भरतपुर. बच्चे से कुकर्म मामले (Bharatpur minor child sexual misconduct case) के आरोपी निलंबित न्यायाधीश जितेंद्र गुलिया और दो अन्य आरोपी क्लर्क को उच्च न्यायालय की ओर से बेल दिए जाने के बाद अब पीड़ित परिवार न्याय के लिए सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाएगा. पीड़ित परिवार ने बताया कि अब वो जल्द ही उच्चतम न्यायालय में उच्च न्यायालय के न्यायाधीश के निर्णय के खिलाफ अपील करेंगे.
पीड़ित बच्चे के मामा राजवीर ने बताया कि वह उच्च न्यायालय के फैसले की डेटशीट की नकल लेने के बाद जल्द ही हो उच्चतम न्यायालय जाएंगे. मामले में उच्च न्यायालय के न्यायाधीश फरजंद अली ने आरोपी निलंबित न्यायाधीश जितेंद्र गुलिया और दोनों क्लर्क को बेल दी है. इस निर्णय के खिलाफ वह उच्चतम न्यायालय में अपील करेंगे.
5 तारीख बदलने के बाद गुपचुप सुनवाई
राजवीर ने उच्च न्यायालय के निर्णय पर सवाल खड़े करते हुए कहा कि इस मामले में न्यायाधीश ने सुनवाई की तारीख पांच बार बदली. पहले इस मामले की सुनवाई 9 मार्च को होनी थी. उसके बाद 10 मार्च तारीख दी गई लेकिन फिर भी सुनवाई नहीं हुई. फिर 11 मार्च, 14 मार्च और उसके बाद 16 मार्च को शाम 4.15 बजे सुनवाई का समय दिया गया, लेकिन न्यायाधीश ने 16 मार्च को निर्धारित समय से पहले दोपहर 2 बजे ही सुनवाई कर तीनों आरोपियों को बेल दे दी. जबकि इस पूरे मामले में पीड़ित पक्ष के वकील को ना तो सूचना दी गई और न पीड़ित पक्ष को सुना गया.
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बच्चे के मामा राजवीर ने आरोप लगाते हुए कहा कि मामले की सुनवाई की तारीख बार-बार बदलकर होली से 1 दिन पहले गुपचुप तरीके से सुनवाई की गई और तीनों आरोपियों को बेल दे दी गई. उसके अगले 4 दिन तक न्यायालय की छुट्टियां थीं. राजवीर ने कहा कि मामले की सुनवाई करने वाले न्यायाधीश फरजंद अली वर्ष 1995 के बैच के हैं जबकि आरोपी जज जितेंद्र गुलिया 1996 बैच के हैं. ऐसे में दोनों का एक दूसरे से जुड़ाव है.
अक्टूबर 2021 में आरोपी न्यायाधीश जितेंद्र गुलिया और उनके 2 क्लर्क अंशुल सोनी और राहुल कटारा ने एक नाबालिग बच्चे के साथ सामूहिक कुकर्म किया था. मामला प्रकाश में आने के बाद पीड़ित परिवार ने तीनों के खिलाफ मामला दर्ज कराया. इसके बाद बाल आयोग ने मामले में संज्ञान लिया और दबाव बढ़ाया, जिसके बाद आरोपी जज और लिपिकों को सस्पेंड कर जेल भेज दिया गया था.