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भरतपुर: पलायन करने वाले मजदूरों को समाजसेवियों ने बांटा खाना - जिला कलेक्टर नथमल डिडेल

पूरे देश में फैले कोरोना वायरस के चलते हड़कंप मचा हुआ है. जिसको लेकर पूरे देश में लॉकडाउन किया गया है. लेकिन लॉकडाउन के कारण दूसरे राज्यों या शहरों में काम करने वाले मजदूरों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है. जिसके कारण अब लोग पैदल ही अपने घरों के लिए निकल रहे हैं.

भरतपुर की खबर, मजदूर पलायन, covid 19
लॉक डाउन के चलते मजदूर पलायन करने को मजबूर
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Published : Mar 28, 2020, 9:00 PM IST

भरतपुर. कोरोना वायरस ने पूरे देश मे ऐसा कोहराम मचाया है जिसके बाद पूरा देश उथल पुथल हो गया है. साथ ही देश मे लॉकडाउन के बाद लोग अपने घरों से बाहर भी नहीं निकल पा रहे हैं. देश मे सारी फैक्टरियां, कारखाने बंद हो गए है. ऐसे में जो मजदूर बाहर की फैक्टरियों में काम कर रहे थे वो अपने घर पलायन करने को मजबूर है, लेकिन उनके सामने एक बड़ी समस्या भी पैदा हो गई है. देश मे कही भी यात्रियों के लिए वाहन नहीं चल रहे. जिसके बाद मजदूर अपने घर की तरफ पैदल ही निकल पड़े है. अब ऐसे में उनके पास न तो खाने के लिए खाना है और न ही पीने के लिए पानी.

भरतपुर के नेशनल हाइवे 21 पर ऐसे हजारों की संख्या में मजदूर है जो बीकानेर से, तो कोई जयपुर, सीकर, से पैदल अपने घरों की तरफ जा रहे है. इस स्थिति में भरतपुर शहर के समाजसेवियों की तस्वीर सामने आई है. जो अपने घरों की तरफ पलायन कर रहे मजदूरों के लिए खाने पीने की व्यवस्था कर रहे हैं.

लॉकडाउन के चलते मजदूर पलायन करने को मजबूर

ऐसे ही कुछ लोग नेशनल हाइवे 21 पर मिले जो जयपुर से गोरखपुर के लिए निकले हैं. उन्होंने बताया कि वे 3 दिन पहले जयपुर से निकले है और जयपुर से भरतपुर की दूरी 180 किलोमीटर है और भरतपुर से गोरखपुर की दूरी 660 किलोमीटर है. अब ऐसे में मजदूरों के सामने ये समस्या खड़ी हो गई है कि वे घर कैसे जाए. उनके साथ उनके छोटे छोटे बच्चे भी है. जो चल नहीं सकते, लेकिन इस महामारी के डर के कारण सभी को एक ही डर है कि वह अपने घर कैसे पहुंचे. हालांकि जिला प्रशाशन भी पलायन कर रहे मजदूरों पर नजर बनाये हुआ है.

शनिवार को जिला कलेक्टर नथमल डिडेल ने नेशनल हाइवे का दौरा किया और जो भी मजदूर पैदल आ रहे है उनसे बात की. इस दौरान कुछ समाजसेवियों की ओर से मजदूरों को खाना बांटा जा रहा था. वहां पर जिला कलेक्टर ने अपने हाथों से मजदूरों को खाना बांटा और बताया कि कोरोना महामारी से बचने के लिए दो उपाय है. एक तो संक्रमण से कैसे बचा जाए और बीमार है उसका कैसे इलाज किया जाए.

पढ़ें- सब्जी मंडी में नहीं दिखा लॉकडाउन का असर, लापरवाही करने से बाज नहीं आ रहे लोग

उन्होंने कहा कि बीमार के इलाज के लिए डॉक्टर्स लगातार कोशिश कर रहे हैं और संक्रमण से बचने के लिए सोशल डिस्टेनसिंग जरूरी है. जिसके लिए लॉकडाउन की घोषणा की गई है, लेकिन इस विपदा के समय हर कोई अपने घर जाना चाहता है. क्योंकि सभी को डर है कि इस महामारी के समय वो अपने घर पर रहें. जिसके लिए जिला प्रशासन सजग है.

उन्होंने कहा कि हर व्यक्ति का सर्वे किया जा रहा है. समाज भी जागरूक है. जिससे समय समय पर सूचना मिल रही है कि बाहर से आने वाले व्यक्तियों की मेडिकल टीमों की ओर से स्वास्थ्य का परीक्षण करवा कर आगे का इलाज किया जा रहा है, लेकिन नेशनल हाइवे पर एक बड़ी समस्या खड़ी हुई है मजदूर काफी दूर दूर से पैदल आ रहे हैं.

साथ ही उन्होंने कहा कि शहर के समाजसेवियों की ओर से सभी को खाने की व्यवस्था करवाई जा रही है. जिला प्रशाशन इस बात का पूरा ख्याल रखे हुए है कि उनमें 1 मीटर की दूरी हो और किसी को खांसी या बुखार की शिकायत है तो उनके स्वास्थ्य का परीक्षण करवाया जा रहा है. अगर कोई बीमार मिलता है तो उसकी देखभाल की जाएगी. साथ ही भरतपुर प्रशासन इस बात का ख्याल रखे हुए है कि कोई भी व्यक्ति भरतपुर जिले से भूखा प्यासा न निकले.

भरतपुर. कोरोना वायरस ने पूरे देश मे ऐसा कोहराम मचाया है जिसके बाद पूरा देश उथल पुथल हो गया है. साथ ही देश मे लॉकडाउन के बाद लोग अपने घरों से बाहर भी नहीं निकल पा रहे हैं. देश मे सारी फैक्टरियां, कारखाने बंद हो गए है. ऐसे में जो मजदूर बाहर की फैक्टरियों में काम कर रहे थे वो अपने घर पलायन करने को मजबूर है, लेकिन उनके सामने एक बड़ी समस्या भी पैदा हो गई है. देश मे कही भी यात्रियों के लिए वाहन नहीं चल रहे. जिसके बाद मजदूर अपने घर की तरफ पैदल ही निकल पड़े है. अब ऐसे में उनके पास न तो खाने के लिए खाना है और न ही पीने के लिए पानी.

भरतपुर के नेशनल हाइवे 21 पर ऐसे हजारों की संख्या में मजदूर है जो बीकानेर से, तो कोई जयपुर, सीकर, से पैदल अपने घरों की तरफ जा रहे है. इस स्थिति में भरतपुर शहर के समाजसेवियों की तस्वीर सामने आई है. जो अपने घरों की तरफ पलायन कर रहे मजदूरों के लिए खाने पीने की व्यवस्था कर रहे हैं.

लॉकडाउन के चलते मजदूर पलायन करने को मजबूर

ऐसे ही कुछ लोग नेशनल हाइवे 21 पर मिले जो जयपुर से गोरखपुर के लिए निकले हैं. उन्होंने बताया कि वे 3 दिन पहले जयपुर से निकले है और जयपुर से भरतपुर की दूरी 180 किलोमीटर है और भरतपुर से गोरखपुर की दूरी 660 किलोमीटर है. अब ऐसे में मजदूरों के सामने ये समस्या खड़ी हो गई है कि वे घर कैसे जाए. उनके साथ उनके छोटे छोटे बच्चे भी है. जो चल नहीं सकते, लेकिन इस महामारी के डर के कारण सभी को एक ही डर है कि वह अपने घर कैसे पहुंचे. हालांकि जिला प्रशाशन भी पलायन कर रहे मजदूरों पर नजर बनाये हुआ है.

शनिवार को जिला कलेक्टर नथमल डिडेल ने नेशनल हाइवे का दौरा किया और जो भी मजदूर पैदल आ रहे है उनसे बात की. इस दौरान कुछ समाजसेवियों की ओर से मजदूरों को खाना बांटा जा रहा था. वहां पर जिला कलेक्टर ने अपने हाथों से मजदूरों को खाना बांटा और बताया कि कोरोना महामारी से बचने के लिए दो उपाय है. एक तो संक्रमण से कैसे बचा जाए और बीमार है उसका कैसे इलाज किया जाए.

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उन्होंने कहा कि बीमार के इलाज के लिए डॉक्टर्स लगातार कोशिश कर रहे हैं और संक्रमण से बचने के लिए सोशल डिस्टेनसिंग जरूरी है. जिसके लिए लॉकडाउन की घोषणा की गई है, लेकिन इस विपदा के समय हर कोई अपने घर जाना चाहता है. क्योंकि सभी को डर है कि इस महामारी के समय वो अपने घर पर रहें. जिसके लिए जिला प्रशासन सजग है.

उन्होंने कहा कि हर व्यक्ति का सर्वे किया जा रहा है. समाज भी जागरूक है. जिससे समय समय पर सूचना मिल रही है कि बाहर से आने वाले व्यक्तियों की मेडिकल टीमों की ओर से स्वास्थ्य का परीक्षण करवा कर आगे का इलाज किया जा रहा है, लेकिन नेशनल हाइवे पर एक बड़ी समस्या खड़ी हुई है मजदूर काफी दूर दूर से पैदल आ रहे हैं.

साथ ही उन्होंने कहा कि शहर के समाजसेवियों की ओर से सभी को खाने की व्यवस्था करवाई जा रही है. जिला प्रशाशन इस बात का पूरा ख्याल रखे हुए है कि उनमें 1 मीटर की दूरी हो और किसी को खांसी या बुखार की शिकायत है तो उनके स्वास्थ्य का परीक्षण करवाया जा रहा है. अगर कोई बीमार मिलता है तो उसकी देखभाल की जाएगी. साथ ही भरतपुर प्रशासन इस बात का ख्याल रखे हुए है कि कोई भी व्यक्ति भरतपुर जिले से भूखा प्यासा न निकले.

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