भीलवाड़ा. सरकारी नौकरी के लिए कड़ी मेहनत करने के बाद भी सफलता नहीं मिलने से आमतौर पर युवक हताश हो जाते हैं और कुछ तो गलत कदम भी उठा लेते हैं, लेकिन जिसे के फारुक मोहम्मद ने हताश होने के बजाए अपने पुश्तैनी काम को भी आगे बढ़ाने का निर्णय किया. फारुक ने पिता के साथ हाथ बंटाते हुए गुलाब की खेती (roses farming in Bhilwara) के जरिए भाप आसवन विधि से गुलाब जल, गुलकंद, शरबत और ईत्र बनाने का काम शुरू किया है.
जिले की हुरडा पंचायत समिति के खारी का लांबा ग्राम पंचायत क्षेत्र के निवासी फारुक मोहम्मद ने ईटीवी भारत से खास बातचीत में बताया कि वे उनके दादा के समय से गुलाब की खेती कर रहे हैं, लेकिन हम अब खेत पर ही गुलाब जल और गुलकंद बना रहे हैं. इसे सोशल मीडिया के जरिए बेच रहे हैं. ईटीवी भारत की टीम अजमेर, भीलवाड़ा की सरहद पर स्थित किसान के खेत पर पहुंची तो मौके पर गुलाब से गुलकंद और गुलाबजल बनाने का काम जारी था. इस बीच किसान सलफुद्दीन ने कहा कि हम शुरू से ही गुलाब की खेती करते आ रहे हैं. पहले हमारे यहा ज्यादा गुलाब का उत्पादन होता था. उस समय गुलाब जल व गुलकंद बनने के बाद जो गुलाब के पुष्प बचते थे, उनको मंडी में बेचा करते थे.
बेटे ने हाथ बंटाना शुरू कियाः पिता सलफुद्दीन ने बताया कि बेटे की सरकारी नौकरी नहीं लगने पर उसने भी हमारे साथ हाथ बंटाना शुरू किया है. खेत पर अधिक मात्रा में गुलाब जल और गुलकंद बनाने का काम शुरू किया है. उन्होंने बताया कि गुलाब की खेती का काम 'मेरे पिताजी भी करते थे, लेकिन अब बच्चों को सरकारी नौकरी नहीं मिलने के कारण अब हम इस काम को धीरे-धीरे आगे बढ़ा रहे हैं'.
15 किलो गुलाब हर दिन होता हैः सलफुद्दीन ने बताया कि मैने सवा बीघा जमीन में गुलाब के पौधे लगाए हैं. प्रतिदिन 15 किलो गुलाब के पुष्प का उत्पादन होता है. इस बार पानी की कमी से गुलाब के पौधों को जीवित रखना बड़ी चुनौती है. उन्होंने बताया कि चैत्र मास में जो गुलाब आते हैं, उसी किस्म के गुलाब की खेती की जाती है. क्योंकि चैत्र मास में जो गुलाब के पुष्प आते हैं उससे ही गुलाब जल, गुलकंद, इत्र और शरबत बनाया जाता है. किसान ने खेत पर बन रहे गुलाब जल की विधि को ईटीवी भारत के साथ साझा किया. उन्होंने कहा कि 30 किलो गुलाब के फूल से 5 से 10 किलो गुलाब जल बनता है. 1 लीटर गुलाब जल 200 रुपए में बिकता है.
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विज्ञान में पढ़ी थी भाप आसवन विधिः ईटीवी भारत से बातचीत करते हुए बेटे फारुक मोहम्मद ने कहा कि वह पिता के साथ अपने पैतृक काम में हाथ बंटा रहा है. उन्होंने कहा कि हमने विज्ञान में भाप आसवन विधि पढ़ी थी. उसके अनुरूप खेत पर भाप आसवन विधि से ही गुलाब जल बनाते हैं और यहीं पर गुलकंद, इत्र व शरबत भी बनाते हैं. फारुक ने कहा कि वह यह काम पिता के साथ पहले भी करता था. लेकिन वर्तमान में सरकारी नौकरी नहीं मिलने पर पुरी तरह इसी पुस्तैनी काम में जुट गया है. उन्होंने कहा कि सरकारी नौकरी के लिए तैयारी कर रहे युवाओं को अगर नौकरी नहीं मिलती है तो हताश होने के बजाए यदि घर में कोई काम है तो उसे ही आगे बढ़ाना चाहिए. उन्होंने कहा कि सोशल मीडिया के जरिए ही अपने पिता के काम को आगे बढ़ा रहा हूं और अच्छा मेहनताना कमा रहा हूं.