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सिमको संघर्ष समिति में टीटागढ़ प्रबंधन के खिलाफ रोष, पीएम के नाम दिया ज्ञापन

सिमको संघर्ष समिति ने टीटागढ़ प्रबंधन के खिलाफ रोष बढ़ता ही जा रहा है. सोमवार को समिति ने अपनी मांगों को लेकर शहर के कुम्हेर गेट से संभागीय आयुक्त कार्यालय तक रैली निकाली. इस दौरान संभागीय आयुक्त को प्रधानमंत्री के नाम अपनी मांगों का ज्ञापन सौंपा गया.

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Published : Oct 19, 2020, 3:34 PM IST

Simco Sangharsh Samiti Protest, laborers Protest in Bharatpur
सिमको संघर्ष समिति में टीटागढ़ प्रबंधन के खिलाफ रोष

भरतपुर. जिले की सिमको फैक्ट्री को लेकर सिमको संघर्ष समिति का गुस्सा दिन पर दिन बढ़ता जा रहा है. सोमवार को सिमको संघर्ष समिति के नेतृत्व में शहर के कुम्हेर गेट से संभागीय आयुक्त कार्यालय तक एक रैली निकाली गई और संभागीय आयुक्त को प्रधानमन्त्री के नाम ज्ञापन पत्र सौंपते हुए मांग रखी कि सिमको फैक्ट्री से साल 2008 में हुए समझौते की पालना हो. इसके अलावा 1758 मजदूरों को दुबारा उनको रोजगार दिया जाए. साथ ही सिमको फैक्टरी पहले की तरफ सुचारू रूप से शुरू की जाए.

सिमको संघर्ष समिति में टीटागढ़ प्रबंधन के खिलाफ रोष

सिमको संघर्ष समिति के सदस्यों का कहना है कि साल 2008 में सिमको फैक्ट्री को टीटागढ़ प्रबंधन ने खरीद लिया था. तब फैक्ट्री के मजदूरों को एक आश्वासन दिया गया था कि फैक्ट्री के मजदूरों को वापस काम पर लिया जाएगा और फैक्ट्री का विकास किया जाएगा, लेकिन टीटागढ़ प्रबंधन ने इस फैक्ट्री को एक बीमारू उद्योग के रूप में बना दिया. आज के समय में फैक्ट्री में करीब 200 मजदूर काम कर रहे हैं, लेकिन उसमें भी भरतपुर का कोई भी मजदूर काम नहीं कर रहा.

पढ़ें- जोधपुरः नामांकन दाखिल करने का सिलसिला जारी, कांग्रेस ने अब तक नहीं जारी की सूची

यह फैक्टरी 500 बीघा में फैली हुई है और फैक्टरी प्रबंधन फैक्ट्री की जमीन पर ऋण लेने के लिए काम कर रहा है. फैक्ट्री प्रबंधन की फैक्ट्री चलाने में कोई रुचि नहीं दिख रही, जिसको लेकर सोमवार को संभागीय आयुक्त के माध्यम से प्रधानमंत्री को एक ज्ञापन सौंपा गया है.

इसके अलावा समिति के लोगों ने आरोप लगाया कि एक व्यक्ति अपने आप को फैक्टरी का डायरेक्टर बताता है, जबकि कहीं भी डायरेक्टर की लिस्ट में उनका नाम नहीं है. उनका कहना है 17 करोड़ का काम सिमको में किया जाएगा. पहले भी फैक्ट्री को 508 करोड़ का काम मिला था, लेकिन वह काम भरतपुर में न करवा कर फैक्ट्री प्रबंधन ने वह काम कोलकाता में करवाया. टीटागढ़ प्रबंधन को जो भी काम के टेंडर मिले, वह सभी कार्य कोलकाता में करवाए गए. हमारी मांग है कि जो भी वर्कऑर्डर सिमको के नाम से मिले, उसका काम सिमको फैक्ट्री में ही हो. अगर हमारी मांग नहीं मनी गईं, तो सिमको संघर्ष समिति उग्र आंदोलन करने को मजबूर होगी.

भरतपुर. जिले की सिमको फैक्ट्री को लेकर सिमको संघर्ष समिति का गुस्सा दिन पर दिन बढ़ता जा रहा है. सोमवार को सिमको संघर्ष समिति के नेतृत्व में शहर के कुम्हेर गेट से संभागीय आयुक्त कार्यालय तक एक रैली निकाली गई और संभागीय आयुक्त को प्रधानमन्त्री के नाम ज्ञापन पत्र सौंपते हुए मांग रखी कि सिमको फैक्ट्री से साल 2008 में हुए समझौते की पालना हो. इसके अलावा 1758 मजदूरों को दुबारा उनको रोजगार दिया जाए. साथ ही सिमको फैक्टरी पहले की तरफ सुचारू रूप से शुरू की जाए.

सिमको संघर्ष समिति में टीटागढ़ प्रबंधन के खिलाफ रोष

सिमको संघर्ष समिति के सदस्यों का कहना है कि साल 2008 में सिमको फैक्ट्री को टीटागढ़ प्रबंधन ने खरीद लिया था. तब फैक्ट्री के मजदूरों को एक आश्वासन दिया गया था कि फैक्ट्री के मजदूरों को वापस काम पर लिया जाएगा और फैक्ट्री का विकास किया जाएगा, लेकिन टीटागढ़ प्रबंधन ने इस फैक्ट्री को एक बीमारू उद्योग के रूप में बना दिया. आज के समय में फैक्ट्री में करीब 200 मजदूर काम कर रहे हैं, लेकिन उसमें भी भरतपुर का कोई भी मजदूर काम नहीं कर रहा.

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यह फैक्टरी 500 बीघा में फैली हुई है और फैक्टरी प्रबंधन फैक्ट्री की जमीन पर ऋण लेने के लिए काम कर रहा है. फैक्ट्री प्रबंधन की फैक्ट्री चलाने में कोई रुचि नहीं दिख रही, जिसको लेकर सोमवार को संभागीय आयुक्त के माध्यम से प्रधानमंत्री को एक ज्ञापन सौंपा गया है.

इसके अलावा समिति के लोगों ने आरोप लगाया कि एक व्यक्ति अपने आप को फैक्टरी का डायरेक्टर बताता है, जबकि कहीं भी डायरेक्टर की लिस्ट में उनका नाम नहीं है. उनका कहना है 17 करोड़ का काम सिमको में किया जाएगा. पहले भी फैक्ट्री को 508 करोड़ का काम मिला था, लेकिन वह काम भरतपुर में न करवा कर फैक्ट्री प्रबंधन ने वह काम कोलकाता में करवाया. टीटागढ़ प्रबंधन को जो भी काम के टेंडर मिले, वह सभी कार्य कोलकाता में करवाए गए. हमारी मांग है कि जो भी वर्कऑर्डर सिमको के नाम से मिले, उसका काम सिमको फैक्ट्री में ही हो. अगर हमारी मांग नहीं मनी गईं, तो सिमको संघर्ष समिति उग्र आंदोलन करने को मजबूर होगी.

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