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एक शाही मर्डर, जिसकी वजह से छोड़नी पड़ी थी मुख्यमंत्री को गद्दी

राजस्थान के इतिहास की वो घटना जिसने प्रदेश की सियासत में भूचाल ही नहीं लाया, बल्कि तत्कालीन मुख्यमंत्री की कुर्सी भी छीन ली. इस घटना को हम प्रदेश के बहुचर्चित राजा मानसिंह हत्याकांड के नाम से जानते हैं. इस हत्याकांड के पीछे की पूरी कहानी क्या है, आप भी जानिए...

Raja Mansingh massacre latest news,  Full story of Raja Mansingh massacre
राजा मानसिंह हत्याकांड
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Published : Jul 23, 2020, 12:26 AM IST

भरतपुर. 21 फरवरी 1985, ये वो तारीख है जब राजस्थान की राजनीति में हुई एक घटना ने ना केवल तत्कालीन मुख्यमंत्री की कुर्सी छीन ली, बल्कि राज्य की राजनीति को पूरी तरह से झकझोर कर रख दिया. इस तारीख को पुलिस मुठभेड़ में भरतपुर के विधायक राजा मानसिंह की मौत हो गई थी. 35 साल बाद इस मामले में फैसला आया और डीएसपी कान सिंह भाटी सहित 11 लोगों को मथुरा कोर्ट ने दोषी करार देते हुए आजीवन कारावास की सजा सुनाई है. इस हत्याकांड के पीछे की पूरी कहानी क्या है, आप भी जानिए...

राजा मानसिंह हत्याकांड

राजशाही झंडे का था मामला

राजा मानसिंह हत्याकांड के चश्मदीद गवाह और राजा के दामाद कुंवर विजय सिंह ने ईटीवी भारत से बातचीत करते हुए इस हत्याकांड के पीछे की कहानी बताई. उन्होंने बताया कि इस घटनाक्रम की शुरुआत 20 फरवरी 1985 को हुई थी. इस दिन कांग्रेसी कार्यकर्ताओं ने डीग से लगातार 7 बार निर्दलीय विधायक रहे राज परिवार के सदस्य राजा मान सिंह के राजशाही झंडे को चुनाव प्रचार के दौरान हटाने की गलती कर दी थी.

Raja Mansingh massacre latest news,  Full story of Raja Mansingh massacre
सीएम का क्षतिग्रस्त हेलीकॉप्टर

पढ़ें- मानसिंह हत्याकांड में सजा का ऐलान...DSP समेत 11 पुलिसकर्मियों को आजीवन कारावास

सीएम के हेलीकॉप्टर को जीप से मारी थी टक्कर

इसके बाद अपने झंडे की शान बनाए रखने के लिए राजा मानसिंह आग-बबूला हो गए. 20 फरवरी को ही राजस्थान की कांग्रेस सरकार के मुख्यमंत्री शिवचरण माथुर डीग में जनसभा को संबोधित करने आए थे, जहां आग बबूला हो रहे राजा ने अपनी जीप से पहले सीएम की जनसभा के मंच को तोड़ दिया. उसके बाद सीएम के हेलीकॉप्टर को जीप से टक्कर मारकर क्षतिग्रस्त कर दिया. कुंवर विजय सिंह ने बताया कि उसके बाद सुरक्षा बल सीएम शिवचरण माथुर को सुरक्षा के बीच सड़क के रास्ते जयपुर ले जाने में सफल रहे.

घटना के बाद डीग में लगाया गया था कर्फ्यू...

कुंवर विजय सिंह ने बताया कि इसके बाद सरकार ने डीग में कर्फ्यू लगाकर भारी संख्या में पुलिस बल तैनात कर दिया, जिससे राजा मानसिंह को डीग आने से रोका जा सके. उन्होंने बताया कि इसके बावजूद 21 फरवरी 1985 को राजा मानसिंह अपने दामाद और 2 अन्य साथियों के साथ डीग पुहंच गए, जहां डीएसपी कान सिंह भाटी के नेतृत्व में हथियारों से लैस पुलिस फोर्स ने राजा मान सिंह की जीप को चारों तरफ से घेर लिया और फायरिंग शुरू कर दी.

पढ़ें- विशेष: CM का हेलीकॉप्टर क्षतिग्रस्त होने से लेकर राजा मानसिंह के एनकाउंटर तक की पूरी कहानी.. चश्मदीदों की जुबानी

राजा मानसिंह समेत 2 लोगों की हुई थी मौत

इस घटनाक्रम में राजा मान सिंह और उनके 2 समर्थक सुमेर सिंह और हरी सिंह की गोली लगने से मौत हो गई, लेकिन राजा का दामाद विजय सिंह बच गया. वहीं, घटना के बाद इस वारदात के गवाह राजा मान सिंह के दामाद विजय सिंह के खिलाफ 21 फरवरी को ही धारा 307 की रिपोर्ट दर्ज करा दी गई थी. जिसके बाद उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया और उसी रात उन्हें रिहा भी कर दिया गया था.

22 फरवरी को राजा का दाह संस्कार

22 फरवरी को राजा मान सिंह का दाह संस्कार किया गया. 23 फरवरी को विजय सिंह ने डीग थाने में डीएसपी कान सिंह भाटी समेत कई पुलिसकर्मियों के खिलाफ राजा मान सिंह समेत दो अन्य की हत्या का मामला दर्ज कराया था. यह मामला जयपुर की सीबीआई की विशेष अदालत में भी चला. बाद में सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर यह मुकदमा वर्ष 1990 में मथुरा न्यायालय स्थानांतरित हो गया. मामले में 35 साल बाद राजा मानसिंह को न्याय मिला और इस मामले पर मथुरा कोर्ट ने फैसला सुनाते हुए डीएसपी कान सिंह भाटी सहित 11 पुलिसकर्मियों को हत्याकांड का दोषी करार दिया है.

भरतपुर. 21 फरवरी 1985, ये वो तारीख है जब राजस्थान की राजनीति में हुई एक घटना ने ना केवल तत्कालीन मुख्यमंत्री की कुर्सी छीन ली, बल्कि राज्य की राजनीति को पूरी तरह से झकझोर कर रख दिया. इस तारीख को पुलिस मुठभेड़ में भरतपुर के विधायक राजा मानसिंह की मौत हो गई थी. 35 साल बाद इस मामले में फैसला आया और डीएसपी कान सिंह भाटी सहित 11 लोगों को मथुरा कोर्ट ने दोषी करार देते हुए आजीवन कारावास की सजा सुनाई है. इस हत्याकांड के पीछे की पूरी कहानी क्या है, आप भी जानिए...

राजा मानसिंह हत्याकांड

राजशाही झंडे का था मामला

राजा मानसिंह हत्याकांड के चश्मदीद गवाह और राजा के दामाद कुंवर विजय सिंह ने ईटीवी भारत से बातचीत करते हुए इस हत्याकांड के पीछे की कहानी बताई. उन्होंने बताया कि इस घटनाक्रम की शुरुआत 20 फरवरी 1985 को हुई थी. इस दिन कांग्रेसी कार्यकर्ताओं ने डीग से लगातार 7 बार निर्दलीय विधायक रहे राज परिवार के सदस्य राजा मान सिंह के राजशाही झंडे को चुनाव प्रचार के दौरान हटाने की गलती कर दी थी.

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सीएम का क्षतिग्रस्त हेलीकॉप्टर

पढ़ें- मानसिंह हत्याकांड में सजा का ऐलान...DSP समेत 11 पुलिसकर्मियों को आजीवन कारावास

सीएम के हेलीकॉप्टर को जीप से मारी थी टक्कर

इसके बाद अपने झंडे की शान बनाए रखने के लिए राजा मानसिंह आग-बबूला हो गए. 20 फरवरी को ही राजस्थान की कांग्रेस सरकार के मुख्यमंत्री शिवचरण माथुर डीग में जनसभा को संबोधित करने आए थे, जहां आग बबूला हो रहे राजा ने अपनी जीप से पहले सीएम की जनसभा के मंच को तोड़ दिया. उसके बाद सीएम के हेलीकॉप्टर को जीप से टक्कर मारकर क्षतिग्रस्त कर दिया. कुंवर विजय सिंह ने बताया कि उसके बाद सुरक्षा बल सीएम शिवचरण माथुर को सुरक्षा के बीच सड़क के रास्ते जयपुर ले जाने में सफल रहे.

घटना के बाद डीग में लगाया गया था कर्फ्यू...

कुंवर विजय सिंह ने बताया कि इसके बाद सरकार ने डीग में कर्फ्यू लगाकर भारी संख्या में पुलिस बल तैनात कर दिया, जिससे राजा मानसिंह को डीग आने से रोका जा सके. उन्होंने बताया कि इसके बावजूद 21 फरवरी 1985 को राजा मानसिंह अपने दामाद और 2 अन्य साथियों के साथ डीग पुहंच गए, जहां डीएसपी कान सिंह भाटी के नेतृत्व में हथियारों से लैस पुलिस फोर्स ने राजा मान सिंह की जीप को चारों तरफ से घेर लिया और फायरिंग शुरू कर दी.

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राजा मानसिंह समेत 2 लोगों की हुई थी मौत

इस घटनाक्रम में राजा मान सिंह और उनके 2 समर्थक सुमेर सिंह और हरी सिंह की गोली लगने से मौत हो गई, लेकिन राजा का दामाद विजय सिंह बच गया. वहीं, घटना के बाद इस वारदात के गवाह राजा मान सिंह के दामाद विजय सिंह के खिलाफ 21 फरवरी को ही धारा 307 की रिपोर्ट दर्ज करा दी गई थी. जिसके बाद उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया और उसी रात उन्हें रिहा भी कर दिया गया था.

22 फरवरी को राजा का दाह संस्कार

22 फरवरी को राजा मान सिंह का दाह संस्कार किया गया. 23 फरवरी को विजय सिंह ने डीग थाने में डीएसपी कान सिंह भाटी समेत कई पुलिसकर्मियों के खिलाफ राजा मान सिंह समेत दो अन्य की हत्या का मामला दर्ज कराया था. यह मामला जयपुर की सीबीआई की विशेष अदालत में भी चला. बाद में सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर यह मुकदमा वर्ष 1990 में मथुरा न्यायालय स्थानांतरित हो गया. मामले में 35 साल बाद राजा मानसिंह को न्याय मिला और इस मामले पर मथुरा कोर्ट ने फैसला सुनाते हुए डीएसपी कान सिंह भाटी सहित 11 पुलिसकर्मियों को हत्याकांड का दोषी करार दिया है.

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