ETV Bharat / city

SPECIAL: अब नहीं झोंका जाएगा किसानों के आंखों में धूल, यहां होगी बीज के गुणवत्ता की जांच

देश की कई ऐसी बीज निर्माता कंपनियां है, जो सीधे तौर पर किसानों के आंखों में धूल झोंकते है और उन्हें खराब बीज थमा देते है, जिससे किसानों का नुकसान होता है. इसके लिए कृषि विभाग ने एक तरकीब निकाल ली है, इससे कोई भी कंपनी किसानों को खराब बीज नहीं दे पाएगा. इसके तहत भरतपुर कृषि विभाग की राजकीय बीज परीक्षण प्रयोगशाला में बीजों की गुणवत्ता की जांच शुरू हो गई है. ईटीवी भारत ने भी प्रयोगशाला पहुंचकर पूरी जांच प्रक्रिया जानी...

bharatpur news, भरतपुर समाचार
प्रयोगशाला में बीजों की गुणवत्ता की जांच शुरू
author img

By

Published : Jun 15, 2020, 10:13 PM IST

भरतपुर. कई ऐसे बीज निर्माता कंपनियां है जो आज तक किसानों के आंखों में धूल झोंकते आए है. लेकिन इसके लिए भी सरकार ने एक तरकीब निकाल ली है, जिससे अब कोई भी बीज निर्माता कंपनी किसानों की आंखों में धूल नहीं झोंक पाएगी. इसको लिए जिले में अब कृषि विभाग की राजकीय बीज परीक्षण प्रयोगशाला में बीजों के गुणवत्ता की जांच शुरू हो गई है.

प्रयोगशाला में बीजों की गुणवत्ता की जांच शुरू

इसके तहत मोबाइल से पहले किसान ना केवल बीज की गुणवत्ता की जांच करा सकते हैं, बल्कि बीज की अंकुरण क्षमता भी पता चल जाती है. इतना ही नहीं प्रयोगशाला में बीजों के गुणसूत्र के साथ ही आनुवंशिक शुद्धता की पहचान भी की जा रही है. इस बीच खुशी की बात यह है कि यह बीज परीक्षण प्रयोगशाला किसानों के लिए निशुल्क सेवाएं दे रही है. इसके लिए ईटीवी भारत ने भी राजकीय बीज परीक्षण प्रयोगशाला पहुंचकर बीज की जांच की पूरी प्रक्रिया जानी.

कुछ यूं की जाती है बीज की जांच

प्रयोगशाला के उप निदेशक एचएल मीणा ने बताया कि विभाग के निरीक्षक फील्ड से बीज का सैंपल लेकर आते हैं और उसके बाद उस सैंपल की लैब में विभिन्न प्रक्रियाओं के तहत जांच की जाती है. पहले तो बीज की भौतिक शुद्धता जांच की जाती है और उसके बाद उसकी अंकुरण क्षमता परखी जाती है. इसके बाद अंकुरण क्षमता परीक्षण के लिए बीज को 10 से 15 दिन के लिए पूरी प्रक्रिया के तहत जर्मीनेटर मशीन (अंकुरण मशीन) में रखा जाता है.

bharatpur news, भरतपुर समाचार
बीज के गुणवत्ता जांच करने की मशीन

भौतिक शुद्धता जांच

सहायक कृषि अनुसंधान अधिकारी (वनस्पति) रमेश चंद ने बताया कि इस बीज में कंकड़, पत्थर, कटा हुआ बीज, कीड़ा लगा बीज आदि की जांच की जाती है.

अंकुरण जांच

इसमें 10 से 15 दिन की प्रक्रिया के तहत बीज की अंकुरण क्षमता जांची जाती है. इसमें मृत बीज (जो अंकुरित नहीं हुआ), असामान्य बीज (जड़ या तना में से एक ही अंकुरित हुआ) और सामान्य बीज (जिसका तना और जड़ दोनों अंकुरित हुए) का प्रतिशत निकाला जाता है. सामान्य बीज का प्रतिशत निर्धारित मापदंड में पाए जाने पर ही बीज को पास किया जाता है.

बुवाई से पहले बीज का उपचार

सहायक कृषि अनुसंधान अधिकारी (वनस्पति) रमेश चंद ने बताया कि बीज परीक्षण के दौरान बीज के रोग एवं बीमारियों के संक्रमण और कीटों की जानकारी प्राप्त हो जाती है. ऐसे में किसानों को बीज बेचने से पहले ही बीज को उपचारित किया जा सकता है, ताकि किसान की फसल रोगमुक्त तरीके से पैदा हो सके.

bharatpur news, भरतपुर समाचार
गुणवत्ता जांच करते हुए कृषि अधिकारी

बीज जांच के फायदे

  • बीज की जांच से बीज की अनुवांशिक पहचान होती है.
  • किसान को बुवाई से पहले ही बीज की भौतिक एवं अनुवांशिक शुद्धता के बारे में जानकारी प्राप्त हो जाती है.
  • किसान को बुवाई से पहले ही बीज की अंकुरण क्षमता पता चल जाती है.
  • बीज जांच से नमी की सही मात्रा का पता लगने से बीज का भंडारण विभिन्न फसलों के लिए निर्धारित नमी मात्रा पर किया जाए तो बीज खराब होने की संभावना नहीं रहती है.
  • किसानों को बुवाई से पहले बीजों में रोग एवं बीमारियों के संक्रमण और कीटों की जानकारी प्राप्त हो जाती है. अतः बुवाई से पूर्व ही बीज उपचार करते काम में लिया जा सकता है.
    bharatpur news, भरतपुर समाचार
    बीज की जांच करते अधिकारीगण

285 में से 20 नमूने फेल

प्रयोगशाला के उप निदेशक एच एल मीणा ने बताया कि लैब नवंबर 2019 में शुरू हुई और तब से अब तक जांच के लिए 285 नमूने प्राप्त हुए. इनमें से 265 नमूने पास हुए और 20 नमूने फेल हुए. वहीं, फेल हुए नमूनों की रिपोर्ट उच्चाधिकारियों को भेज दी गई है. अब विभाग की ओर से संबंधित बीज निर्माता संस्थानों के खिलाफ नियमानुसार कार्रवाई की जाएगी.

गौरतलब है कि साल 2017 में भरतपुर के लिए बीज परीक्षण प्रयोगशाला स्वीकृत हो गई थी, लेकिन संसाधनों के अभाव में 2 साल तक यह लैब शुरू नहीं हो पाई. ऐसे में नवंबर 2019 से पहले जिले के बीजों की जांच जयपुर और अलवर की प्रयोगशाला में कराई जाती थी. लेकिन अब भरतपुर में प्रयोगशाला शुरू होने से यहां के किसानों को इसका काफी लाभ मिलेगा.

भरतपुर. कई ऐसे बीज निर्माता कंपनियां है जो आज तक किसानों के आंखों में धूल झोंकते आए है. लेकिन इसके लिए भी सरकार ने एक तरकीब निकाल ली है, जिससे अब कोई भी बीज निर्माता कंपनी किसानों की आंखों में धूल नहीं झोंक पाएगी. इसको लिए जिले में अब कृषि विभाग की राजकीय बीज परीक्षण प्रयोगशाला में बीजों के गुणवत्ता की जांच शुरू हो गई है.

प्रयोगशाला में बीजों की गुणवत्ता की जांच शुरू

इसके तहत मोबाइल से पहले किसान ना केवल बीज की गुणवत्ता की जांच करा सकते हैं, बल्कि बीज की अंकुरण क्षमता भी पता चल जाती है. इतना ही नहीं प्रयोगशाला में बीजों के गुणसूत्र के साथ ही आनुवंशिक शुद्धता की पहचान भी की जा रही है. इस बीच खुशी की बात यह है कि यह बीज परीक्षण प्रयोगशाला किसानों के लिए निशुल्क सेवाएं दे रही है. इसके लिए ईटीवी भारत ने भी राजकीय बीज परीक्षण प्रयोगशाला पहुंचकर बीज की जांच की पूरी प्रक्रिया जानी.

कुछ यूं की जाती है बीज की जांच

प्रयोगशाला के उप निदेशक एचएल मीणा ने बताया कि विभाग के निरीक्षक फील्ड से बीज का सैंपल लेकर आते हैं और उसके बाद उस सैंपल की लैब में विभिन्न प्रक्रियाओं के तहत जांच की जाती है. पहले तो बीज की भौतिक शुद्धता जांच की जाती है और उसके बाद उसकी अंकुरण क्षमता परखी जाती है. इसके बाद अंकुरण क्षमता परीक्षण के लिए बीज को 10 से 15 दिन के लिए पूरी प्रक्रिया के तहत जर्मीनेटर मशीन (अंकुरण मशीन) में रखा जाता है.

bharatpur news, भरतपुर समाचार
बीज के गुणवत्ता जांच करने की मशीन

भौतिक शुद्धता जांच

सहायक कृषि अनुसंधान अधिकारी (वनस्पति) रमेश चंद ने बताया कि इस बीज में कंकड़, पत्थर, कटा हुआ बीज, कीड़ा लगा बीज आदि की जांच की जाती है.

अंकुरण जांच

इसमें 10 से 15 दिन की प्रक्रिया के तहत बीज की अंकुरण क्षमता जांची जाती है. इसमें मृत बीज (जो अंकुरित नहीं हुआ), असामान्य बीज (जड़ या तना में से एक ही अंकुरित हुआ) और सामान्य बीज (जिसका तना और जड़ दोनों अंकुरित हुए) का प्रतिशत निकाला जाता है. सामान्य बीज का प्रतिशत निर्धारित मापदंड में पाए जाने पर ही बीज को पास किया जाता है.

बुवाई से पहले बीज का उपचार

सहायक कृषि अनुसंधान अधिकारी (वनस्पति) रमेश चंद ने बताया कि बीज परीक्षण के दौरान बीज के रोग एवं बीमारियों के संक्रमण और कीटों की जानकारी प्राप्त हो जाती है. ऐसे में किसानों को बीज बेचने से पहले ही बीज को उपचारित किया जा सकता है, ताकि किसान की फसल रोगमुक्त तरीके से पैदा हो सके.

bharatpur news, भरतपुर समाचार
गुणवत्ता जांच करते हुए कृषि अधिकारी

बीज जांच के फायदे

  • बीज की जांच से बीज की अनुवांशिक पहचान होती है.
  • किसान को बुवाई से पहले ही बीज की भौतिक एवं अनुवांशिक शुद्धता के बारे में जानकारी प्राप्त हो जाती है.
  • किसान को बुवाई से पहले ही बीज की अंकुरण क्षमता पता चल जाती है.
  • बीज जांच से नमी की सही मात्रा का पता लगने से बीज का भंडारण विभिन्न फसलों के लिए निर्धारित नमी मात्रा पर किया जाए तो बीज खराब होने की संभावना नहीं रहती है.
  • किसानों को बुवाई से पहले बीजों में रोग एवं बीमारियों के संक्रमण और कीटों की जानकारी प्राप्त हो जाती है. अतः बुवाई से पूर्व ही बीज उपचार करते काम में लिया जा सकता है.
    bharatpur news, भरतपुर समाचार
    बीज की जांच करते अधिकारीगण

285 में से 20 नमूने फेल

प्रयोगशाला के उप निदेशक एच एल मीणा ने बताया कि लैब नवंबर 2019 में शुरू हुई और तब से अब तक जांच के लिए 285 नमूने प्राप्त हुए. इनमें से 265 नमूने पास हुए और 20 नमूने फेल हुए. वहीं, फेल हुए नमूनों की रिपोर्ट उच्चाधिकारियों को भेज दी गई है. अब विभाग की ओर से संबंधित बीज निर्माता संस्थानों के खिलाफ नियमानुसार कार्रवाई की जाएगी.

गौरतलब है कि साल 2017 में भरतपुर के लिए बीज परीक्षण प्रयोगशाला स्वीकृत हो गई थी, लेकिन संसाधनों के अभाव में 2 साल तक यह लैब शुरू नहीं हो पाई. ऐसे में नवंबर 2019 से पहले जिले के बीजों की जांच जयपुर और अलवर की प्रयोगशाला में कराई जाती थी. लेकिन अब भरतपुर में प्रयोगशाला शुरू होने से यहां के किसानों को इसका काफी लाभ मिलेगा.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.