ETV Bharat / city

भीलवाड़ा में वेस्ट प्लास्टिक बोतलों से बनता है कपड़ा...हर दिन 140 टन फाइबर होता है तैयार

भीलवाड़ा के उद्योगपति कृष्ण गोपाल बांगड़ प्लास्टिक की वेस्ट बोतलों से कपड़ा (Fibre From Plastic waste in Bhilwara) तैयार कर रहे हैं. उन्होंने अपने पोते की सोच को जमीन देने का काम किया है. इस फैक्ट्री में हर दिन 150 टन खाली वेस्ट बोतलों से फाइबर बनाने का काम हो रहा है. वे कहते हैं कि इससे पीएम नरेंद्र मोदी के स्वच्छ भारत मिशन का सपना भी पूरा हो रहा है और मजदूरों को बेहतर मेहनताना भी मिल रहा है.

Plastic Waste management in Bhilwara
भीलवाड़ा में वेस्ट प्लास्टिक बोतलों से बनता है कपड़ा
author img

By

Published : Aug 4, 2022, 9:44 PM IST

भीलवाड़ा. जिले के उद्योगपति कृष्ण गोपाल बांगड़ सड़क पर बेकार फेकी गई प्लास्टिक का उपयोग करते हुए व्यवसाय को नई गति दी है. उद्योगपति ने प्लास्टिक की वेस्ट बोतलों से यार्न बनाकर कपड़ा बनाने की शुरुआत की है. उद्योगपति कृष्ण गोपाल बांगड़ कहते हैं कि हम इडस्ट्रीज में वेस्ट प्लास्टिक की बोतलों से फाइबर बनाकर उनका कपड़ा बना रहे हैं. जिससे स्वच्छता बढ़ने के साथ ही प्लास्टिक की बोतल बीनने वाले मजदूरो को भी रोजगार मिल रहा है.

वस्त्र उद्यमी ने ईटीवी भारत से बातचीत करते हुए कहा कि हम प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के स्वच्छ भारत मिशन के सपने को पूरा कर रहे हैं. जिससे भीलवाड़ा सहित राजस्थान में जहां भी प्लास्टिक की वेस्ट बोतल होती है, उनको जो मजदूर एकत्रित करके हमारे यहां लाते हैं, उनका हम फाइबर और फिर यार्न बनाते हैं. इसके बाद इससे कपड़ा बनाने का काम करते हैं.

भीलवाड़ा के उद्योगपति कृष्ण गोपाल बांगड़ से खास बातचीत

150 टन वेस्ट प्लास्टिक से हर दिन बनाते हैं कपड़ाः राष्ट्रीय राजमार्ग 79 पर कंचन इंडिया लिमिटेड में हर (Fibre From Plastic waste in Bhilwara) दिन 150 टन खाली वेस्ट प्लास्टिक की बोतलों से फाइबर बनाकर कपड़ा बनाया जाता है. इस कंपनी के परिसर में काफी मात्रा में प्लास्टिक की वेस्ट बोतलों के ढेर लगे हुए हैं. इन बोतलों को मशीनों के जरिए रीसाइक्लिंग कर फाइबर बनाया जा रहा है.

पढ़ें. Special: अगर आप भी करते हैं प्लास्टिक के बने सामान का इस्तेमाल तो हो जाएं सावधान, जानें क्यों जरूरी है प्रतिबंध

पोते की सोच को दी जमीनः इंडस्ट्री के मालिक कृष्ण गोपाल बांगड़ ने वेस्ट से फाइबर बनाने का ख्याल मन में आने के सवाल पर कहा कि वर्तमान में लोग स्वच्छता के प्रति गंभीर नहीं हैं. लोग पानी, कोल्ड ड्रिंक पीने के बाद खाली बोतलों को फेंक देते हैं. उन्होंने बताया कि ऐसी गंदगी देखकर हमारे पोते के मन में कुछ नया करने का ख्याल आया. जब हमारे पोते ने दूसरे देश में प्लास्टिक की खाली बोतलों से फाइबर बनाने का प्रोजेक्ट देखा तो उसने परिवार में यह बात बताई. इस पर हमने भी ऐसी इंडस्ट्रीज लगाने का मानस बनाया. उन्होंने बताया कि इसके बाद वेस्ट खाली बोतल से फाइबर बनाने की इंडस्ट्री स्थापित की.

वर्तमान में यहां प्रतिदिन 150 टन प्लास्टिक की खाली बोतलों से फाइबर बनाने का काम किया जा रहा है. यह भारत का सबसे बड़ा प्लांट है. 1 किलो प्लास्टिक की बोतलों में 50 खाली बोतलों की तुलाई होती है. ऐसे में जो मजदूर इन बोतलों को एकत्रित करके लाते हैं, उनको भी अच्छा मेहनताना मिल जाता है. कृष्ण गोपाल ने बताया कि हम प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के स्वच्छता के सपने को भी साकार कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि वेस्ट प्लास्टिक की बोतलों से दोहरा फायदा है. मजदूरों को लाभ, स्वच्छ भारत मिशन का सपना पूरा और अच्छा कपड़ा निर्माण हो रहा है.

भीलवाड़ा में वेस्ट प्लास्टिक बोतलों से बनता है कपड़ा

हर दिन 140 टन फाइबर बनता हैः प्लास्टिक की खाली बोतलों से फाइबर बनाने की जिम्मेदारी संभाल रहे राजीव अग्रवाल ने कहा कि इस इंडस्ट्रीज में प्रतिदिन 140 टन फाइबर बनता है. एक लाख 40 हजार किलो फाइबर प्रतिदिन तैयार होता है. तैयार होने वाले फाइबर से यार्न बनाया जाता है. यार्न से कपड़ा बनाया जाता है. उन्होंने बताया कि 1 किलो फाइबर बनाने में 21 रुपये प्रति किलो का खर्चा आता है. हम मार्केट में 50 से 60 रुपये प्रति किलो के हिसाब से वेस्ट खाली बोतल खरीदते हैं.

पढ़ें. Paper Cup Ban in Rajasthan: अब राजस्थान में पेपर कप भी बैन, सिंगल यूज प्लास्टिक के दायरे में लाया गया...30 हजार करोड़ की इंडस्ट्री को झटका

दो साल पहले हुई थी शुरुआतः उद्योगपति के बेटे निलेश बांगड़ ने कहा कि हम टेक्सटाइल के क्षेत्र में पिछले 25 वर्ष से काम कर रहे हैं. जहां काफी मात्रा में कपड़े का उत्पादन होता है. हमारे यहां 3000 करोड़ रुपये वार्षिक टर्नओवर है. लेकिन अब हम धीरे-धीरे प्लास्टिक से फाइबर बनाने का भी काम कर रहे हैं. इस काम की पिछले 2 वर्ष से शुरुआत की है जो अब काफी प्रचुर मात्रा में हो रहा है. भारत में यह सबसे बड़ा प्रोजेक्ट है. उन्होंने कहा कि लोग पानी पीने के बाद खाली प्लास्टिक की बोतलों को वेस्ट समझ कर फेंक देते हैं. उस वेस्ट को जो मजदूर एकत्रित करके लाते हैं, उन मजदूरों से हम 50 से 60 रुपये प्रति किलो के भाव से खरीदते हैं. उनका रीसाइक्लिंग करके यहां फाइबर बनाकर यार्न बनाया जाता है और फिर उस यार्न से कपड़ा बनाया जाता है.

उद्योगपति निलेश बांगड़ ने कहा कि उनका बेटा आदित्य बांगड़ जब चाइना गया तो उसने वहां ऐसा प्रोजेक्ट देखा था. इसके बाद ऐसा प्रोजेक्ट लगाने के बारे में योजना बनाई गई. उन्होंने बताया कि यह हिंदुस्तान का सबसे बड़ा प्रोजेक्ट है. आगे हम और इसमें सुधार करने की सोच रहे हैं.

भीलवाड़ा. जिले के उद्योगपति कृष्ण गोपाल बांगड़ सड़क पर बेकार फेकी गई प्लास्टिक का उपयोग करते हुए व्यवसाय को नई गति दी है. उद्योगपति ने प्लास्टिक की वेस्ट बोतलों से यार्न बनाकर कपड़ा बनाने की शुरुआत की है. उद्योगपति कृष्ण गोपाल बांगड़ कहते हैं कि हम इडस्ट्रीज में वेस्ट प्लास्टिक की बोतलों से फाइबर बनाकर उनका कपड़ा बना रहे हैं. जिससे स्वच्छता बढ़ने के साथ ही प्लास्टिक की बोतल बीनने वाले मजदूरो को भी रोजगार मिल रहा है.

वस्त्र उद्यमी ने ईटीवी भारत से बातचीत करते हुए कहा कि हम प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के स्वच्छ भारत मिशन के सपने को पूरा कर रहे हैं. जिससे भीलवाड़ा सहित राजस्थान में जहां भी प्लास्टिक की वेस्ट बोतल होती है, उनको जो मजदूर एकत्रित करके हमारे यहां लाते हैं, उनका हम फाइबर और फिर यार्न बनाते हैं. इसके बाद इससे कपड़ा बनाने का काम करते हैं.

भीलवाड़ा के उद्योगपति कृष्ण गोपाल बांगड़ से खास बातचीत

150 टन वेस्ट प्लास्टिक से हर दिन बनाते हैं कपड़ाः राष्ट्रीय राजमार्ग 79 पर कंचन इंडिया लिमिटेड में हर (Fibre From Plastic waste in Bhilwara) दिन 150 टन खाली वेस्ट प्लास्टिक की बोतलों से फाइबर बनाकर कपड़ा बनाया जाता है. इस कंपनी के परिसर में काफी मात्रा में प्लास्टिक की वेस्ट बोतलों के ढेर लगे हुए हैं. इन बोतलों को मशीनों के जरिए रीसाइक्लिंग कर फाइबर बनाया जा रहा है.

पढ़ें. Special: अगर आप भी करते हैं प्लास्टिक के बने सामान का इस्तेमाल तो हो जाएं सावधान, जानें क्यों जरूरी है प्रतिबंध

पोते की सोच को दी जमीनः इंडस्ट्री के मालिक कृष्ण गोपाल बांगड़ ने वेस्ट से फाइबर बनाने का ख्याल मन में आने के सवाल पर कहा कि वर्तमान में लोग स्वच्छता के प्रति गंभीर नहीं हैं. लोग पानी, कोल्ड ड्रिंक पीने के बाद खाली बोतलों को फेंक देते हैं. उन्होंने बताया कि ऐसी गंदगी देखकर हमारे पोते के मन में कुछ नया करने का ख्याल आया. जब हमारे पोते ने दूसरे देश में प्लास्टिक की खाली बोतलों से फाइबर बनाने का प्रोजेक्ट देखा तो उसने परिवार में यह बात बताई. इस पर हमने भी ऐसी इंडस्ट्रीज लगाने का मानस बनाया. उन्होंने बताया कि इसके बाद वेस्ट खाली बोतल से फाइबर बनाने की इंडस्ट्री स्थापित की.

वर्तमान में यहां प्रतिदिन 150 टन प्लास्टिक की खाली बोतलों से फाइबर बनाने का काम किया जा रहा है. यह भारत का सबसे बड़ा प्लांट है. 1 किलो प्लास्टिक की बोतलों में 50 खाली बोतलों की तुलाई होती है. ऐसे में जो मजदूर इन बोतलों को एकत्रित करके लाते हैं, उनको भी अच्छा मेहनताना मिल जाता है. कृष्ण गोपाल ने बताया कि हम प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के स्वच्छता के सपने को भी साकार कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि वेस्ट प्लास्टिक की बोतलों से दोहरा फायदा है. मजदूरों को लाभ, स्वच्छ भारत मिशन का सपना पूरा और अच्छा कपड़ा निर्माण हो रहा है.

भीलवाड़ा में वेस्ट प्लास्टिक बोतलों से बनता है कपड़ा

हर दिन 140 टन फाइबर बनता हैः प्लास्टिक की खाली बोतलों से फाइबर बनाने की जिम्मेदारी संभाल रहे राजीव अग्रवाल ने कहा कि इस इंडस्ट्रीज में प्रतिदिन 140 टन फाइबर बनता है. एक लाख 40 हजार किलो फाइबर प्रतिदिन तैयार होता है. तैयार होने वाले फाइबर से यार्न बनाया जाता है. यार्न से कपड़ा बनाया जाता है. उन्होंने बताया कि 1 किलो फाइबर बनाने में 21 रुपये प्रति किलो का खर्चा आता है. हम मार्केट में 50 से 60 रुपये प्रति किलो के हिसाब से वेस्ट खाली बोतल खरीदते हैं.

पढ़ें. Paper Cup Ban in Rajasthan: अब राजस्थान में पेपर कप भी बैन, सिंगल यूज प्लास्टिक के दायरे में लाया गया...30 हजार करोड़ की इंडस्ट्री को झटका

दो साल पहले हुई थी शुरुआतः उद्योगपति के बेटे निलेश बांगड़ ने कहा कि हम टेक्सटाइल के क्षेत्र में पिछले 25 वर्ष से काम कर रहे हैं. जहां काफी मात्रा में कपड़े का उत्पादन होता है. हमारे यहां 3000 करोड़ रुपये वार्षिक टर्नओवर है. लेकिन अब हम धीरे-धीरे प्लास्टिक से फाइबर बनाने का भी काम कर रहे हैं. इस काम की पिछले 2 वर्ष से शुरुआत की है जो अब काफी प्रचुर मात्रा में हो रहा है. भारत में यह सबसे बड़ा प्रोजेक्ट है. उन्होंने कहा कि लोग पानी पीने के बाद खाली प्लास्टिक की बोतलों को वेस्ट समझ कर फेंक देते हैं. उस वेस्ट को जो मजदूर एकत्रित करके लाते हैं, उन मजदूरों से हम 50 से 60 रुपये प्रति किलो के भाव से खरीदते हैं. उनका रीसाइक्लिंग करके यहां फाइबर बनाकर यार्न बनाया जाता है और फिर उस यार्न से कपड़ा बनाया जाता है.

उद्योगपति निलेश बांगड़ ने कहा कि उनका बेटा आदित्य बांगड़ जब चाइना गया तो उसने वहां ऐसा प्रोजेक्ट देखा था. इसके बाद ऐसा प्रोजेक्ट लगाने के बारे में योजना बनाई गई. उन्होंने बताया कि यह हिंदुस्तान का सबसे बड़ा प्रोजेक्ट है. आगे हम और इसमें सुधार करने की सोच रहे हैं.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.