भरतपुर. प्रत्येक जिले में एक-एक जिला खेल अधिकारी नियुक्त किया जाता है. वह खेल अधिकारी जिले की खेल गतिविधियों व सुविधाओं का प्रबंधन और खिलाड़ियों व कोच के आपसी सामंजस्य की जिम्मेदारी का निर्वहन करता है. इससे खिलाड़ी बेहतर प्रदर्शन की ओर अग्रसर हो पाते हैं. लेकिन राजस्थान के हालात ऐसे हैं कि यहां 33 जिलों में से महज 7 जिलों में ही जिला खेल अधिकारी हैं. अन्य 26 जिलों में जिला खेल अधिकारी के पद रिक्त पड़े हैं. प्रदेश के खेलों के ऐसे हालातों के बीच भरतपुर के सेवानिवृत्त जिला खेल अधिकारी और गुरु वशिष्ठ अवॉर्डी सत्य प्रकाश ने अनूठा उदाहरण प्रस्तुत कर किया है. उन्होंने महज एक रुपए मासिक मानदेय पर जिला खेल अधिकारी के पद पर फिर से नियुक्ति ली (Luhach to take Rs 1 as honorarium) है.
25 हजार रुपए के बजाय एक रुपया: लुहाच ने बताया कि पूरे प्रदेश में खेल अधिकारियों की कमी चल रही है. 26 पद रिक्त (26 sports officer posts vacant) हैं और सिर्फ 7 जिलों में (भरतपुर, जयपुर, अजमेर, बाड़मेर, जोधपुर, डूंगरपुर, सीकर) ही खेल अधिकारी उपलब्ध हैं. मैंने करीब 27 वर्ष तक खेल अधिकारी के रूप में सेवाएं दीं. सेवानिवृत्त होने के बाद मेरे पास फिर से 25 हजार रुपए मासिक मानदेय पर जिला खेल अधिकारी बनने का अवसर था. लेकिन मैंने खेल और खिलाड़ियों की सेवा करने के लिए एक रुपए मासिक मानदेय के आधार पर यह जिम्मेदारी फिर से उठाने का निर्णय लिया. 5 अगस्त को उन्हें जिला खेलकूद प्रशिक्षण केंद्र एवं कुश्ती अकादमी के प्रभारी पद का कार्य संपादित करने के लिए पुनः नियुक्ति किया है. वे 65 वर्ष की आयु तक इस पद पर स्वेच्छानुसार सेवाएं दे सकेंगे.
कॉमनवेल्थ में इसलिए प्रदर्शन हल्का: सत्य प्रकाश ने बताया कि राजस्थान के बेहतरीन खिलाड़ी अच्छी सुविधाओं और सरकारी योजनाओं के चलते हरियाणा या दिल्ली का रुख कर लेते हैं. राजस्थान में खेल सुविधाओं में काफी सुधार करने की गुंजाइश है. यही वजह है कि कॉमनवेल्थ गेम्स में राजस्थान के खिलाड़ी कोई बेहतरीन प्रदर्शन नहीं कर (Rajasthan performance in CWG) पाए. लुहाच ने बताया कि अब राजस्थान सरकार ने आउट ऑफ टर्म पॉलिसी के तहत खिलाड़ियों को सीधे नौकरी देना शुरू किया है. इस योजना से खिलाड़ियों की हौसला अफजाई होगी और उनका प्रदर्शन भी सुधरेगा. साथ ही राजस्थान सरकार अब सभी जिलों में खेल स्टेडियम जैसी तमाम सुविधाएं विकसित कर रही हैं, जोकि खेल और खिलाड़ियों के भविष्य के लिए बेहतर संकेत है.
पढ़ें: खेलों की स्थिति को लेकर खेल मंत्री अशोक चांदना समेत खेल अधिकारी करेंगे संभाग का दौरा
गुरू वशिष्ठ अवार्ड से सम्मानित पहले व्यक्ति: लुहाच प्रदेश के पहले ऐसे कुश्ती कोच हैं जो वर्ष 2000 में गुरू वशिष्ठ अवार्ड से सम्मानित हो चुके हैं. इतना ही नहीं वे 1999 से इंटर नेशनल कुश्ती रैफरी रहे और भारतीय टीम के कोच भी रहे हैं. इस दौरान वे भारतीय टीम के विदशे दौरों पर कोच के रूप में सेवाएं दे चुके हैं. जिला क्रीड़ा परिषद में वर्ष 1988 में नियुक्ति के बाद लुहाच ने जिला खेल अधिकारी के रूप में वर्ष 1995 से सेवाएं दीं. वे 31 जनवरी, 2022 को भरतपुर जिला खेल अधिकारी पद से सेवानिवृत हुए.