भरतपुर. संभाग के सबसे बड़े अस्पताल में स्टाफ की कार्यशैली पर प्रश्नचिह्न लगाने वाली और इंसानियत को शर्मशार करने वाली घटना सामने आई है. दरअसल, यहां स्टाफ एक मृत व्यक्ति के शव को एक वार्ड से दूसरे वार्ड में शिफ्ट करते रहे तो कभी उसे रैफर तक कर दिया, लेकिन करीब एक घंटे की मशक्कत के बाद जाकर चिकित्सकों ने उसे लिखित रूप में मृत घोषित कर परिजनों को सौंपा. वहीं अस्पताल प्रशासन के इस रवैये से इंसानियत शर्मशार हो गई.
मामला जिला राज बहादुर मेमोरियल अस्पताल का है. जहां उद्योग नगर थाना इलाके के गांव जघीना निवासी 45 वर्षीय बदन सिंह अचानक चलते हुए रास्ते में बेहोश हो गया था. जानकारी के अनुसार जिसे वहां से गुजर रहे 3-4 व्यक्ति उठाकर अस्पताल के ट्रोमा सेंटर में भर्ती करा गए थे.
जहां उस व्यक्ति की मौत हो चुकी थी, लेकिन फिर भी वहां तैनात चिकित्सक ने चेकअप करने के बाद उसे रैफर कर दिया और परिजनों ने एम्बुलेंस किराए पर ली. जिससे उसे जयपुर ले जाया जा सके. लेकिन तभी एम्बुलेंस के कर्मियों ने देखा तो वह मृत हो चुका था और फिर परिजनों ने देखा तो उसकी सांसे बंद थी. इस पर परिजन उसे ट्रोमा सेंटर लेकर पहुंचे और चिकित्सकों को कहा कि वह तो मृत हो चुका है फिर आपने इसे रैफर क्यों किया.
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इसके बाद भी चिकित्सक ने उसे मृत घोषित करने की बजाए सर्जिकल वार्ड में भर्ती कर दिया. फिर उसे अन्य वार्ड में भर्ती कर दिया गया और शव को लेकर परिजन अस्पताल में इधर से उधर भटकते रहे. बाद में जब परिजनों ने अपनी नाराजगी जताई. तब जाकर खानापूर्ति करते हुए चिकित्सकों ने उसे मृत घोषित किया और शव को पोस्टमार्टम के लिए मोर्चरी में रखवाया. हालांकि अब अस्पताल के अधिकारी इस मामले की जांच कर कार्रवाई करने की बात कह रहे हैं.
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वहीं इस मामले को लेकर मुख्य चिकित्सा अधिकारी कालीचरण बंसल का कहना है कि कल जो चिकित्सक ट्रोमा पर ड्यूटी पर लगा हुआ था, वह नया आया है. उसको अभी इन चीजों के बारे में जानकारी नहीं थी और जो कम्पाउंडर लगे हुए थे, उन्होंने उसे सही तरीके से गाइड नहीं किया. इस वजह से इसमें समय लग गया. इसके बाद उन्होंने ट्रोमा के स्टाफ को निर्देशित कर दिया है और उनके खिलाफ कार्रवाई भी की जाएगी. साथ ही अन्य चिकित्सकों को भी निर्देशित कर रहे हैं. हालांकि अभी इस मामले की जांच की जा रही है.