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रक्षाबंधन से पहले टूटा दुखों का पहाड़, राखी बांधने आई बहन को मिली भाई की मौत की खबर - Bharatpur News

दिल्ली से भाई को तलाशने आई एक बहन पर रक्षाबंधन (Raksha bandhan) के एक दिन पहले दुखों का पहाड़ टूट पड़ा. अपना घर आश्रम में भाई को तलाशने आई बहन को भाई की मौत की खबर मिली. जिसके बाद गमजदा बहन बार-बार यही कह रही थी कि अब मैं भाई को राखी नहीं बांध पाउंगी.

Raksha bandhan 2021, Bharatpur news
रक्षाबंधन से पहले भाई की मौत
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Published : Aug 21, 2021, 3:49 PM IST

Updated : Aug 21, 2021, 5:49 PM IST

भरतपुर. बहनें साल भर बेसब्री से रक्षाबंधन (Raksha bandhan 2021) के पर्व का इंतजार करती हैं लेकिन शनिवार को एक बहन की भाई की कलाई पर राखी बांधने की आस टूट गई. भाई को तलाशने अपना घर आश्रम आई दिल्ली निवासी सुषमा को भाई के निधन की खबर मिली. सुषमा का रो-रो कर बुरा हाल हो गया.

अपना घर आश्रम (Apna Ghar Ashram Bharatpur) के संस्थापक डॉक्टर बीएम भारद्वाज ने बताया कि दिल्ली निवासी सुषमा अपने भाई की तलाश में शनिवार को अपना घर आश्रम आई थी. दो महीने पहले दिल्ली से सुषमा के भाई को इलाज के लिए एक संस्था की मदद से भेजा था. दिल्ली की संस्था से पता करने पर सुषमा को पता चला कि उसके भाई को इलाज के लिए 28 जून 2021 को एम्बुलेंस से अपना घर आश्रम भरतपुर भेजा गया.

रक्षाबंधन से पहले भाई की मौत

जिसके बाद सुषमा भाई को ढूंढते हुए भरतपुर पहुंच गई. सुषमा कहती हैं कि वह बीते कई दिनों से अपने भाई को कई आश्रमों की तलाश चुकी थी. आखिर में शनिवार को सुषमा भरतपुर के अपना घर आश्रम पहुंची और यहां पर संस्थापक डॉ. बीएम भारद्वाज से मुलाकात की. करीब 2 घंटे तक सुषमा के भाई मदन मोहन के नाम का रिकॉर्ड खंगाला गया. तब जाकर पता चला कि सुषमा जिस भाई को रक्षाबंधन पर राखी बांधने की आस में हैं, उसकी तो गंभीर बीमारी के चलते 3 जुलाई 2021 को ही मौत हो गई.

यह भी पढ़ें. पिपलांत्री का 'रक्षा-सूत्र' : बेटी के जन्म पर यहां लगाए जाते हैं पौधे...प्रकृति के साथ साझा होता है 'रक्षा बंधन' पर्व, डेनमार्क के सिलेबस में शामिल है यह गांव

डॉक्टर बीएम भारद्वाज ने बताया कि मदन मोहन को अपना घर आश्रम में भर्ती कराया गया था. उनकी तबीयत काफी गंभीर थी और 5 दिन बाद ही 3 जुलाई को इलाज के दौरान मौत हो गई.

पलभर में गम में बदल गई खुशी

अपना घर आश्रम के रिकॉर्ड में अपने भाई की पहचान में जुटी सुषमा को जैसे ही कंप्यूटर स्क्रीन पर अपने भाई का फोटो नजर आई, उन्होंने खुशी-खुशी अपना घर आश्रम प्रबंधन को अपने भाई को पहचानकर बात दिया लेकिन पल भर में ही उनकी खुशी गम में बदल गई. आश्रम की रिकॉर्ड फाइल देखी गई तो उसमें मदनमोहन की मौत की जानकारी मिली. जिसके बाद सुषमा फूट-फूट कर रोने लगी. बहन के जुबान पर बार-बार यही था कि अब मैं कभी भाई को राखी नहीं बांध पाउंगी.

अस्थियां भी नसीब ना हो पाईं

भाई की मौत से गमजदा सुषमा ने अपने भाई की अस्थियां लेनी चाही लेकिन आश्रम प्रबंधन से पता चला कि उन्हें भाई की अस्थियां भी नहीं मिल पाएंगी. डॉक्टर बीएम भारद्वाज ने बताया कि हर माह आश्रम में शरीर त्याग करने वाले लोगों का अंतिम संस्कार करने के बाद उनकी अस्थियों का गंगा जी में विसर्जन करवा दिया जाता है. मायूस बहन अपने भाई की मौत का गम सीने में लिए खाली हाथ ही वापस दिल्ली लौट गई.

भरतपुर. बहनें साल भर बेसब्री से रक्षाबंधन (Raksha bandhan 2021) के पर्व का इंतजार करती हैं लेकिन शनिवार को एक बहन की भाई की कलाई पर राखी बांधने की आस टूट गई. भाई को तलाशने अपना घर आश्रम आई दिल्ली निवासी सुषमा को भाई के निधन की खबर मिली. सुषमा का रो-रो कर बुरा हाल हो गया.

अपना घर आश्रम (Apna Ghar Ashram Bharatpur) के संस्थापक डॉक्टर बीएम भारद्वाज ने बताया कि दिल्ली निवासी सुषमा अपने भाई की तलाश में शनिवार को अपना घर आश्रम आई थी. दो महीने पहले दिल्ली से सुषमा के भाई को इलाज के लिए एक संस्था की मदद से भेजा था. दिल्ली की संस्था से पता करने पर सुषमा को पता चला कि उसके भाई को इलाज के लिए 28 जून 2021 को एम्बुलेंस से अपना घर आश्रम भरतपुर भेजा गया.

रक्षाबंधन से पहले भाई की मौत

जिसके बाद सुषमा भाई को ढूंढते हुए भरतपुर पहुंच गई. सुषमा कहती हैं कि वह बीते कई दिनों से अपने भाई को कई आश्रमों की तलाश चुकी थी. आखिर में शनिवार को सुषमा भरतपुर के अपना घर आश्रम पहुंची और यहां पर संस्थापक डॉ. बीएम भारद्वाज से मुलाकात की. करीब 2 घंटे तक सुषमा के भाई मदन मोहन के नाम का रिकॉर्ड खंगाला गया. तब जाकर पता चला कि सुषमा जिस भाई को रक्षाबंधन पर राखी बांधने की आस में हैं, उसकी तो गंभीर बीमारी के चलते 3 जुलाई 2021 को ही मौत हो गई.

यह भी पढ़ें. पिपलांत्री का 'रक्षा-सूत्र' : बेटी के जन्म पर यहां लगाए जाते हैं पौधे...प्रकृति के साथ साझा होता है 'रक्षा बंधन' पर्व, डेनमार्क के सिलेबस में शामिल है यह गांव

डॉक्टर बीएम भारद्वाज ने बताया कि मदन मोहन को अपना घर आश्रम में भर्ती कराया गया था. उनकी तबीयत काफी गंभीर थी और 5 दिन बाद ही 3 जुलाई को इलाज के दौरान मौत हो गई.

पलभर में गम में बदल गई खुशी

अपना घर आश्रम के रिकॉर्ड में अपने भाई की पहचान में जुटी सुषमा को जैसे ही कंप्यूटर स्क्रीन पर अपने भाई का फोटो नजर आई, उन्होंने खुशी-खुशी अपना घर आश्रम प्रबंधन को अपने भाई को पहचानकर बात दिया लेकिन पल भर में ही उनकी खुशी गम में बदल गई. आश्रम की रिकॉर्ड फाइल देखी गई तो उसमें मदनमोहन की मौत की जानकारी मिली. जिसके बाद सुषमा फूट-फूट कर रोने लगी. बहन के जुबान पर बार-बार यही था कि अब मैं कभी भाई को राखी नहीं बांध पाउंगी.

अस्थियां भी नसीब ना हो पाईं

भाई की मौत से गमजदा सुषमा ने अपने भाई की अस्थियां लेनी चाही लेकिन आश्रम प्रबंधन से पता चला कि उन्हें भाई की अस्थियां भी नहीं मिल पाएंगी. डॉक्टर बीएम भारद्वाज ने बताया कि हर माह आश्रम में शरीर त्याग करने वाले लोगों का अंतिम संस्कार करने के बाद उनकी अस्थियों का गंगा जी में विसर्जन करवा दिया जाता है. मायूस बहन अपने भाई की मौत का गम सीने में लिए खाली हाथ ही वापस दिल्ली लौट गई.

Last Updated : Aug 21, 2021, 5:49 PM IST
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