भीलवाड़ा. जिले में दहेज के लालची पति ने अपनी ही गर्भवती पत्नि की हत्या कर शव को कुएं में फेंक देने के मामले में आरोपित पति को न्यायालय अतिरिक्त सेशन न्यायाधीश महिला उत्पीड़न ने उम्र कैद की सजा सुनाई है. इसके साथ ही कोर्ट ने दोषी पति पर 45 हजार रुपये का अर्थदंड लगाया है.
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न्यायालय ने मृतका की सास को इस मामले में बरी कर दिया. न्यायालय ने अपने फैसले में यह लिखा कि अर्थदण्ड की जमा राशी मृतका की बेटी को दी जाए. भीलवाड़ा जिला महिला उत्पीड़न न्यायालय की विशिष्ठ लोक अभियोजक संजू बाफना ने कहा कि बदनौर थाना क्षेत्र के बालापुरा गांव के जसराज जाट ने 27 अप्रैल 2012 को शंभूगढ थाने में एक मुकदमा दर्ज करवाया था.
जिसमें अंटाली गांव के सम्पत जाट और उसकी मं गुलाबी देवी को आरोपित बनाते हुए लिखा था कि उसकी भतीजी शीला की शादी 15 साल पहले सम्पत के साथ हुई थी.
शादी के बाद शीला सुसराल में रह रही थी मगर उसकी मौत से एक वर्ष से पूर्व उसका पति और सास पीहर से रूपए लाने के लिए उसे आए दिन प्रताड़ित करने लगे.
शीला के तीन बच्चे थे जिनमें से दो की मौत हो चुकी थी. शीला की हत्या के समय उसकी एक 5 साल की बच्ची थी और वह स्वंय भी गर्भवती थी. शीला के साथ उसके पति और सास ने मारपीट कर उसकी हत्या कर दी और शव को मोटरसाइकिल पर ले जाकर पत्थर बांध कर शव को कुएं में फेंक दिया था.
मृतका शीला के चाचा ने अपनी एफआईआर में लिखवाया था कि 20 अप्रैल को उसने अपनी भतीजी के बारे में सुसराल वालों से पूछा था तो उन्होंने टालमटोल जवाब दिया. 27 अप्रैल को अंटाली गांव की गौशाला के पीछे के कुएं में शीला का शव मिलने की सूचना पर पीहर वालों ने मामला दर्ज करवाया.
पुलिस ने गर्भवती पत्नी की हत्या कर शव कुंऐं में फैंक देने के आरोप में उसके पति सम्पत लाल और सास को 28 अप्रैल 2012 को गिरफ्तार किया था. पुलिस ने वह मोटरसाइकिल भी जब्त कर ली थी. जिस पर शव रखकर कुएं तक लाया गया था. पुलिस ने दोनों आरोपियों के खिलाफ 26 जून 2012 को न्यायालय में चार्जशीट पेश की थी.
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न्यायालय में इस हत्याकांड की सुनवाई के दौरान अभियोजन पक्ष ने 26 गवाह और 52 दस्तावेज पेश कर पति पर लगे गर्भवती पत्नी की हत्या के आरोप सिद्ध किए. न्यायालय ने पति को उम्र कैद की सजा के साथ ही 45 हजार रुपए आर्थिक दण्ड से भी दण्डित किया और सास को बरी कर दिया.