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भीलवाड़ा में देसी जुगाड़ से 'रसोई की बगिया' का निर्माण, जानें क्या है इसकी खासियत

पर्यावरण संरक्षण के उद्देश्य से भीलवाड़ा शहर में अपना संस्थान ने रसोई की बगिया का निर्माण किया है. इस बगिया में करीब 10 वर्ष तक का रसोई घर से निकलने वाला खाद्य पदार्थ का कचरा इस्तेमाल किया जा सकता है, तो वहीं इस बगिया में 13 तरह के अलग पौधे भी लगाए जा सकते हैं.

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Published : Jul 4, 2020, 8:26 PM IST

Industrial city Bhilwara news, रसोई की बगिया भीलवाड़ा
देसी जुगाड़ से "रसोई की बगिया" का निर्माण

भीलवाड़ा. औद्योगिक नगरी भीलवाड़ा शहर में पर्यावरण संरक्षण को मद्देनजर रखते हुए भीलवाड़ा शहर वासियों ने अपना संस्थान के बैनर तले एक अनोखा देसी जुगाड़ रसोई की बगिया का निर्माण किया है. इस बगिया में करीब 10 वर्ष तक का रसोई घर से निकलने वाला खाद्य पदार्थ का कचरा इस्तेमाल किया जा सकता है, तो वहीं इस बगिया में 13 तरह के अलग पौधे भी लगाए जा सकते हैं. अपना संस्थान की ओर से भीलवाड़ा शहर में अब तक 27 रसोई की बगिया लगाई जा चुकी है और आगे भी लगाए जाने के प्रयास किए जा रहे हैं.

देसी जुगाड़ से "रसोई की बगिया" का निर्माण

अपना संस्थान के संजय लड्ढा ने कहा कि भीलवाड़ा एक औद्योगिक नगरी होने के चलते यहां पर प्रदूषण जल्दी फैलता है. पर्यावरण संतुलन बनाए रखने ओर घर में हरियाली बनाए रखने के लिए हम भीलवाड़ा शहर में रसोई की बगिया हर घर में बना रहे हैं. यह बगिया एक पुराने ड्रम में बनाई जाती है, जिसमें रसोई से खाद्य पदार्थ का कचरा 10 वर्ष तक बाहर फेंकने की आवश्यकता नहीं होती है. वहीं इस ड्रम में खाद के रूप में नारियल के छिलके, गन्ने के छिलके, पेड़ों के सूखे पत्ते, मिट्टी, डी कंपोजर, चाय की पत्ती और रसोई से निकलने वाला जितना भी खाद्य पदार्थ, इसमें इस्तेमाल किया जा सकता है.

पढ़ें- जयपुर के चिकित्सकों ने होम्योपैथी की 3 दवाओं से किया कोरोना के इलाज का दावा

दूसरी ओर साधना मेलाना ने कहा कि इस रसोई की बगिया में 13 तरह के अलग-अलग पौधे लगाए जा सकते हैं, जिसमें मुख्य पौधा बीच में नींबू या चीकू, अमृत का हो सकता है. बाकी इस ड्रम के चारों तरफ अलग-अलग फूलों के पौधे लगाए जा सकते हैं, और इसी के साथी ड्रम के नीचे के क्षेत्र अलग से होता है, जो पानी के निकास के लिए बनाया जाता है. वहीं, मेलना ने यह भी कहा है कि हमने भीलवाड़ा शहर में अब तक 27 देसी जुगाड़ से बनाई गई रसोई बगिया लगाई है और हम आगे भी शहरवासियों को इसके लिए प्रेरित कर रहे हैं.

भीलवाड़ा. औद्योगिक नगरी भीलवाड़ा शहर में पर्यावरण संरक्षण को मद्देनजर रखते हुए भीलवाड़ा शहर वासियों ने अपना संस्थान के बैनर तले एक अनोखा देसी जुगाड़ रसोई की बगिया का निर्माण किया है. इस बगिया में करीब 10 वर्ष तक का रसोई घर से निकलने वाला खाद्य पदार्थ का कचरा इस्तेमाल किया जा सकता है, तो वहीं इस बगिया में 13 तरह के अलग पौधे भी लगाए जा सकते हैं. अपना संस्थान की ओर से भीलवाड़ा शहर में अब तक 27 रसोई की बगिया लगाई जा चुकी है और आगे भी लगाए जाने के प्रयास किए जा रहे हैं.

देसी जुगाड़ से "रसोई की बगिया" का निर्माण

अपना संस्थान के संजय लड्ढा ने कहा कि भीलवाड़ा एक औद्योगिक नगरी होने के चलते यहां पर प्रदूषण जल्दी फैलता है. पर्यावरण संतुलन बनाए रखने ओर घर में हरियाली बनाए रखने के लिए हम भीलवाड़ा शहर में रसोई की बगिया हर घर में बना रहे हैं. यह बगिया एक पुराने ड्रम में बनाई जाती है, जिसमें रसोई से खाद्य पदार्थ का कचरा 10 वर्ष तक बाहर फेंकने की आवश्यकता नहीं होती है. वहीं इस ड्रम में खाद के रूप में नारियल के छिलके, गन्ने के छिलके, पेड़ों के सूखे पत्ते, मिट्टी, डी कंपोजर, चाय की पत्ती और रसोई से निकलने वाला जितना भी खाद्य पदार्थ, इसमें इस्तेमाल किया जा सकता है.

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दूसरी ओर साधना मेलाना ने कहा कि इस रसोई की बगिया में 13 तरह के अलग-अलग पौधे लगाए जा सकते हैं, जिसमें मुख्य पौधा बीच में नींबू या चीकू, अमृत का हो सकता है. बाकी इस ड्रम के चारों तरफ अलग-अलग फूलों के पौधे लगाए जा सकते हैं, और इसी के साथी ड्रम के नीचे के क्षेत्र अलग से होता है, जो पानी के निकास के लिए बनाया जाता है. वहीं, मेलना ने यह भी कहा है कि हमने भीलवाड़ा शहर में अब तक 27 देसी जुगाड़ से बनाई गई रसोई बगिया लगाई है और हम आगे भी शहरवासियों को इसके लिए प्रेरित कर रहे हैं.

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