ष्‍मण दास त्‍यागी ने कहा कि ऐसे संत का जाना हमारे लिए बड़ी क्षति है. उनके त्‍याग और जन सेवा को हमेशा याद किया जायेगा.

पढ़ें: Special : नहरबंदी में पानी की किल्लत के बीच जानिये मानवनिर्मित IGNP का इतिहास, बमबारी में भी नहीं रुका था काम

खडे़श्वर महाराज उज्जैन से कुम्भ से लौटते समय 10 अक्टूबर 1970 को भीलवाड़ा में आये थे. मेवाड़ मिल के सामने श्रमिकों के आग्रह पर पीपल के पेड़ के नीचे रुके व तीन संकल्प लिए. खड़ा रहूंगा, मौन धारण व अन्न त्याग करूंगा. महाराज ने 1979 में भीलवाड़ा में 108 कुण्डात्मक विष्णु महायज्ञ, 1990 में धौलपुर जिले में सेपव ग्राम में 1000 कुंड का श्रीराम यज्ञ, 2002 में आसींद सवाईभोज 1109 कुण्डात्मक अश्वमेघ राजसूरा यज्ञ, 2009 में भीलवाड़ा के हरनी महादेव पर 1000 कुण्डात्मक श्रीराम महायज्ञ, 2009 में दाता पायरा में 108 कुण्डात्मक सतचण्डी महायज्ञ, 2017 में चित्तौड़ जिले के श्री सावरिया सेठ पर सप्त मन्डापात्मक महायज्ञ का आयोजित किए.

खडे़श्वर महाराज ने बैकुंठ लोक मन्दिर, मेवाड़ मिल के सामने, भीलवाड़ा, खडे़श्वर आश्रम रमणरति परिक्रमा मार्ग बन्दावन व हनुमान गढ़ी दाता पायरा चौराया पर तीन आश्रम बनवाए हैं. वे हमेशा मौन साधना में रहते थे. ललाट पर दिव्य तिलक और रुद्राक्ष की मालाएं उनकी आध्यात्मिक पहचान थीं. धार्मिक आयोजनों में उनकी उपस्थिति श्रद्धा का केंद्र होती थी.

भीलवाड़ा. भीलवाड़ा की मेवाड़ मिल के सामने वर्षों तक खड़े रहकर तपस्या करने वाले और दाता पायरा आश्रम के संत खड़ेश्वर महाराज शनिवार को पंचतत्व में विलीन हो गए. भक्तों ने अश्रुपूरित अंतिम विदाई दी. महाराज का शुक्रवार को देवलोक गमन हो गया था.

खंडेश्वर जी महाराज पंचतत्व में विलीन

शनिवार सुबह दाता पायरा आश्रम में ही भक्तों ने विधिविधान के साथ खड़ेश्वर जी महाराज का अंतिम संस्कार किया. इससे पहले उनकी बैकुंठी (बेवाण) निकाली गई. अंतिम संस्कार के मौके पर कई भक्त वहां पहुंचे लेकिन उन्हें कोरोना संक्रमण के चलते आश्रम में प्रवेश नहीं दिया गया. अंतिम संस्कार से पहले आश्रम में भजन कीर्तन भी हुए और भक्तों ने अंतिम श्रद्धा सुमन भी अर्पित किए. खंड़ेश्वर महाराज 20 दिन पहले भीलवाड़ा में एक निजी अस्पताल में भर्ती रहे. गुरुवार को उनकी कोरोना रिपोर्ट निगेटिव आ गई थी. तबीयत ज्यादा खराब होने पर भीलवाड़ा ले जाते समय शुक्रवार को उन्होंने अंतिम सांस ली.

पढ़ें: SPECIAL : एक ताने से बसा शहर है बीकानेर, पूरा किया 534 साल का सफर

10 अक्‍टुबर 1970 से साल 2002 तक लगातार भीलवाड़ा की तत्‍कालीन मेवाड़ टेक्‍टसटाइल मिल के सामने खडे़ रहकर तपस्‍या करने वाले खडेश्‍वर महाराज के नाम से प्रसिद्ध संत आज दाता पायरा आश्रम में पंचतत्‍व में विलिन हो गए. खडे़श्‍वर महाराज ने जीवन पर्यंत मौन व्रत रखा और केवल फलहार ही लिया था. अन्तिम संस्कार से पूर्व उनके अनुयायियों ने अन्तिम दर्शन किए. भीलवाड़ा जिले के धार्मिक कार्यक्रमों में खडे़श्‍वर महाराज की उपस्थिति प्रभावी होती थी. इस दौरान पुलिस अधीक्षक विकास शर्मा, अतिरिक्‍त पुलिस अधीक्षक गजेन्‍द्र सिंह जौधा सहित कई गणमान्‍य नागरिक भी मौजूद रहे.

खंडेश्वर जी महाराज का निधन, 17 साल एक पैर पर की तपस्या , Khandeshwar Ji Maharaj passed away, Funeral at Donor Pyra Ashram, Bhilwara news
अंतिम यात्रा में शामिल हुए भक्त

17 साल एक पैर पर रहकर की तपस्या

खडे़श्‍वर महाराज के अनुया‍यी तेज सिंह ने कहा कि सन् 1970 में वह यहां आये थे और एक रात के लिए उन्‍होंने मेवाड़ मिल के बाहर झुला लगाया लेकिन वह यहां पर 17 साल तक एक पैर पर खडे़ रहे. उसके बाद वह 32 वर्षों तक खडे़ रहकर अपनी तपस्‍या करते रहे. इस दौरान उनके अनुयायी कई जगहों पर उनके आश्रम बनाकर आमजन की सेवा भी कर रहे हैं. आगे भी महाराज के दिखाये रास्‍ते पर चलकर जन सेवा करेंगे. पंचमुखी धाम के महंत लक्ष्‍मण दास त्‍यागी ने कहा कि ऐसे संत का जाना हमारे लिए बड़ी क्षति है. उनके त्‍याग और जन सेवा को हमेशा याद किया जायेगा.

पढ़ें: Special : नहरबंदी में पानी की किल्लत के बीच जानिये मानवनिर्मित IGNP का इतिहास, बमबारी में भी नहीं रुका था काम

खडे़श्वर महाराज उज्जैन से कुम्भ से लौटते समय 10 अक्टूबर 1970 को भीलवाड़ा में आये थे. मेवाड़ मिल के सामने श्रमिकों के आग्रह पर पीपल के पेड़ के नीचे रुके व तीन संकल्प लिए. खड़ा रहूंगा, मौन धारण व अन्न त्याग करूंगा. महाराज ने 1979 में भीलवाड़ा में 108 कुण्डात्मक विष्णु महायज्ञ, 1990 में धौलपुर जिले में सेपव ग्राम में 1000 कुंड का श्रीराम यज्ञ, 2002 में आसींद सवाईभोज 1109 कुण्डात्मक अश्वमेघ राजसूरा यज्ञ, 2009 में भीलवाड़ा के हरनी महादेव पर 1000 कुण्डात्मक श्रीराम महायज्ञ, 2009 में दाता पायरा में 108 कुण्डात्मक सतचण्डी महायज्ञ, 2017 में चित्तौड़ जिले के श्री सावरिया सेठ पर सप्त मन्डापात्मक महायज्ञ का आयोजित किए.

खडे़श्वर महाराज ने बैकुंठ लोक मन्दिर, मेवाड़ मिल के सामने, भीलवाड़ा, खडे़श्वर आश्रम रमणरति परिक्रमा मार्ग बन्दावन व हनुमान गढ़ी दाता पायरा चौराया पर तीन आश्रम बनवाए हैं. वे हमेशा मौन साधना में रहते थे. ललाट पर दिव्य तिलक और रुद्राक्ष की मालाएं उनकी आध्यात्मिक पहचान थीं. धार्मिक आयोजनों में उनकी उपस्थिति श्रद्धा का केंद्र होती थी.

Last Updated : May 15, 2021, 6:03 PM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2025 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.