भरतपुर. विश्व प्रसिद्ध घना पक्षी विहार में वन विभाग की प्रधान मुख्य वन संरक्षक (हॉफ) श्रुति शर्मा के निर्देशन में बुधवार को एक दिवसीय कार्यशाला आयोजित की गई. 'पक्षी विविधता के आंकलन' विषय पर आयोजित कार्यशाला में पक्षी विशेषज्ञों और वन विभाग के अधिकारियों ने फील्ड स्टाफ़ को तकनीकी जानकारी दी.
इस अवसर पर अतिरिक्त प्रधान मुख्य वन संरक्षक (सिल्वीकल्चर) अरिजीत बनर्जी ने कहा कि विभाग के नवनियुक्त रेंजर्स को पक्षी विविधता के बारे में जानकारी देना इसलिए भी आवश्यक है, ताकि वे इस जानकारी का उपयोग करते हुए आगामी वर्षों में अपने काम को और बेहतर तरीके से कर सकें. उन्होंने पर्यावरण में चिड़ियां सहित विभिन्न प्रजातियों के पक्षियों की उपयोगिता को रेखांकित करते हुए कहा कि पशु-पक्षियों के बिना पर्यावरण की कल्पना संभव नहीं है. पक्षियों का अपना अलग संसार है, जिसे देखना और बचाए रखना दोनों महत्वपूर्ण हैं.
कार्यशाला के मुख्य वक्ता और पक्षी विशेषज्ञ सूजन चटर्जी ने उपस्थितजनों को पर्यावरण में चिड़ियां सहित अन्य पक्षियों की उपयोगिता बताते हुए नए-नए पक्षियों के बारे में जानकारी प्राप्त करने के लिए प्रेरित किया.
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बेंगलुरू के एनसीएफ की प्रोजेक्ट मैनेजर मित्तल गाला ने नई तकनीकों के माध्यम से पक्षियों की जानकारी एकत्रित करने और उन्हें डिजिटल प्लेटफॉर्म 'ई-बर्ड्स' के माध्यम से सबके साथ साझा करने का आह्वान किया. इस दौरान मित्तल गाला ने उपस्थितजनों को प्रेजेंटेशन के माध्यम से 'ई-बर्ड्स' और 'ई-बर्ड्स इंडिया' एप की जानकारी देते हुए इसके उपयोग की जानकारी भी दी.
कार्यशाला में सीसीएफ भरतपुर डॉ. सीआर मीणा, राजस्थान वानिकी एवं वन्य जीव प्रशिक्षण संस्थान के निदेशक केसीए अरुण प्रसाद, डीसीएफ (ट्रेनिंग) श्री नरेशचंद्र शर्मा ने भी संबोधन दिया. बर्ड वाचिंग और पक्षियों की पहचान करने के साथ-साथ उनका असेसमेंट करने में उपयोगी रहने वाले उपकरणों की जानकारी जायस इंडिया के उमेंद्र शाह ने दी. कार्यशाला के अंत में प्रतिभागियों को घना पक्षी विहार में फील्ड विजिट भी करवाई गई.