भरतपुर. कोरोना अनलॉक के बाद शुक्रवार को नगर निगम की बोर्ड बैठक हुई, लेकिन बैठक में भाग लेने आए पार्षद और वहां मौजूद कर्मचारी कोरोना गाइडलाइन को लेकर लापरवाह नजर आए. मीटिंग हॉल में मौजूद कई पार्षद और कर्मचारी बिना मास्क के नजर आए. साथ ही पार्षदों के लिए निगम प्रबंधन की ओर से की गई बैठने की व्यवस्था में सोशल डिस्टेंसिंग का भी ध्यान नहीं रखा गया.
करीब 3 घंटे तक चली बोर्ड मीटिंग में भरतपुर शहर की चयनित मुख्य सड़कों की मैकेनिकल स्वीपिंग के लिए तैयार किए गए 60.46 करोड़ रुपए के प्रस्ताव की वित्तीय स्वीकृति पर सहमति नहीं बन पाई. अब नगर निगम इस प्रस्ताव की वित्तीय स्वीकृति से पहले पार्षदों के 21 सदस्यीय टीम गठित करेगा. वह टीम देश के किसी एक चयनित शहर का भ्रमण कर वहां की सफाई व्यवस्था का जायजा लेगी. उसके बाद प्रस्ताव पर फिर से अगली बोर्ड मीटिंग में चर्चा की जाएगी.
एक राय दिखे भाजपा-कांग्रेस पार्षद
शुक्रवार को आयोजित नगर निगम की बोर्ड मीटिंग में सभी पार्षदों ने 69 नंबर के प्रस्ताव पर चर्चा की. यह प्रस्ताव भरतपुर शहर की चयनित मुख्य सड़कों की मैकेनिकल स्वीपिंग, डोर टू डोर कचरा संग्रहण, परिवहन कार्य एवं 40 वार्डों की मैनुअल स्लीपिंग की डीपीआर स्वीकृति और 3 वर्षों में होने वाले 60.46 करोड रुपए की प्रशासनिक एवं वित्तीय स्वीकृति पर आधारित थी. निगम की बोर्ड बैठक में पहली बार ऐसा हुआ जब किसी मुद्दे को लेकर कांग्रेस और भाजपा के पार्षद एक राय थे.
दोनों पार्टियों के पार्षदों ने महापौर अभिजीत कुमार से 69 नंबर के प्रस्ताव को पास करने से पहले पार्षदों की 21 सदस्य टीम तैयार कर उस टीम को देश के किसी एक शहर का भ्रमण कराकर वहां की सफाई व्यवस्था का बारीकी से अध्ययन कराने और उसके बाद सभी की सहमति से इस प्रस्ताव पर आगे काम करने की बात कही. इस प्रस्ताव को लेकर देर तक पार्षदों और महापौर के बीच बहस भी हुई, जिसके बाद महापौर अभिजीत कुमार और नगर निगम आयुक्त डॉ. राजेश गोयल ने सभी की बात से सहमत होते हुए प्रस्ताव को अगली मीटिंग में चर्चा के लिए स्थगित कर दिया. लेकिन उससे पहले 1 महीने के अंदर 21 सदस्य टीम को शहर के किसी भी चयनित शहर का दौरा कर अपना सुझाव प्रस्तुत करना होगा.
77 पार्षद, लेकिन 58 को बैठाने की व्यवस्था
असल में नगर निगम के 65 वार्डों के 65 पार्षद और 12 मनोनीत पार्षद समेत कुल 77 पार्षद हैं. लेकिन शुक्रवार की मीटिंग में सिर्फ 58 पार्षदों के ही बैठने की व्यवस्था की गई. ऐसे में न तो सोशल डिस्टेंसिंग का ध्यान रखा गया न सभी पार्षदों के बैठने की व्यवस्था हो पाई. कई पार्षदों को पीछे की सीट पर बैठना पड़ा. इस पर महापौर अभिजीत कुमार ने बताया कि फिलहाल मीटिंग हॉल में इतने ही पार्षदों के बैठाने लायक व्यवस्था है. जल्द ही नगर निगम इसके लिए एक बेहतर वैकल्पिक व्यवस्था करने जा रहा है.
बिना मास्क हुई मीटिंग
नगर निगम की मीटिंग हॉल की दीवारों पर मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के मास्क के लिए जागरूक करने वाले पोस्टर लगे हुए थे, लेकिन मीटिंग हॉल में अधिकतर पार्षद बिना मास्क के बैठे हुए नजर आए. इस पर महापौर अभिजीत ने कहा कि सभी जनप्रतिनिधियों को पहले ही कोरोना गाइडलाइन की पालना करते हुए मीटिंग में शामिल होने के लिए हिदायत दे दी जाती है. यह जनप्रतिनिधियों और अन्य सभी को ध्यान रखना चाहिए.
इसके अलावा नगर निगम की बोर्ड मीटिंग में मास्टर ड्रेनेज सिस्टम की डीपीआर तैयार करने और ड्रेनेज कार्य की प्रोजेक्ट मैनेजमेंट कंसलटेंसी के कार्य में संशोधित राशि 3.13 करोड़ रुपए की प्रशासनिक एवं वित्तीय स्वीकृति पर भी चर्चा हुई. साथ ही शहर के सौंदर्यीकरण के लिए मुख्य चौराहे एवं सर्किलों के नामकरण के लिए कमेटी गठित करने पर भी विचार विमर्श हुआ.