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सरकार की ओर से MSME सेक्टरों को मिलने वाला अनुदान उद्यमियों के लिए कितना फायदेमंद, जानिए...

ठप हो चुके उद्योगों को वापस से पटरी पर लाने के लिए केंद्र सरकार ने MSME सेक्टरों को अनुदान देने की घोषणा की है. सरकार के इस फैसले से उद्यमों को क्या लाभ होगा, यह जानने के लिए ईटीवी भारत की टीम वस्त्र नगरी के नाम से विख्यात भीलवाड़ा में औद्योगिक संगठन और श्रमिक संगठन के पास पहुंची. जहां सभी उद्यमियों ने MSME के तहत मिलने वाले ऋण को लेकर अलग-अलग राय रखी. देखें ये खास रिपोर्ट...

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MSME सेक्टरों को मिलने वाला अनुदान उद्यमियों के लिए कितना फायदेमंद
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Published : Jun 15, 2020, 2:18 PM IST

भीलवाड़ा. MSME भारतीय अर्थव्यवस्था की रीढ़ है. एमएसएमई का मतलब सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम है. ये देश के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में लगभग 29 फीसदी का योगदान करते हैं. एमएसएमई सेक्टर देश में रोजगार का सबसे बड़ा जरिया है. हाल ही में केंद्र सरकार ने वस्त्र उद्योगों को बढ़ावा देने के लिए एमएसएमई के तहत ऋण देने की बात कही है. क्या सरकार की यह योजना वस्त्र उद्योगों को वापस पटरी पर ला पाएगी. इस बारे में भीलवाड़ा के कुछ उद्यमियों से ईटीवी भारत ने खास बात की.

MSME सेक्टरों को मिलने वाला अनुदान उद्यमियों के लिए कितना फायदेमंद

भीलवाड़ा टैक्सटाइल ट्रेड फेडरेशन के अध्यक्ष दामोदर अग्रवाल ने ईटीवी भारत से खास बात करते हुए कहा कि वैश्विक महामारी कोरोना के कारण देश की अर्थव्यवस्था पर बहुत बड़ा विपरीत प्रभाव पड़ा है. MSME सेक्टर में पिछले 3 महीने से सारी उत्पादन गतिविधियां ठप होने के कारण सभी उद्यमियों को पैसा उधारी लेना पड़ा है. उन्होंने कहा कि पैसे स्टॉक मे फंस जाने के कारण स्थिति और भयावह हो गई.

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वस्त्र उद्योगों मे शुरू हुआ कामकाज

यह भी पढ़ें- पोपलीन नगरी बालोतरा के वस्त्र उद्योग पर संकट, लॉकडाउन में करोड़ों का हुआ नुकसान

बिना सिक्योरिटी मिलेगा 20 प्रतिशत लोन

दामोदर अग्रवाल के अनुसार केंद्र सरकार ने MSME को प्रमोट करने के लिए बहुत सारी योजनाएं दी है. इस समय बहुत बड़ी दिक्कत लिक्विडिटी की है. इसके लिहाज से एक बहुत बड़ा अमाउंट 10 लाख करोड़ रुपए से ज्यादा का एमएसएमई के लिए उपलब्ध करवाया गया है. एमएसएमई सेक्टर के उद्यमियों के पास जितनी बैंक की फैसिलिटी है, उनका सीधा 20 प्रतिशत बिना किसी सिक्योरिटी पर लोन दिया जाना है. इससे व्यापार में कुछ तरलता आएगी और उद्योगों के फिस से पटरी पर आने की संभावना है.

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भीलवाड़ा वस्त्र उद्योग में कार्यरत कर्मचारी

भीलवाड़ा में 350 कपड़ा इंडस्ट्रीज

दामोदर अग्रवाल बताते हैं कि भीलवाड़ा में लगभग 350 कपड़ा इंडस्ट्रीज हैं. सभी ने बैंक से फैसिलिटी ले रखी है. एमएसएमई की परिभाषा को बदलकर अब भीलवाड़ा में 90 प्रतिशत से ज्यादा उद्योग मीडियम स्केल के अंतर्गत आ जाएंगे, जिससे निश्चित रूप से इनको लोन मिलेगा.

वहीं, भीलवाड़ा टैक्सटाइल ट्रेड फेडरेशन के महासचिव प्रेम स्वरूप गर्ग का कहना है कि वर्तमान में कोरोना के अंतर्गत व्यवसाय की हालत बहुत खराब है. जब व्यापार चल ही नहीं रहा, उत्पादन हो ही नहीं रहा, आमदनी हो ही नहीं रही तो इस हालत में MSME को जीवित रखना अपने आप में एक प्रश्न है.

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MSME सेक्टरों को सरकार देगी अनुदान

गर्ग के अनुसार 9.5 प्रतिशत पर ब्याज और कर्ज लेकर यूनिट को चला पाना एक अपने आप में संशय बना हुआ है. लेकिन सरकार उद्यमियों की मदद करना चाहती है. इसमें ब्याज बिल्कुल नहीं होना चाहिए. यह आवश्यकता की पूर्ति करेगा. सबसे बड़ा बहुत प्रश्न है कि बैंक उद्यमियों को कितना कॉपरेट करता है.

40 हजार श्रमिक करते हैं काम

भारतीय मजदूर संघ के प्रदेश उपाध्यक्ष प्रभाष चौधरी ने कहा कि भीलवाड़ा में MSME के तहत 350 उद्योग आते हैं जिसमें 40 हजार से ज्यादा श्रमिक काम करते हैं. अभी स्थिति यह है कि उद्योगपतियों को धक्का तो लगा है. लेकिन इतना भी नहीं कि सरकार के ऊपर छोड़ दें. एमएसएमई के तहत एक पैकेज दिया है वह पर्याप्त नहीं है.

यह भी पढ़ें- कपड़ा व्यवसाय पर लॉकडाउन की मार...100 से 150 करोड़ का कारोबार प्रभावित, सरकार से मदद की गुहार

उन्होंने कहा कि सबसे बड़ी बात यह है कि लोन लेकर प्रोडक्शन करने का मतलब यह नहीं है कि माल बिकेगा ही, इसकी अभी संभावना थोड़ी कम है. प्रवासी मजदूर चले गए जिससे उद्योग कम चल रहे हैं और ब्याज ज्यादा है.

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ईटीवी भारत से बात करते भारतीय मजदूर संघ के प्रदेश उपाध्यक्ष प्रभाष चौधरी

उन्होंने ईटीवी से कहा कि मेरी मांग है कि गिरते हुए उद्योगों को उठाने के लिए ब्याज दर कम होनी चाहिए. वर्तमान में मजदूरों की आवश्यकता है. मेरी सरकार से मांग है कि जो प्रवासी मजदूर आए हैं, उनको मनरेगा के बजाय उपखंड स्तर पर स्किल डेवलपमेंट ट्रेनिंग दी जाए. जिससे ये श्रमिक तैयार होकर इन उद्योगों में काम करके अच्छा पैसा कमा सकते हैं

भीलवाड़ा. MSME भारतीय अर्थव्यवस्था की रीढ़ है. एमएसएमई का मतलब सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम है. ये देश के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में लगभग 29 फीसदी का योगदान करते हैं. एमएसएमई सेक्टर देश में रोजगार का सबसे बड़ा जरिया है. हाल ही में केंद्र सरकार ने वस्त्र उद्योगों को बढ़ावा देने के लिए एमएसएमई के तहत ऋण देने की बात कही है. क्या सरकार की यह योजना वस्त्र उद्योगों को वापस पटरी पर ला पाएगी. इस बारे में भीलवाड़ा के कुछ उद्यमियों से ईटीवी भारत ने खास बात की.

MSME सेक्टरों को मिलने वाला अनुदान उद्यमियों के लिए कितना फायदेमंद

भीलवाड़ा टैक्सटाइल ट्रेड फेडरेशन के अध्यक्ष दामोदर अग्रवाल ने ईटीवी भारत से खास बात करते हुए कहा कि वैश्विक महामारी कोरोना के कारण देश की अर्थव्यवस्था पर बहुत बड़ा विपरीत प्रभाव पड़ा है. MSME सेक्टर में पिछले 3 महीने से सारी उत्पादन गतिविधियां ठप होने के कारण सभी उद्यमियों को पैसा उधारी लेना पड़ा है. उन्होंने कहा कि पैसे स्टॉक मे फंस जाने के कारण स्थिति और भयावह हो गई.

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वस्त्र उद्योगों मे शुरू हुआ कामकाज

यह भी पढ़ें- पोपलीन नगरी बालोतरा के वस्त्र उद्योग पर संकट, लॉकडाउन में करोड़ों का हुआ नुकसान

बिना सिक्योरिटी मिलेगा 20 प्रतिशत लोन

दामोदर अग्रवाल के अनुसार केंद्र सरकार ने MSME को प्रमोट करने के लिए बहुत सारी योजनाएं दी है. इस समय बहुत बड़ी दिक्कत लिक्विडिटी की है. इसके लिहाज से एक बहुत बड़ा अमाउंट 10 लाख करोड़ रुपए से ज्यादा का एमएसएमई के लिए उपलब्ध करवाया गया है. एमएसएमई सेक्टर के उद्यमियों के पास जितनी बैंक की फैसिलिटी है, उनका सीधा 20 प्रतिशत बिना किसी सिक्योरिटी पर लोन दिया जाना है. इससे व्यापार में कुछ तरलता आएगी और उद्योगों के फिस से पटरी पर आने की संभावना है.

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भीलवाड़ा वस्त्र उद्योग में कार्यरत कर्मचारी

भीलवाड़ा में 350 कपड़ा इंडस्ट्रीज

दामोदर अग्रवाल बताते हैं कि भीलवाड़ा में लगभग 350 कपड़ा इंडस्ट्रीज हैं. सभी ने बैंक से फैसिलिटी ले रखी है. एमएसएमई की परिभाषा को बदलकर अब भीलवाड़ा में 90 प्रतिशत से ज्यादा उद्योग मीडियम स्केल के अंतर्गत आ जाएंगे, जिससे निश्चित रूप से इनको लोन मिलेगा.

वहीं, भीलवाड़ा टैक्सटाइल ट्रेड फेडरेशन के महासचिव प्रेम स्वरूप गर्ग का कहना है कि वर्तमान में कोरोना के अंतर्गत व्यवसाय की हालत बहुत खराब है. जब व्यापार चल ही नहीं रहा, उत्पादन हो ही नहीं रहा, आमदनी हो ही नहीं रही तो इस हालत में MSME को जीवित रखना अपने आप में एक प्रश्न है.

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MSME सेक्टरों को सरकार देगी अनुदान

गर्ग के अनुसार 9.5 प्रतिशत पर ब्याज और कर्ज लेकर यूनिट को चला पाना एक अपने आप में संशय बना हुआ है. लेकिन सरकार उद्यमियों की मदद करना चाहती है. इसमें ब्याज बिल्कुल नहीं होना चाहिए. यह आवश्यकता की पूर्ति करेगा. सबसे बड़ा बहुत प्रश्न है कि बैंक उद्यमियों को कितना कॉपरेट करता है.

40 हजार श्रमिक करते हैं काम

भारतीय मजदूर संघ के प्रदेश उपाध्यक्ष प्रभाष चौधरी ने कहा कि भीलवाड़ा में MSME के तहत 350 उद्योग आते हैं जिसमें 40 हजार से ज्यादा श्रमिक काम करते हैं. अभी स्थिति यह है कि उद्योगपतियों को धक्का तो लगा है. लेकिन इतना भी नहीं कि सरकार के ऊपर छोड़ दें. एमएसएमई के तहत एक पैकेज दिया है वह पर्याप्त नहीं है.

यह भी पढ़ें- कपड़ा व्यवसाय पर लॉकडाउन की मार...100 से 150 करोड़ का कारोबार प्रभावित, सरकार से मदद की गुहार

उन्होंने कहा कि सबसे बड़ी बात यह है कि लोन लेकर प्रोडक्शन करने का मतलब यह नहीं है कि माल बिकेगा ही, इसकी अभी संभावना थोड़ी कम है. प्रवासी मजदूर चले गए जिससे उद्योग कम चल रहे हैं और ब्याज ज्यादा है.

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ईटीवी भारत से बात करते भारतीय मजदूर संघ के प्रदेश उपाध्यक्ष प्रभाष चौधरी

उन्होंने ईटीवी से कहा कि मेरी मांग है कि गिरते हुए उद्योगों को उठाने के लिए ब्याज दर कम होनी चाहिए. वर्तमान में मजदूरों की आवश्यकता है. मेरी सरकार से मांग है कि जो प्रवासी मजदूर आए हैं, उनको मनरेगा के बजाय उपखंड स्तर पर स्किल डेवलपमेंट ट्रेनिंग दी जाए. जिससे ये श्रमिक तैयार होकर इन उद्योगों में काम करके अच्छा पैसा कमा सकते हैं

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