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अपना घर आश्रम: 140 लावारिसों को मुद्दत के बाद मिला परिजनों का पता, लॉकडाउन से अटकी घर वापसी की उम्मीद

भरतपुर के अपना घर आश्रम में रह रहे देशभर के अलग-अलग हिस्सों के 140 लावारिस लोगों के घर जाने की उम्मीद पर भी लॉकडाउन लग गया है. अपना घर आश्रम में रह रहे इन लोगों का बड़ी मुद्दत के बाद पता- ठिकाना मिला है. लेकिन लॉकडाउन के चलते किसी के भी परिजन इन्हें ले जाने के लिए आश्रम नहीं पहुंच पा रहे हैं. ऐसे में आश्रम ने इन लोगों के परिजनों की तलाश फिलहाल रोक दी है.

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लॉकडाउन से अटकी घर वापसी की उम्मीद
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Published : May 15, 2020, 8:57 PM IST

भरतपुर. अपना घर आश्रम में रह रहे देशभर के अलग-अलग हिस्सों के 140 लावारिस लोगों में एक मुद्दत के बाद घर वापसी की उम्मीद जगी थी. लेकिन लॉकडाउन के चलते अब इनकी घर वापसी अटकी हुई है. अपना घर आश्रम में रह रहे इन लोगों का बड़ी मुद्दत के बाद पता- ठिकाना मिला है. लेकिन लॉकडाउन इनकी घर वापसी के रास्ते की दीवार बना हुआ है. घर वापसी का इंतजार कर रहे इन आवासियों में से अधिकतर बिहार, उड़ीसा, महाराष्ट्र, झारखंड और उत्तर प्रदेश के हैं.

लॉकडाउन से अटकी घर वापसी की उम्मीद

अपना घर आश्रम की प्रशासनिक अधिकारी बबीता गुलाटी ने बताया कि आश्रम में निवासरत 140 लोगों के परिजनों का पता चल गया है लेकिन लॉकडाउन के चलते किसी के भी परिजन इन्हें ले जाने के लिए आश्रम नहीं पहुंच पा रहे हैं. ऐसे में आश्रम ने इन लोगों के परिजनों की तलाश फिलहाल रोक दी है. क्योंकि अगर परिजनों का पता चल जाता है और परिजन बात भी कर लेते हैं तो इन लोगों में घर जाने की बेचैनी बढ़ जाएगी. उन्हें अपने घर जाने की चिंता सताने लगेगी. क्योंकि अधिकतर लोग मानसिक और शारीरिक रूप से बीमार और कमजोर हैं.

पढ़ेंः क्वॉरेंटाइन प्रबंधन समिति में जनप्रतिनिधियों के अपमान का आरोप, राजेंद्र राठौड़ ने सीएम को लिखा पत्र

प्रशासनिक अधिकारी बबीता ने बताया कि आश्रम में रह रहे उदयपुर निवासी 60 साल के नागेश नारायण 2 साल पहले अजमेर में मानसिक रूप से विक्षिप्त मिले थे. स्वस्थ होने पर अपना घर आश्रम की पुनर्वास टीम ने उनका घर का पता ट्रेस कर लिया. उनके बड़े भाई से बात भी हो गई. नागेश के भाई पहले लॉकडाउन के बाद 14 अप्रैल को आने वाले थे लेकिन उसके बाद लॉकडाउन 2.0 घोषित हो गया और वो नहीं आ सके. उन्होंने 17 अप्रैल को अपने छोटे भाई नागेश से सुबह 9 बजे बात की और समझाया कि वे 3 मई के बाद लेने आएंगे लेकिन नागेश इस इंतजार को बर्दाश्त नहीं कर सके और उसी दिन उनका निधन हो गया.

एक साल में 2401 को पहुंचाया परिजनों तक

प्रशासनिक अधिकारी बबीता ने बताया कि अपना घर आश्रम की विभिन्न शाखाओं में रहने वाले प्रभुजनों के घर का पता चलते ही उन्हें उनके परिजनों से मिलवाकर घर भेज दिया जाता है. इस साल लॉकडाउन से पहले नेपाल समेत देशभर में अपना घर आश्रम की 36 शाखाओं में से 2401 प्रभुजन को उनके घरों तक पहुंचाया जा चुका है.

पढ़ेंः मुख्यमंत्री से संविदाकर्मियों को स्थाई करने की मांग, कांग्रेस ओबीसी विभाग के संयोजक राजेंद्र सेन ने लिखा पत्र

गौरतलब है कि कोरोना संक्रमण के चलते अपना घर आश्रम के वासियों के स्वास्थ्य को ध्यान में रखते हुए 21 मार्च से लॉकडाउन कर आश्रम को क्वॉरेंटाइन सेंटर के रूप में बदल दिया है. आश्रम के कर्मचारियों को भी बाहर जाने पर पाबंदी है. ऐसे में प्रभुजन के परिजन भी उन्हें ले जाने के लिए नहीं आ पा रहे हैं. नेपाल समेत देशभर में अपना घर आश्रम की 36 शाखाएं संचालित हैं जिनमें हजारों असहाय, निराश्रित और लावारिस लोग निवास कर रहे हैं.

भरतपुर. अपना घर आश्रम में रह रहे देशभर के अलग-अलग हिस्सों के 140 लावारिस लोगों में एक मुद्दत के बाद घर वापसी की उम्मीद जगी थी. लेकिन लॉकडाउन के चलते अब इनकी घर वापसी अटकी हुई है. अपना घर आश्रम में रह रहे इन लोगों का बड़ी मुद्दत के बाद पता- ठिकाना मिला है. लेकिन लॉकडाउन इनकी घर वापसी के रास्ते की दीवार बना हुआ है. घर वापसी का इंतजार कर रहे इन आवासियों में से अधिकतर बिहार, उड़ीसा, महाराष्ट्र, झारखंड और उत्तर प्रदेश के हैं.

लॉकडाउन से अटकी घर वापसी की उम्मीद

अपना घर आश्रम की प्रशासनिक अधिकारी बबीता गुलाटी ने बताया कि आश्रम में निवासरत 140 लोगों के परिजनों का पता चल गया है लेकिन लॉकडाउन के चलते किसी के भी परिजन इन्हें ले जाने के लिए आश्रम नहीं पहुंच पा रहे हैं. ऐसे में आश्रम ने इन लोगों के परिजनों की तलाश फिलहाल रोक दी है. क्योंकि अगर परिजनों का पता चल जाता है और परिजन बात भी कर लेते हैं तो इन लोगों में घर जाने की बेचैनी बढ़ जाएगी. उन्हें अपने घर जाने की चिंता सताने लगेगी. क्योंकि अधिकतर लोग मानसिक और शारीरिक रूप से बीमार और कमजोर हैं.

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प्रशासनिक अधिकारी बबीता ने बताया कि आश्रम में रह रहे उदयपुर निवासी 60 साल के नागेश नारायण 2 साल पहले अजमेर में मानसिक रूप से विक्षिप्त मिले थे. स्वस्थ होने पर अपना घर आश्रम की पुनर्वास टीम ने उनका घर का पता ट्रेस कर लिया. उनके बड़े भाई से बात भी हो गई. नागेश के भाई पहले लॉकडाउन के बाद 14 अप्रैल को आने वाले थे लेकिन उसके बाद लॉकडाउन 2.0 घोषित हो गया और वो नहीं आ सके. उन्होंने 17 अप्रैल को अपने छोटे भाई नागेश से सुबह 9 बजे बात की और समझाया कि वे 3 मई के बाद लेने आएंगे लेकिन नागेश इस इंतजार को बर्दाश्त नहीं कर सके और उसी दिन उनका निधन हो गया.

एक साल में 2401 को पहुंचाया परिजनों तक

प्रशासनिक अधिकारी बबीता ने बताया कि अपना घर आश्रम की विभिन्न शाखाओं में रहने वाले प्रभुजनों के घर का पता चलते ही उन्हें उनके परिजनों से मिलवाकर घर भेज दिया जाता है. इस साल लॉकडाउन से पहले नेपाल समेत देशभर में अपना घर आश्रम की 36 शाखाओं में से 2401 प्रभुजन को उनके घरों तक पहुंचाया जा चुका है.

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गौरतलब है कि कोरोना संक्रमण के चलते अपना घर आश्रम के वासियों के स्वास्थ्य को ध्यान में रखते हुए 21 मार्च से लॉकडाउन कर आश्रम को क्वॉरेंटाइन सेंटर के रूप में बदल दिया है. आश्रम के कर्मचारियों को भी बाहर जाने पर पाबंदी है. ऐसे में प्रभुजन के परिजन भी उन्हें ले जाने के लिए नहीं आ पा रहे हैं. नेपाल समेत देशभर में अपना घर आश्रम की 36 शाखाएं संचालित हैं जिनमें हजारों असहाय, निराश्रित और लावारिस लोग निवास कर रहे हैं.

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