भीलवाड़ा: राजस्थान माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (Rajasthan Board of Secondary Education) की ओर से आयोजित रीट परीक्षा (REET Exam) दो पारियों में संपन्न है. परीक्षा में इस बार कई जिलों में महिला अभ्यर्थियों को गृह जिला आंवटित किया गया है.
विभिन्न जिलों से आ रहे अभ्यर्थी
कुछ महिला अभ्यर्थियों को गृह जिला आवंटित नहीं हुआ है. यहां तक कि पुरुष अभ्यर्थी (Candidates) को गृह जिला आवंटन नहीं करके प्रदेश के अन्य जिलों में परीक्षा केंद्र (Exam Center) आवंटित किये हैं. भीलवाड़ा (Bhilwara) में इस बार बूंदी (Bundi), उदयपुर (Udaipur) से काफी संख्या में महिला अभ्यर्थी पहुंची हैं. पुरूष अभ्यर्थियों की बात करें तो अलवर (Alwar), भरतपुर (Bharatpur), बूंदी ,कोटा, उदयपुर ,चित्तौड़गढ़ से अभ्यर्थी पहुंचे हैं.
गृह जिले की दरख्वास्त
अभ्यर्थी (Reet Candidates) मानते हैं कि जिले के बदलाव से काफी फर्क पड़ता है. ज्यदातार को लगता है कि इससे समय की बर्बादी होती है. अपने गृह जिले पहले निकलना पड़ता है. आवंटित परीक्षा केन्द्र (Exam Centers) पहुंचने के लिए काफी मशक्कत करनी पड़ती है. इसके लिए दो से तीन दिन पहले पहुंचना पड़ता है.
ऐसे में सुझाते हैं कि आगे से सरकार इन बातों का भी खास ख्याल रखे. भविष्य में जो भी प्रतियोगी परीक्षा आयोजित करें उनमें अभ्यर्थी (Reet Candidates) को गृह या पास ही का जिला आवंटित किया जाए.
जिला अपना हो, पर्यवेक्षक बाहर के
परीक्षार्थी कहते हैं सुरक्षा की दृष्टि से ये भी हो सकता है कि परीक्षा लेने वाले अधिकारी, कर्मचारी या फिर पर्यवेक्षक दूसरे जिले के लगाए जायें. जिससे परीक्षा की गोपनीयता (Secrecy) भी बरकरार रह सके. इससे 25 से 26 लाख युवाओं को सड़क पर नहीं भटकना पड़ेगा.
'भटकना पड़ता है'
ऐसे कई परीक्षार्थी (Reet Exam) मिले जो फ्री सेवा से तो खुश थे लेकिन इस System में बदलाव की मांग कर रहे थे. तर्क दिया कि अगर परीक्षार्थियों की बजाए कर्मचारियों की Reshuffling होती तो भटकाव की स्थिति से बचा जा सकता था. यह भी कहा कि भले फ्री सेवाओं से कुछ सहूलियत हुई लेकिन लाखों युवाओं की जगह अगर कुछ हजार कर्मचारियों को इधर उधर किया जाता तो पैसा सबका बचता. सरकार का भी और प्रतियोगी छात्रों का भी.