ETV Bharat / city

भीलवाड़ाः जीनगर समाज की 100 वर्ष पुरानी कोड़ा मार होली हुई स्थगित

भीलवाड़ा में कोरोना के मामले लगातार बढ़ रहे है. जिसको देखते हुए इस बार कोड़ा मार होली स्थगित कर दी गई. समाज ने यह भी निर्णय लिया है कि जिस दिन कोरोना का बादल हम पर से हट जाएगा, तब हम इस परंपरा को एक नई उम्मीद के साथ दोबारा शुरू करके मनाएंगे, जो निरंतर जारी रहेगी.

author img

By

Published : Apr 10, 2021, 11:20 AM IST

koda maar Holi postponed, कोड़ा मार होली हुई स्थगित
कोड़ा मार होली हुई स्थगित

भीलवाड़ा. लगभग 1 वर्ष पहले जन्मे कोरोना का असर हर वर्ग पर देखने का मिला है. इसका खासा खामियाजा प्राचीन परंपराओं पर भी पड़ा है. जहां शहर की प्राचीन परंपरा जिगनर समाज की कोड़ा मार होली इस बार भी स्थगित कर दी गई है. जिसकी वजह से जीनगर समाज के लोग मायूस है.

कोड़ा मार होली हुई स्थगित

ऐसे में समाजनों के लोगों का मानना है कि जिस दिन कोरोना का बादल देश और प्रदेश से हट जाएगा, उस दिन के बाद से हम दोबारा इस परंपरा को शुरू कर इसको निरंतर जारी रखेंगे.

पढ़ेंः प्रदेश में टीकाकरण को बड़ा झटका, CM गहलोत बोले: वैक्सीनेशन पर राजनीति नहीं, लेकिन वैक्सीन की कमी

क्या है कोड़ा मार होली

कपड़ा नगरी भीलवाड़ा के गुलमंडी में लगभग 100 वर्षों से खेली जा रही होली के तेरवे दिन रंग तेरस पर जीनगर समाज की कोड़ा मार होली, जिसका मुख्य उद्देश्य महिला सशक्तिकरण और देवर और भाभी के अटूट रिश्ते के लिए है. परंपरा के तहत पुरुष या फिर देवर कड़ाव में भरा रंग महिलाओं पर डालते हैं और उनसे बचने के लिए महिलाएं कपड़े से बने कोड़े से प्रहार करती है. लेकिन इस बार कोरोना के चलते स्थगित हो चुका है.

koda maar Holi postponed, कोड़ा मार होली हुई स्थगित
महिलाओं पर डालते हैं रंग

जीनगर समाज के जिला अध्यक्ष कैलाश जीनगर का कहना है कि हर वर्ष परंपरागत ढंग से भीलवाड़ा स्थित गुलमंडी सराफा बाजार क्षेत्र में शहर के विभिन्न स्थानों में रह रहे जीनगर समाज के स्त्री-पुरुष ढोल नगाड़ा गाजे-बाजे के साथ यहां पहुंचते हैं. इस दिन महिलाएं सूती साड़ियों को गूंदकर कोड़े बना लेती है और वहां पर रखें पानी और रंग से भरे बड़े से कड़ाव के पास खड़ी हो जाती है.

koda maar Holi postponed, कोड़ा मार होली हुई स्थगित
कोरोना से प्राचीन परंपराओं स्थगित

वहीं पुरुष कड़ा से पानी की डोलची भरकर महिलाओं पर पानी डालते है और महिलाएं उन पर कोड़े बरसाते हैं, कड़ाव पर जिस का कब्जा होता है, वही इसमें विजेता होती है. इसके बाद पूरी समाज के लिए एक सामूहिक भोज का आयोजन भी किया जाता है. जिसमें पूरे समाज के लोग स्नेह मिलन करते हैं. बुजुर्गों का मानना था कि महिलाओं का सशक्तिकरण के लिए कोई पर्व मनाया जाए और भाभी और देवर के अटूट रिश्ते और प्रेम के लिए होली के 13 दिन को कोड़ा मार होली का आयोजन किया जाता है.

koda maar Holi postponed, कोड़ा मार होली हुई स्थगित
देवर-भाभी का है त्योहार

पढ़ेंः Exclusive: अंतर्कलह में डूबी कांग्रेस, उपचुनाव परिणाम के बाद 3 महीने में गिर जाएगी गहलोत सरकार : देवनानी

बुजुर्ग अब तक इस परंपरा को निभाते आ रहे थे, लेकिन कोरोना जैसी बीमारी के चलते यह परंपरा अब टूट गई है. जिसके कारण जीनगर समाज के लोगों में मायूसी तो व्याप्त है, लेकिन इस परंपरा को निभाने के लिए हम इसे सादगी के साथ इस बार बना रहे हैं. वहीं दूसरी तरफ राजेश जीनगर ने कहा कि देश और प्रदेश में कोरोना की दूसरी लहर लगातार अपने पांव पसार रही है और भीलवाड़ा में भी कोरोना वायरस बढ़ते मामलों को लेकर हम समाज जनों ने निर्णय लिया कि इस बार कोड़ा मार होली का आयोजन नहीं करके इसे सादगी के साथ मनाया जाएगा. वहीं हमारे समाज ने यह भी निर्णय लिया है कि जिस दिन कोरोना का बादल हम पर से हट जाएगा, तब हम इस परंपरा को एक नई उम्मीद के साथ दोबारा शुरू करके मनाएंगे, जो निरंतर जारी रहेगी.

भीलवाड़ा. लगभग 1 वर्ष पहले जन्मे कोरोना का असर हर वर्ग पर देखने का मिला है. इसका खासा खामियाजा प्राचीन परंपराओं पर भी पड़ा है. जहां शहर की प्राचीन परंपरा जिगनर समाज की कोड़ा मार होली इस बार भी स्थगित कर दी गई है. जिसकी वजह से जीनगर समाज के लोग मायूस है.

कोड़ा मार होली हुई स्थगित

ऐसे में समाजनों के लोगों का मानना है कि जिस दिन कोरोना का बादल देश और प्रदेश से हट जाएगा, उस दिन के बाद से हम दोबारा इस परंपरा को शुरू कर इसको निरंतर जारी रखेंगे.

पढ़ेंः प्रदेश में टीकाकरण को बड़ा झटका, CM गहलोत बोले: वैक्सीनेशन पर राजनीति नहीं, लेकिन वैक्सीन की कमी

क्या है कोड़ा मार होली

कपड़ा नगरी भीलवाड़ा के गुलमंडी में लगभग 100 वर्षों से खेली जा रही होली के तेरवे दिन रंग तेरस पर जीनगर समाज की कोड़ा मार होली, जिसका मुख्य उद्देश्य महिला सशक्तिकरण और देवर और भाभी के अटूट रिश्ते के लिए है. परंपरा के तहत पुरुष या फिर देवर कड़ाव में भरा रंग महिलाओं पर डालते हैं और उनसे बचने के लिए महिलाएं कपड़े से बने कोड़े से प्रहार करती है. लेकिन इस बार कोरोना के चलते स्थगित हो चुका है.

koda maar Holi postponed, कोड़ा मार होली हुई स्थगित
महिलाओं पर डालते हैं रंग

जीनगर समाज के जिला अध्यक्ष कैलाश जीनगर का कहना है कि हर वर्ष परंपरागत ढंग से भीलवाड़ा स्थित गुलमंडी सराफा बाजार क्षेत्र में शहर के विभिन्न स्थानों में रह रहे जीनगर समाज के स्त्री-पुरुष ढोल नगाड़ा गाजे-बाजे के साथ यहां पहुंचते हैं. इस दिन महिलाएं सूती साड़ियों को गूंदकर कोड़े बना लेती है और वहां पर रखें पानी और रंग से भरे बड़े से कड़ाव के पास खड़ी हो जाती है.

koda maar Holi postponed, कोड़ा मार होली हुई स्थगित
कोरोना से प्राचीन परंपराओं स्थगित

वहीं पुरुष कड़ा से पानी की डोलची भरकर महिलाओं पर पानी डालते है और महिलाएं उन पर कोड़े बरसाते हैं, कड़ाव पर जिस का कब्जा होता है, वही इसमें विजेता होती है. इसके बाद पूरी समाज के लिए एक सामूहिक भोज का आयोजन भी किया जाता है. जिसमें पूरे समाज के लोग स्नेह मिलन करते हैं. बुजुर्गों का मानना था कि महिलाओं का सशक्तिकरण के लिए कोई पर्व मनाया जाए और भाभी और देवर के अटूट रिश्ते और प्रेम के लिए होली के 13 दिन को कोड़ा मार होली का आयोजन किया जाता है.

koda maar Holi postponed, कोड़ा मार होली हुई स्थगित
देवर-भाभी का है त्योहार

पढ़ेंः Exclusive: अंतर्कलह में डूबी कांग्रेस, उपचुनाव परिणाम के बाद 3 महीने में गिर जाएगी गहलोत सरकार : देवनानी

बुजुर्ग अब तक इस परंपरा को निभाते आ रहे थे, लेकिन कोरोना जैसी बीमारी के चलते यह परंपरा अब टूट गई है. जिसके कारण जीनगर समाज के लोगों में मायूसी तो व्याप्त है, लेकिन इस परंपरा को निभाने के लिए हम इसे सादगी के साथ इस बार बना रहे हैं. वहीं दूसरी तरफ राजेश जीनगर ने कहा कि देश और प्रदेश में कोरोना की दूसरी लहर लगातार अपने पांव पसार रही है और भीलवाड़ा में भी कोरोना वायरस बढ़ते मामलों को लेकर हम समाज जनों ने निर्णय लिया कि इस बार कोड़ा मार होली का आयोजन नहीं करके इसे सादगी के साथ मनाया जाएगा. वहीं हमारे समाज ने यह भी निर्णय लिया है कि जिस दिन कोरोना का बादल हम पर से हट जाएगा, तब हम इस परंपरा को एक नई उम्मीद के साथ दोबारा शुरू करके मनाएंगे, जो निरंतर जारी रहेगी.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.