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सूनी गोद के लिए वरदान बनी IVF तकनीक...भरतपुर संभाग में पहले टेस्ट ट्यूब बेबी का जन्म

सृष्टि का सृजन अपने आप में एक अजूबा है और बच्चे के जन्म लेने की प्रक्रिया कुदरत के किसी करिश्मे से कम नहीं, लेकिन इंसान ने टेस्ट ट्यूब के जरिए बच्चे के जन्म की प्रणाली का विकास कर इस करिश्मे में एक और कड़ी जोड़ दी है. भरतपुर संभाग में शुक्रवार को IVF तकनीक के जरिए पहले टेस्ट ट्यूब बेबी का जन्म हुआ है.

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वरदान बनी IVF तकनीक
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Published : Jul 24, 2020, 6:28 PM IST

भरतपुर. भरतपुर संभाग की पहली Test Tube Baby का भरतपुर के सेफाली आईवीएफ सेंटर एमजे अस्पताल (Safali IVF Center MJ Hospital) में जन्म हुआ है. बीते करीब आठ साल से संतान सुख के लिए अस्पतालों के चक्कर काट रहे माता-पिता की झोली बेटी के जन्म के साथ ही खुशियों से भर गई. ऐसे में संतान सुख के लिए तरस रहे माता-पिता के लिए IVF तकनीक एक वरदान साबित हुई है. आईवीएफ विशेषज्ञ डॉ. मंजू सिंह का दावा है कि यह संभाग की पहली टेस्ट ट्यूब बेबी है.

वरदान बनी IVF तकनीक

करीब 8 साल से थे परेशान...

सेफाली आईवीएफ सेंटर एमजे हॉस्पिटल की IVF विशेषज्ञ डॉ. मंजू सिंह ने बताया कि एक दंपती की शादी को करीब आठ साल गुजर गए, लेकिन उन्हें संतान सुख नहीं मिल पाया. दंपती ने जयपुर, दिल्ली, आगरा और मथुरा उपचार करवाया, लेकिन कहीं सफलता नहीं मिली. ऐसे में करीब डेढ़ साल पहले दंपती सेफाली आईवीएफ सेंटर एमजे हॉस्पिटल आया. पति-पत्नी दोनों की जांच की गई और उसके बाद उन्हें जरूरी उपचार दिया गया.

ऐसे मिली सफलता...

डॉ. मंजू सिंह ने बताया कि आईवीएफ तकनीक में मां के अंडाणु और पिता के शुक्राणु लेकर परखनली में फर्टिलाइज किया गया. इसके बाद इंक्यूबेटर में 37 डिग्री पर रखा गया. तीन दिन बाद जब एंब्रियो डिवाइड और मल्टीप्लाई होकर 16 कोशिकाओं का हो गया, तब मां के गर्भाशय में स्थापित कर दिया गया. मां ने अपनी कोख में इसे पाला और फिर अन्य सामान्य प्रसव की तरह प्रसव करवाकर टेस्ट ट्यूब बेबी बच्ची का जन्म हुआ. अब नवजात बालिका और मां दोनों स्वस्थ हैं. डॉ मंजू सिंह ने बताया कि इस तकनीक से संतान सुख पाने वाले माता-पिता की पहचान गोपनीय रखी जाती है.

यह भी पढ़ेंः SPECIAL: कोरोना के चलते अस्पताल जाने से डर रहे लोग, संस्थागत प्रसव में आई कमी

डॉ. मंजू सिंह ने बताया कि लोगों की अनियमित दिनचर्या, अनियमित खानपान, शराब सेवन और तनाव आदि के कारण निसंतानता की समस्या बढ़ रही है. यही वजह है कि हर दिन अस्पताल के ओपीडी में आने वाले मरीजों में से करीब 10 मरीज निसंतानता की समस्या से ग्रस्त आते हैं. इस समस्या से बचने का सही तरीका यही है कि लोग अपनी दिनचर्या और खानपान को सुधार कर नियमित व्यायाम, योगा करें और तनाव मुक्त रहें.

भरतपुर. भरतपुर संभाग की पहली Test Tube Baby का भरतपुर के सेफाली आईवीएफ सेंटर एमजे अस्पताल (Safali IVF Center MJ Hospital) में जन्म हुआ है. बीते करीब आठ साल से संतान सुख के लिए अस्पतालों के चक्कर काट रहे माता-पिता की झोली बेटी के जन्म के साथ ही खुशियों से भर गई. ऐसे में संतान सुख के लिए तरस रहे माता-पिता के लिए IVF तकनीक एक वरदान साबित हुई है. आईवीएफ विशेषज्ञ डॉ. मंजू सिंह का दावा है कि यह संभाग की पहली टेस्ट ट्यूब बेबी है.

वरदान बनी IVF तकनीक

करीब 8 साल से थे परेशान...

सेफाली आईवीएफ सेंटर एमजे हॉस्पिटल की IVF विशेषज्ञ डॉ. मंजू सिंह ने बताया कि एक दंपती की शादी को करीब आठ साल गुजर गए, लेकिन उन्हें संतान सुख नहीं मिल पाया. दंपती ने जयपुर, दिल्ली, आगरा और मथुरा उपचार करवाया, लेकिन कहीं सफलता नहीं मिली. ऐसे में करीब डेढ़ साल पहले दंपती सेफाली आईवीएफ सेंटर एमजे हॉस्पिटल आया. पति-पत्नी दोनों की जांच की गई और उसके बाद उन्हें जरूरी उपचार दिया गया.

ऐसे मिली सफलता...

डॉ. मंजू सिंह ने बताया कि आईवीएफ तकनीक में मां के अंडाणु और पिता के शुक्राणु लेकर परखनली में फर्टिलाइज किया गया. इसके बाद इंक्यूबेटर में 37 डिग्री पर रखा गया. तीन दिन बाद जब एंब्रियो डिवाइड और मल्टीप्लाई होकर 16 कोशिकाओं का हो गया, तब मां के गर्भाशय में स्थापित कर दिया गया. मां ने अपनी कोख में इसे पाला और फिर अन्य सामान्य प्रसव की तरह प्रसव करवाकर टेस्ट ट्यूब बेबी बच्ची का जन्म हुआ. अब नवजात बालिका और मां दोनों स्वस्थ हैं. डॉ मंजू सिंह ने बताया कि इस तकनीक से संतान सुख पाने वाले माता-पिता की पहचान गोपनीय रखी जाती है.

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डॉ. मंजू सिंह ने बताया कि लोगों की अनियमित दिनचर्या, अनियमित खानपान, शराब सेवन और तनाव आदि के कारण निसंतानता की समस्या बढ़ रही है. यही वजह है कि हर दिन अस्पताल के ओपीडी में आने वाले मरीजों में से करीब 10 मरीज निसंतानता की समस्या से ग्रस्त आते हैं. इस समस्या से बचने का सही तरीका यही है कि लोग अपनी दिनचर्या और खानपान को सुधार कर नियमित व्यायाम, योगा करें और तनाव मुक्त रहें.

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