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भरतपुर की वीरांगनाओं ने जब की थी जेल में भूख हड़ताल तो अंग्रेजों को भी टेकने पड़े थे घुटने

आजादी की लड़ाई में महिला स्वतंत्रता सेनानियों के योगदान को भी कम नहीं आंका जा सकता है. अंग्रेजों के खिलाफ सत्याग्रह में भरतपुर की वीरांगनाएं भी शामिल रहीं और आंदोलन में गिरफ्तारी देकर उसे और बुलंद कर दिया था. इस दौरान जब उनके बच्चों को छीनकर अलग कर दिया गया तो उन्होंने भूख हड़ताल शुरू कर दी. 18 दिन चली महिलाओं की भूख हड़ताल और शहर में घटना के बढ़ते विरोध पर अंग्रेज प्रशासन को हार माननी पड़ी थी. पढ़ें पूरी खबर.

महिला स्वतंत्रता सेनानियों की गिरफ्तारी
महिला स्वतंत्रता सेनानियों की गिरफ्तारी
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Published : Aug 13, 2022, 7:18 PM IST

Updated : Aug 13, 2022, 10:36 PM IST

भरतपुर. यह वह दौर था जब पूरे देश में आजादी की लहर दौड़ रही थी. भरतपुर समेत पूरे देश के स्वतंत्रता सेनानी देश को गुलामी की जंजीरों से मुक्त कराने के लिए जी जान से जुटे हुए थे. अंग्रेजी साम्राज्यशाही की ह्रदयहीनता, अमानुषिक अत्याचारों के मुकाबले के लिए लोहागढ़ के नर और नारियों ने संघर्ष का बिगुल फूंक दिया था. इसमें भरतपूर की वीरांगनाएं (female freedom fighter of Bharatpur) भी पीछे नहीं थी. 21 जून 1939 को भरतपुर की वीरांगनाओं ने गिरफ्तारी देकर सत्याग्रह (women satyagrah in Bharatpur) को एक नई दिशा दे दी.

स्वतंत्रता आंदोलन को दबाने के लिए भरतपुर में पुरुष और महिला स्वतंत्रता सेनानियों की लगातार गिरफ्तारियां (female freedom fighter given arrest) की जा रहीं थीं. इसी दौरान 21 जून 1939 को भरतपुर की महिला स्वतंत्रता सेनानियों ने गिरफ्तारी दीं. भरतपुर की वीरांगनाओं की गिरफ्तारी के साथ ही सत्याग्रह ने एक नई दिशा ले ली थी. छठी डिक्टेटर ठकुरानी त्रिवेणी देवी जघीना के (Thakurani Triveni Devi Jaghina) नेतृत्व में शीला देवी जोशी, कृष्णा देवी, भगवती देवी, कृष्णा प्यारी समेत सात महिला स्वतंत्रता सेनानियों ने गिरफ्तारी दी जिन्हें तीन-तीन माह की सजा हुई.

महिला स्वतंत्रता सेनानियों की गिरफ्तारी

पढ़ें. जोधपुर की स्वतंत्रता के नायक थे दुर्गादास राठौड़, त्याग, सेवा और वीरता से भरा है उनका जीवन

मासूम बच्चों को छीनकर अलग कर दिया
अंग्रेजों ने महिला सत्याग्रहियों के मासूम बच्चों को छीनकर अनाथालय में रख दिया. सरकार ने माताओं की ममता को कुचल कर उन्हें सत्याग्रह से विमुख करने का एक क्रूर हथकंडा अपनाया, जिसकी जनता की बीच तीव्र प्रतिक्रिया हुई और इसका पुरजार विरोध किया जाने लगा. अंग्रेजी हुकूमत के इस क्रूर कदम से भरतपुर में विद्रोह की भावना फैल गई. सत्याग्रही महिलाओं की गोद से बच्चों को छीनने के समय जो चीख पुकार मची उससे हर तरफ रोष की आग फैलती गई और लोगों आंदोलित हो उठे.

female freedom fighter hunger strike
भरतपुर की वारांगनाएं

पढ़ें. औरंगज़ेब ने काशी मथुरा के मंदिर तोड़े, क्या सरकार भी ऐसा ही करेगी?: इतिहासकार इरफान हबीब

सत्याग्रही महिलाओं ने की थी 18 दिन भूख हड़ताल
घटना के विरोध में जेल में ही सत्याग्रही महिलाओं ने भूख हड़ताल (female freedom fighter hunger strike) शुरू कर दी. इस बात की जानकारी जब जेल में बंद अन्य सत्याग्रही पुरुष नेताओं को लगी तो उन्होंने भी जेल में ही भूख हड़ताल शुरू (hunger strike into the jail) कर दी. यह हड़ताल 18 दिन तक चली और आखिर में अंग्रेजी हुकूमत को पराजित होना पड़ा और मासूम बच्चों को वापस जेल में बंद उनकी माताओं यानी महिला स्वतंत्रता सेनानियों को सौंपकर मुक्त करना पड़ा. इसके बाद एक के बाद एक पुरुष स्वतंत्रता सेनानियों के साथ 20 महिला स्वतंत्रता सेनानियों ने गिरफ्तारियां दी. महिला स्वतंत्रता सेनानियों को भी कई माह की कारावास की सजा हुई. ये भरतपुर की महिला स्वतंत्रता सेनानियों के स्वाभिमान और आजादी में योगदान का एक स्वर्णिम अध्याय है जिसे हमेशा इतिहास में याद किया जाता रहेगा.

भरतपुर. यह वह दौर था जब पूरे देश में आजादी की लहर दौड़ रही थी. भरतपुर समेत पूरे देश के स्वतंत्रता सेनानी देश को गुलामी की जंजीरों से मुक्त कराने के लिए जी जान से जुटे हुए थे. अंग्रेजी साम्राज्यशाही की ह्रदयहीनता, अमानुषिक अत्याचारों के मुकाबले के लिए लोहागढ़ के नर और नारियों ने संघर्ष का बिगुल फूंक दिया था. इसमें भरतपूर की वीरांगनाएं (female freedom fighter of Bharatpur) भी पीछे नहीं थी. 21 जून 1939 को भरतपुर की वीरांगनाओं ने गिरफ्तारी देकर सत्याग्रह (women satyagrah in Bharatpur) को एक नई दिशा दे दी.

स्वतंत्रता आंदोलन को दबाने के लिए भरतपुर में पुरुष और महिला स्वतंत्रता सेनानियों की लगातार गिरफ्तारियां (female freedom fighter given arrest) की जा रहीं थीं. इसी दौरान 21 जून 1939 को भरतपुर की महिला स्वतंत्रता सेनानियों ने गिरफ्तारी दीं. भरतपुर की वीरांगनाओं की गिरफ्तारी के साथ ही सत्याग्रह ने एक नई दिशा ले ली थी. छठी डिक्टेटर ठकुरानी त्रिवेणी देवी जघीना के (Thakurani Triveni Devi Jaghina) नेतृत्व में शीला देवी जोशी, कृष्णा देवी, भगवती देवी, कृष्णा प्यारी समेत सात महिला स्वतंत्रता सेनानियों ने गिरफ्तारी दी जिन्हें तीन-तीन माह की सजा हुई.

महिला स्वतंत्रता सेनानियों की गिरफ्तारी

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मासूम बच्चों को छीनकर अलग कर दिया
अंग्रेजों ने महिला सत्याग्रहियों के मासूम बच्चों को छीनकर अनाथालय में रख दिया. सरकार ने माताओं की ममता को कुचल कर उन्हें सत्याग्रह से विमुख करने का एक क्रूर हथकंडा अपनाया, जिसकी जनता की बीच तीव्र प्रतिक्रिया हुई और इसका पुरजार विरोध किया जाने लगा. अंग्रेजी हुकूमत के इस क्रूर कदम से भरतपुर में विद्रोह की भावना फैल गई. सत्याग्रही महिलाओं की गोद से बच्चों को छीनने के समय जो चीख पुकार मची उससे हर तरफ रोष की आग फैलती गई और लोगों आंदोलित हो उठे.

female freedom fighter hunger strike
भरतपुर की वारांगनाएं

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सत्याग्रही महिलाओं ने की थी 18 दिन भूख हड़ताल
घटना के विरोध में जेल में ही सत्याग्रही महिलाओं ने भूख हड़ताल (female freedom fighter hunger strike) शुरू कर दी. इस बात की जानकारी जब जेल में बंद अन्य सत्याग्रही पुरुष नेताओं को लगी तो उन्होंने भी जेल में ही भूख हड़ताल शुरू (hunger strike into the jail) कर दी. यह हड़ताल 18 दिन तक चली और आखिर में अंग्रेजी हुकूमत को पराजित होना पड़ा और मासूम बच्चों को वापस जेल में बंद उनकी माताओं यानी महिला स्वतंत्रता सेनानियों को सौंपकर मुक्त करना पड़ा. इसके बाद एक के बाद एक पुरुष स्वतंत्रता सेनानियों के साथ 20 महिला स्वतंत्रता सेनानियों ने गिरफ्तारियां दी. महिला स्वतंत्रता सेनानियों को भी कई माह की कारावास की सजा हुई. ये भरतपुर की महिला स्वतंत्रता सेनानियों के स्वाभिमान और आजादी में योगदान का एक स्वर्णिम अध्याय है जिसे हमेशा इतिहास में याद किया जाता रहेगा.

Last Updated : Aug 13, 2022, 10:36 PM IST
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