भरतपुर. परिवहन विभाग की ओर से जारी किए जाने वाले ड्राइविंग लाइसेंस से पहले लोगों के ड्राइविंग टेस्ट के लिए करीब 1 साल पहले भरतपुर में ऑटोमेटिक ड्राइविंग ट्रैक तैयार होना था. लेकिन ना तो अभी तक यह पूरा ट्रैक तैयार हो पाया है और ना ही लोगों को इस ट्रैक की सुविधा मिल पा रही है.
हालात यह है कि परिवहन विभाग ने आरएसआरडीसी से आधा अधूरा निर्मित ऑटोमेटिक ड्राइविंग ट्रैक ही हस्तांतरित कर लिया है. स्ट्राइक पर ना तो अभी तक सेंसर लगे हैं और ना ही लोगों के ड्राइविंग टेस्ट शुरू हो पाए हैं. ऐसे में सरकार द्वारा ऑटोमेटिक ड्राइविंग ट्रैक पर खर्च किए गए करीब 87 लाख रुपए के बावजूद लोगों को इस सुविधा का अब तक लाभ नहीं मिल पा रहा है.
अधिकारियों ने हैंड ओवर कर लिया खामियों से भरा ट्रैक
जानकारी के अनुसार 87 लाख रुपए की लागत से तैयार कराए जा रहे. इस ऑटोमेटिक ड्राइविंग ट्रैक को करीब 1 साल पहले पूरी तरह से तैयार हो जाना था. लेकिन आरएसआरडीसी की ओर से अभी तक निर्माण भी पूरा नहीं कराया गया. फिर भी परिवहन विभाग के अधिकारियों ने जल्दबाजी करते हुए इसे हस्तांतरित कर लिया. वहीं कुछ समय पहले कराए गए एक निरीक्षण में इस ऑटोमेटिक ड्राइविंग ट्रैक में तमाम खामियां भी सामने आई है.
कई तकनीकी खामियां आई समाने नहीं, हालत जस की तस
विभागीय सूत्रों का कहना है कि अभी तक ऑटोमेटिक ड्राइविंग ट्रैक परिसर में ना तो पार्किंग की व्यवस्था की गई है और ना ही उचित वेटिंग स्थान की. इतना ही नहीं ऑटोमेटिक ड्राइविंग ट्रैक परिसर में तैयार किए गए ओवरब्रिज में भी तकनीकी खामियां बताई गई है. जिनको अभी तक ठीक नहीं कराया गया है.
सेंसर के बिना अनुपयोगी ट्रैक
इस ऑटोमेटिक ड्राइविंग ट्रैक परिसर में ट्रैफिक सिग्नलों के अलावा फ्लाईओवर, एलिवेटेड पहाड़ी, 8 अंक का जिगजैग ट्रैक तो तैयार हो गए, लेकिन जहां फ्लाई ओवर में तमाम खामियां हैं. वहीं अभी तक सेंसर लगाने का कार्य शुरू नहीं हो पाया है.
प्रादेशिक परिवहन अधिकारी ने नहीं बताया कब तक ट्रैक होगा शुरू
प्रादेशिक परिवहन अधिकारी राजेश शर्मा ने बताया कि ट्रक की खामियों को दूर करने के लिए आरएसआरडीसी को बोल दिया गया है. वहीं उसके बाद एक अलग फर्म इसमें सेंसर लगाने का काम करेगी. लेकिन यह कार्य कब तक पूर्ण हो जाएगा. इस बारे में प्रादेशिक परिवहन अधिकारी राजेश शर्मा कुछ भी बोलने में असमर्थ नजर आए.
गौरतलब है कि परिवहन कार्यालय में ड्राइविंग लाइसेंस बनाने के लिए ड्राइविंग टेस्ट देना पड़ता है, लेकिन ऑटोमेटिक ड्राइविंग ट्रैक शुरू नहीं होने की वजह से जुगाड़ और रसूख से ड्राइविंग लाइसेंस बनाये जा रहे हैं. ऐसे में विभाग के कई कर्मचारियों का दबी जुबान में कहना है कि खुद विभाग के अधिकारी नहीं चाहते कि ऑटोमेटिक ड्राइविंग ट्रैक जल्द शुरू हो.