भरतपुर. भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष सतीश पूनिया गुरुवार को संत विजय दास को श्रद्धांजलि (poonia hommage to saint vijaydas) देने के लिए भरतपुर पहुंचे थे. पसोपा जाने से पहले पूनिया ने प्रदेश की कांग्रेस सरकार पर जमकर हमला बोला. पत्रकारों से वार्ता करते हुए सतीश पूनिया ने कहा कि संत विजय दास के आत्मदाह का यदि कोई जिम्मेदार है तो वह राजस्थान की कांग्रेस सरकार और मुख्यमंत्री अशोक गहलोत हैं. प्रदेश की कानून व्यवस्था के ध्वस्त होने का सबसे बड़ा उदाहरण संत विजयदास के आत्मदाह (saint vijaydas self immolation case) की घटना है. यदि सरकार संवेदनशील होती तो शायद यह घटना न होती.
सतीश पूनिया ने कहा कि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को अपनी कुर्सी की सुरक्षा की इतनी चिंता हो गई है कि उन्होंने साधुओं की सुरक्षा और जन सुरक्षा की ही तिलांजलि दे दी है. उन्होंने कहा कि क्षेत्र में अवैध खनन का कार्य सरकार के संरक्षण में फल-फूल रहा है. संत विजय दास की घटना से जनता और संत समाज में आक्रोश है. जनता और संत समाज की हाय सरकार के लिए बहुत बुरी साबित होगी.
सतीश पूनिया ने कहा कि राजस्थान में अपराध रुक नहीं रहे हैं और कानून व्यवस्था पूरी तरह से ध्वस्त है. पूरे देश में राजस्थान अपराध की राजधानी बन गया है. संत के आत्मदाह की घटना के बाद भी सरकार के कान पर जूं नहीं रेंग रही. उन्होंने कहा कि घटना को लेकर आगे जो भी कानूनी और संवैधानिक प्रक्रिया होगी उसका भी हम नैतिक समर्थन करेंगे. उन्होंने कहा कि संत विजय दास ने घटना से 2 दिन पूर्व भी सरकार को चेताया था. अब सरकार क्षेत्र के ग्रामीणों और साधु-संतों को प्रताड़ित करने का काम कर रही है. साधु ने प्रदेश की सरकार की अराजकता के खिलाफ आत्मदाह किया है.
मर्यादा के भीतर समर्थन था: एक सवाल के जवाब में सतीश पूनिया ने कहा कि 551 दिन तक के आंदोलन के दौरान संतों को भाजपा का एक मर्यादा के भीतर समर्थन था, लेकिन यह सिर्फ एक साधु संत का आत्मदाह नहीं था बल्कि सरकार की पोल खोलने वाली घटना है. इसलिए हमें उचित लगा कि साधुओं का समर्थन करना चाहिए.
सतीश पूनिया ने कहा कि साधु-संतों की मांगों को मान लेना सरकार का दिखावा है. यह तो सांप निकलने के बाद लाठी पीटने वाली बात है. राज्य सरकार को बिना देरी किए साधु-संतों की मांग को मान लेना चाहिए था और पूरे घटना की सीबीआई जांच करानी चाहिए. एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि साधु-संतों ने जिन मंत्रियों और अधिकारियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने के लिए परिवाद दिया है, उनके खिलाफ एफआईआर दर्ज होनी चाहिए.
साधु-संतों के इस मामले को भाजपा आगे अपना मुद्दा बनाकर बढ़ाने के सवाल पर पूनिया ने कहा कि इसे भाजपा मुद्दा बनाए या न बनाए लेकिन ये समाज और साधु-संतों के लिए अहम मुद्दा है. भाजपा इसको समर्थन जरूर देगी.
पुलिस और एजेंसी का सर्वाधिक दुरुपयोग
सतीश पूनिया ने कहा कि आरोप तो केंद्र पर लगाते हैं लेकिन बीते साढ़े 3 साल के दौरान पुलिस और एजेंसियों का यदि सर्वाधिक दुरुपयोग कहीं हुआ है तो वो राजस्थान में ही हुआ है. अपने ही मंत्रियों की फोन टैपिंग कराने का काम प्रदेश सरकार कराती है. क्योंकि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत में इतनी असुरक्षा की भावना है कि कहीं कोई विधायक उनको छोड़कर भाग न जाए. यह पूरा घटनाक्रम तो राजस्थान की जनता ने देखा भी है कि किस तरह से एसओजी और एसीबी ने कांग्रेस के लोगों के ही खिलाफ मुकदमे दर्ज किए हैं.
गूंगी-बहरी और अंधी सरकार को जगाने के लिए संत को करना पड़ा आत्मदाह: शेखावत
बाबा विजय दास को श्रद्धांजलि देने गुरुवार को पसोपा पहुंचे केंद्रीय जल संसाधन मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने राजस्थान सरकार के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और उसके मंत्रियों के खिलाफ जमकर हमला बोला. शेखावत ने कहा कि बाबा विजय दास के आत्मदाह के बाद ही प्रदेश की गूंगी, बहरी और अंधी सरकार की आंखें खुलीं और महज 24 घंटे में ही खनन क्षेत्र को वन क्षेत्र घोषित कर दिया. उन्होंने कहा कि राजस्थान की कांग्रेस सरकार इस पाप से कभी मुक्त नहीं हो सकती. जनता इस पाप की सजा उसे देकर रहेगी.
केंद्रीय मंत्री शेखावत ने कहा कि जिस दिन साधु-संत जयपुर में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के साथ वार्ता कर रहे थे, उसी दिन खनन माफिया को संरक्षण प्रदान करने के लिए खनन माफियाओं की भागीदार मंत्री जाहिदा खान पत्र लेकर अधिकारियों के पास सचिवालय में घूम रहीं थीं. उन्होंने कहा कि संत महात्मा और स्थानीय लोगों को विश्वास में लेकर उनके साथ विश्वासघात किया गया. 9 महीने तक खनन की गतिविधियों को कई गुना बढ़ा दिया गया. संतों के आत्मदाह की चेतावनी के बावजूद कोई कार्रवाई नहीं की गई. बाबा निर्मल दास के टावर पर चढ़ने के बावजूद सरकार नहीं चेती.
गजेंद्र शेखावत ने कहा कि गूंगी-बहरी और अंधी सरकार को जगाने के लिए एक साधु को आत्मदाह करना पड़ा. जलते हुए साधु की चीखें और राधे-राधे की आवाज ने इस सरकार को जगाने का काम किया. साधु के आत्मोत्सर्ग के बाद सरकार जागी और 24 घंटे में इस खनन क्षेत्र को वन क्षेत्र घोषित कर दिया गया.
केंद्रीय मंत्री गजेंद्र शेखावत ने कहा कि प्रेस को संबोधित करते हुए मुख्यमंत्री गहलोत ने कहा था कि उन्होंने तो सैद्धांतिक सहमति जता दी थी फिर भी समझ नहीं आया कि साधु ने आत्मदाह क्यों किया. शेखावत ने कहा कि जब मुख्यमंत्री की सैद्धांतिक सहमति के बाद भी 10 माह तक वन क्षेत्र घोषित नहीं किया गया तो संत किस तरह उनपर विश्वास करते. शेखावत ने कहा कि सरकार में बैठे हुए मंत्री, सरकार के लोग बाबा विजयदास को आत्मदाह के मुकाम तक पहुंचाने के लिए दोषी हैं. सब षड्यंत्रकारी है और निश्चित ही मामले की जांच होनी चाहिए.