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शिकारी अजगर : जंगली सुअर पर बिजली की गति से झपटा अजगर..5 मिनट में कर गया चट, देखें VIDEO

भरतपुर के केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान में अजगरों का सिक्का चलता है. एक बार अजगर की गिरफ्त में कोई जानवर आ गया, तो उसका बचना मुश्किल ही नहीं, नामुमकिन हो जाता है.

केवलादेव नेशनल पार्क अजगर शिकार
केवलादेव नेशनल पार्क अजगर शिकार
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Published : Oct 12, 2021, 5:36 PM IST

Updated : Oct 12, 2021, 6:19 PM IST

भरतपुर. केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान में अजगर ने एक वाइल्ड बोर यानी जंगली सुअर को अपना शिकार बनाया. सुअर पर अजगर बिजली की तेजी से झपटा और उसे 5 मिनट में चट कर गया. ये पूरा घटनाक्रम कैमरे में कैद हो गया. उद्यान का जाटौली वन चौकी क्षेत्र पाइथन पॉइंट के रूप में पहचाना जाता है. इस क्षेत्र में लगभग 600 अजगर हैं.

केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान में हाल ही में अजगर ने एक वाइल्ड बोर (जंगली सुअर) को अपना शिकार बनाया है. जिसका वीडियो कैप्चर हुआ है. बिजली की तेजी से झपट्टा मारकर अजगर ने वाइल्ड बोर को दबोच लिया और सिर्फ 5 मिनट में उसे चट कर गया. उद्यान का जाटौली वन चौकी वाला क्षेत्र पाइथन पॉइंट के रूप में पहचाना जाता है. इस क्षेत्र में सैकड़ों की तादाद में अजगर मौजूद हैं.

केवलादेव नेशनल पार्क अजगर शिकार

जाटौली चौकी क्षेत्र में एक जंगली सुअर झाड़ियों के पास से गुजरा. वहीं झाड़ियों में घात लगाए बैठे एक विशाल अजगर ने बिजली की फुर्ती से झपट्टा मारकर जंगली सुअर को अपनी गिरफ्त में ले लिया. देखते ही देखते अजगर ने जंगली सूअर को लपेट लिया और उस पर पकड़ मजबूत करता गया. जंगली सूअर पूरी तरह से असहाय हो गया. इसके बाद अजगर ने जंगली सुअर को निगलना शुरू किया और सिर्फ 5 मिनट में भारी-भरकम जंगली सुअर को अजगर ने अपना भोजन बना लिया. जंगली सुअर को निगलने के बाद अजगर झाड़ियों में गायब हो गया.

पढ़ें- Keoladeo National Park : अच्छी बरसात से जगी 'आस'...केवलादेव में बढ़ने लगी पक्षियों की तादाद

हर साल यहां औसतन 200 अजगर रेस्क्यू कर लाये जाते हैं. एक अजगर की लंबाई 18 से 21 फीट तक होती है. अजगर 16 साल तक जीवित रहता है. केवलादेव घना राष्ट्रीय उद्यान में देश के सर्वाधिक पाइथन पाए जाने की मुख्य वजह यहां की पारिस्थितिकी अनुकूलता है. पाइथन के लिए यहां सुरक्षित माहौल और भरपूर भोजन मिलता है. साथ ही यहां की भौगोलिक परिस्थितियां (geographical conditions) भी अजगर के अनुकूल हैं, जिसकी वजह से यहां बड़ी संख्या में अजगरों की मौजूदगी है.

केवलादेव घना राष्ट्रीय उद्यान की पारिस्थितिकी अनुकूलता (eco-friendly atmosphere) के कारण यहां सैकड़ों की तादाद में अजगर पाये जाते हैं. केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान में अजगरों की मौजूदगी पर वन्यजीव विशेषज्ञ (wildlife expert) सुब्रमण्यम भूपति ने रिसर्च की थी.

इस रिसर्च में सामने आया कि घना में पूरे भारत के लिहाज से सर्वाधिक संख्या में अजगर मौजूद हैं. शोध के दौरान यहां पर 135 अजगरों की मौजूदगी पाई गई थी. लेकिन घना में अजगरों की संख्या इससे कहीं अधिक है. विशेषज्ञों के मुताबिक केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान भारत का सबसे बड़ा पाइथन पॉइंट (Biggest Python Point) है.

भरतपुर. केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान में अजगर ने एक वाइल्ड बोर यानी जंगली सुअर को अपना शिकार बनाया. सुअर पर अजगर बिजली की तेजी से झपटा और उसे 5 मिनट में चट कर गया. ये पूरा घटनाक्रम कैमरे में कैद हो गया. उद्यान का जाटौली वन चौकी क्षेत्र पाइथन पॉइंट के रूप में पहचाना जाता है. इस क्षेत्र में लगभग 600 अजगर हैं.

केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान में हाल ही में अजगर ने एक वाइल्ड बोर (जंगली सुअर) को अपना शिकार बनाया है. जिसका वीडियो कैप्चर हुआ है. बिजली की तेजी से झपट्टा मारकर अजगर ने वाइल्ड बोर को दबोच लिया और सिर्फ 5 मिनट में उसे चट कर गया. उद्यान का जाटौली वन चौकी वाला क्षेत्र पाइथन पॉइंट के रूप में पहचाना जाता है. इस क्षेत्र में सैकड़ों की तादाद में अजगर मौजूद हैं.

केवलादेव नेशनल पार्क अजगर शिकार

जाटौली चौकी क्षेत्र में एक जंगली सुअर झाड़ियों के पास से गुजरा. वहीं झाड़ियों में घात लगाए बैठे एक विशाल अजगर ने बिजली की फुर्ती से झपट्टा मारकर जंगली सुअर को अपनी गिरफ्त में ले लिया. देखते ही देखते अजगर ने जंगली सूअर को लपेट लिया और उस पर पकड़ मजबूत करता गया. जंगली सूअर पूरी तरह से असहाय हो गया. इसके बाद अजगर ने जंगली सुअर को निगलना शुरू किया और सिर्फ 5 मिनट में भारी-भरकम जंगली सुअर को अजगर ने अपना भोजन बना लिया. जंगली सुअर को निगलने के बाद अजगर झाड़ियों में गायब हो गया.

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हर साल यहां औसतन 200 अजगर रेस्क्यू कर लाये जाते हैं. एक अजगर की लंबाई 18 से 21 फीट तक होती है. अजगर 16 साल तक जीवित रहता है. केवलादेव घना राष्ट्रीय उद्यान में देश के सर्वाधिक पाइथन पाए जाने की मुख्य वजह यहां की पारिस्थितिकी अनुकूलता है. पाइथन के लिए यहां सुरक्षित माहौल और भरपूर भोजन मिलता है. साथ ही यहां की भौगोलिक परिस्थितियां (geographical conditions) भी अजगर के अनुकूल हैं, जिसकी वजह से यहां बड़ी संख्या में अजगरों की मौजूदगी है.

केवलादेव घना राष्ट्रीय उद्यान की पारिस्थितिकी अनुकूलता (eco-friendly atmosphere) के कारण यहां सैकड़ों की तादाद में अजगर पाये जाते हैं. केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान में अजगरों की मौजूदगी पर वन्यजीव विशेषज्ञ (wildlife expert) सुब्रमण्यम भूपति ने रिसर्च की थी.

इस रिसर्च में सामने आया कि घना में पूरे भारत के लिहाज से सर्वाधिक संख्या में अजगर मौजूद हैं. शोध के दौरान यहां पर 135 अजगरों की मौजूदगी पाई गई थी. लेकिन घना में अजगरों की संख्या इससे कहीं अधिक है. विशेषज्ञों के मुताबिक केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान भारत का सबसे बड़ा पाइथन पॉइंट (Biggest Python Point) है.

Last Updated : Oct 12, 2021, 6:19 PM IST
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