भीलवाड़ा. कोरोना संक्रमण के कारण हर वर्ग के लोगों को परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. अब कोरोना का असर पशुपालकों पर भी देखा जा सकता है. कोरोना काल के दौरान पशुपालकों को पानी के भाव में ही पशुओं के दूध को बेचना पड़ रहा है. जिसके कारण उनके सामने आर्थिक संकट की स्थिति बनी हुई है.
कोरोना सक्रमण की वजह से लगे लॉकडाउन के दौरान जिले के पशुपालकों को भी काफी समस्या का सामना करना पड़ा. यहां जिले के पशुपालकों का ईटीवी भारत पर दर्द छलक पड़ा. उन्होंने कहा कि लॉकडाउन के दौरान पानी की बोतल से भी सस्ता हमारा दूध बिका है.
पशुपालकों पर आर्थिक संकट
प्रदेश में सबसे पहले कोरोना की शुरुआत भीलवाड़ा से हुई थी. भीलवाड़ा जिले में 20 मार्च से 57 दिन तक कर्फ्यू लगाया गया था. कर्फ्यू के दौरान जिले के पशुपालकों को भी काफी समस्या का सामना करना पड़ा. पशुपालकों को मजबूरी में पानी के भाव दूध बेचना पड़ा. जिससे पशुपालकों की आर्थिक स्थिति खराब हो गई.
जिले के कंवलियास गांव के किसान बालू राम गुर्जर ने ईटीवी भारत पर अपना दर्द बयां करते हुए कहा कि कोरोना के समय में दूध की बिक्री में भारी समस्या है. 20 से 22 रुपए प्रति किलो के भाव से दूध बेचना पड़ा था. उन्होंने कहा कि इससे तो ज्यादा महंगी पानी पीने की बिसलरी की बोतल है. उन्होंने बताया कि दूध सस्ता बिकने के कारण हम पशुओं के लिए पशु आहार भी नहीं खरीद पाते है. क्योंकि पशु आहार बहुत महंगा मिलता है.
बालू राम ने बताया कि कोरोना संक्रमण के कारण लगाए गए लॉकडाउन से रबी की फसल की कटाई में भी काफी समस्या हुई थी. हमारे यहां जो पशुओं से दूध प्राप्त होता है उसको मजबूरी में मावा बनाकर बेचना पड़ा. उन्होंने कहा कि हम ये चाहते हैं कि ऐसा समय भविष्य में फिर कभी नहीं आए, जिससे हम बर्बाद हो जाएं.
ऐसे में अब देखना ये होगा कि केंद्र और राज्य सरकार पशुपालकों को बढ़ावा देने के लिए क्या प्रयास करती है या उन्हें अपनी हालत पर छोड़ देती है.