भरतपुर. सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय की ओर से वाहन चालकों के लिए दिसंबर-2019 से हाइब्रिड फास्टैग कूपन की सुविधा शुरू की गई. अब यह सुविधा ना केवल कैश काउंटर की लंबी कतार से बचा रही है बल्कि इससे ईंधन की बचत भी हो रही है. भरतपुर के लुधावई टोल प्लाजा पर प्रत्येक दिन करीब 11 हजार वाहन चालकों को इस सुविधा का लाभ मिल रहा है. ईटीवी भारत ने टोल प्लाजा पर फास्टैग सुविधा और उसकी प्रक्रिया का जायजा लिया.
हर दिन 11 हजार वाहन चालकों को लाभ
लुधावई टोल प्लाजा के मैनेजर अनूप सिंह चौहान ने बताया कि लुधावई पर 10 लाइन हैं. वैसे तो सभी लाइनों में फास्टैग की सुविधा उपलब्ध है, लेकिन सरकार के आदेशानुसार इनमें से 6 लाइनों को फास्टैग की सुविधा से जोड़ा गया है. बाकी 4 लाइनों को कैश लाइन रखा गया है.
![Hybrid Fastag at Ludhwai Toll Plaza, Ludhwai Toll Plaza of Bharatpur](https://etvbharatimages.akamaized.net/etvbharat/prod-images/9025154_kakak.png)
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फास्टैग में तेजी से बढ़ी वाहनों की संख्या
मैनेजर अनूप सिंह चौहान ने बताया कि दिसंबर 2019 में हाइब्रिड फास्टैग लागू होने से पहले नवंबर 2019 में पूरे महीने का कुल ट्रैफिक 3,55,695 था, जिनमें से सिर्फ 70,205 वाहन ही फास्टैग सुविधा वाले थे. लेकिन हाइब्रिड फास्टैग सुविधा शुरू होते ही फरवरी 2020 में कुल ट्रैफिक 3,62,239 में से 2,29,591 वाहन चालक फास्टैग से लाभांवित हुए. जो कि पहले की तुलना में काफी अधिक था. मैनेजर अनूप ने बताया कि अब हर दिन लुधावई टोल प्लाजा पर करीब 65 फीसदी वाहन चालक इस सुविधा का लाभ ले रहे हैं.
![Hybrid Fastag at Ludhwai Toll Plaza, Ludhwai Toll Plaza of Bharatpur](https://etvbharatimages.akamaized.net/etvbharat/prod-images/9025154_jjj.png)
ऐसे बचा समय और ईंधन
मैनेजर अनूप सिंह ने बताया कि हाइब्रिड फास्टैग शुरू होने से पहले कैश लाइन में वाहन चालकों को निकलने में 10-10 मिनट का समय लगता था. ऐसे में वाहन चालक का समय और ईंधन तो बर्बाद होता ही था, साथ ही 10 मिनट तक वाहन चालू रहने से प्रदूषण भी होता था. लेकिन अब हाइब्रिड फास्टैग शुरू होने से एक वाहन को पास होने में अधिकतम 5-6 सेकंड का समय लग रहा है.
![Hybrid Fastag at Ludhwai Toll Plaza, Ludhwai Toll Plaza of Bharatpur](https://etvbharatimages.akamaized.net/etvbharat/prod-images/9025154_info.jpg)
फास्टैग लाइन में लग जाती है कतार
कई बार फास्टैग लाइन में भी वाहनों की लंबी कतार देखने को मिलती है. इसके बारे में जब मैनेजर अनूप से पूछा तो उन्होंने इसके पीछे तकनीकी वजह होना बताया. उन्होंने बताया कि कई बार वाहन चालक फास्टैग कूपन को गाड़ी शीशे पर एक जगह से हटाकर दूसरी जगह लगा देते हैं या फिर कूपन धुंधला पड़ जाता है. इससे मशीन उसे आसानी से रीड नहीं कर पाती और उसे आगे निकलने में समय लग जाता है. इसी वजह से पीछे के वाहन चालकों को भी इंतजार करना पड़ जाता है.
सुविधा का ज्यादा लाभ मिलेगा
टोल प्लाजा से काफी बड़ी संख्या में लोकल वाहन गुजरते हैं, जिनमें से काफी वाहन चालकों के पास स्मार्ट फोन नहीं होता और वो खुद फास्टैग का रिचार्ज नहीं करा पाते हैं. ऐसे में यदि टोल प्लाजा पर ही फास्टैग रिचार्ज की सुविधा शुरू कर दी जाए तो लोकल रूट के अधिक वाहन चालकों को इस सुविधा से जोड़ा जा सकता है.
अब तक पटरी पर नहीं आया ट्रैफिक
गौरतलब है कि कोरोना लॉकडाउन के दौरान टोल प्लाजा भी पूरी तरह से बंद रहा. बाद में अनलॉक होने पर वाहनों की आवाजाही धीरे-धीरे बढ़ने लगी, लेकिन अभी तक पहले की तरह पूरा ट्रैफिक नहीं मिल पा रहा है. लॉकडाउन से पहले हर महीने औसतन 3.50 लाख वाहन गुजरते थे, लेकिन अभी पूरे महीने में 3 लाख वाहनों का ही ट्रैफिक मिल पा रहा है.
क्या है फास्टैग...
फास्टैग एक इलेक्ट्रॉनिक टोल कलेक्शन तकनीक है. इसमें रेडियो फ्रीक्वेंसी आइडेंटिफिकेशन (RFID) का इस्तेमाल होता है. इस टैग को वाहन के विंडस्क्रीन पर लगाया जाता है. जैसे ही आपकी गाड़ी टोल प्लाजा के पास आती है, तो टोल प्लाजा पर लगा सेंसर आपके वाहन के विंडस्क्रीन पर लगे फास्टैग को ट्रैक कर लेता है. इसके बाद आपके फास्टटैग अकाउंट से उस टोल प्लाजा पर लगने वाला शुल्क कट जाता है. इस तरह आप टोल प्लाजा पर रुके बगैर शुल्क का भुगतान कर पाते हैं.