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भूमाफियाओं के मंसूबे नाकाम, घना प्रशासन ने अवैध कॉलोनी का रास्ता खुदवाया...चेतावनी बोर्ड भी लगाया

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Published : Oct 13, 2021, 8:26 PM IST

केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान के पास सटी बेशकीमती जमीन पर कुछ भूमाफिया अवैध तरीके से आवासीय कॉलोनी विकसित करने की फिराक में थे. जब ईटीवी भारत ने इस मामले को उठाया तो प्रशासन नींद से जागा. अब इस जमीन के रास्ते को जेसीबी से खुदवा दिया गया है और चेतावनी बोर्ड भी लगा दिया गया है.

kevladev ghana abhyaran
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भरतपुर. विश्व प्रसिद्ध केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान से सटी हुई जमीन पर भूमाफियाओं की ओर से अवैध आवासीय कॉलोनी विकसित करने की तैयारी का मुद्दा ईटीवी भारत के प्रमुखता से प्रकाशित करने के बाद घना प्रशासन जागा. प्रशासन ने तुरंत उद्यान से सटी हुई जमीन के रास्ते को जेसीबी से खुदवाया और एक चेतावनी बोर्ड भी लगवाया. इससे भूमाफियाओं के मंसूबे नाकाम हो गए.

असल में केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान के पास सटी बेशकीमती जमीन पर कुछ भूमाफिया अवैध तरीके से आवासीय कॉलोनी विकसित करने की फिराक में थे. इसके लिए भूमाफियाओं ने नियम विरुद्ध पूरी जमीन पर कच्ची सड़क बना दी. साथ ही सस्ती कीमत में भूखंड उपलब्ध कराने के लिए लोगों को झांसे में लेने की कोशिश भी शुरू कर दी.

पढ़ें: भरतपुर के कामां में गौवंश मुक्त कराया, गौ तस्कर फरार...पुलिस की कार्यप्रणाली पर सवालिया निशान

ईटीवी भारत को इस पूरे घटनाक्रम की सूचना मिली. ऐसे लोग भी संपर्क में आए जिनको भूमाफिया सस्ते में भूखंड बेचना चाह रहे थे. इसके बाद ईटीवी भारत ने 'विश्व विरासत पर अतिक्रमण: केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान से सटी जमीन पर भूमाफियाओं की नजर... गुपचुप कॉलोनी काटने की तैयारी ' शीर्षक से खबर प्रकाशित की. खबर प्रकाशित होते ही उद्यान प्रशासन हरकत में आया और उद्यान से सटी हुई जमीन पर जेसीबी से पूरे रास्ते को खुदवा कर ब्लॉक कर दिया.

पढ़ें: सेना का जवान बनकर ऑनलाइन ठगी करने वाले दो गिरफ्तार

घना निदेशक मोहित गुप्ता ने बताया कि संबंधित जमीन पर चेतावनी बोर्ड लगवा दिया गया है. उद्यान से सटी जमीन इको सेंसेटिव जोन में आती है, इसलिए वहां पर कोई भी आवासीय निर्माण या गतिविधि संचालित नहीं की जा सकती. नियमानुसार उद्यान से 500 मीटर की दूरी तक आवासीय या व्यावसायिक निर्माण या गतिविधि का संचालन नहीं किया जा सकता. यदि कोई व्यक्ति इस तरह का कार्य करता है, तो राजस्थान वन अधिनियम के तहत जेल का प्रावधान है.

भरतपुर. विश्व प्रसिद्ध केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान से सटी हुई जमीन पर भूमाफियाओं की ओर से अवैध आवासीय कॉलोनी विकसित करने की तैयारी का मुद्दा ईटीवी भारत के प्रमुखता से प्रकाशित करने के बाद घना प्रशासन जागा. प्रशासन ने तुरंत उद्यान से सटी हुई जमीन के रास्ते को जेसीबी से खुदवाया और एक चेतावनी बोर्ड भी लगवाया. इससे भूमाफियाओं के मंसूबे नाकाम हो गए.

असल में केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान के पास सटी बेशकीमती जमीन पर कुछ भूमाफिया अवैध तरीके से आवासीय कॉलोनी विकसित करने की फिराक में थे. इसके लिए भूमाफियाओं ने नियम विरुद्ध पूरी जमीन पर कच्ची सड़क बना दी. साथ ही सस्ती कीमत में भूखंड उपलब्ध कराने के लिए लोगों को झांसे में लेने की कोशिश भी शुरू कर दी.

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ईटीवी भारत को इस पूरे घटनाक्रम की सूचना मिली. ऐसे लोग भी संपर्क में आए जिनको भूमाफिया सस्ते में भूखंड बेचना चाह रहे थे. इसके बाद ईटीवी भारत ने 'विश्व विरासत पर अतिक्रमण: केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान से सटी जमीन पर भूमाफियाओं की नजर... गुपचुप कॉलोनी काटने की तैयारी ' शीर्षक से खबर प्रकाशित की. खबर प्रकाशित होते ही उद्यान प्रशासन हरकत में आया और उद्यान से सटी हुई जमीन पर जेसीबी से पूरे रास्ते को खुदवा कर ब्लॉक कर दिया.

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घना निदेशक मोहित गुप्ता ने बताया कि संबंधित जमीन पर चेतावनी बोर्ड लगवा दिया गया है. उद्यान से सटी जमीन इको सेंसेटिव जोन में आती है, इसलिए वहां पर कोई भी आवासीय निर्माण या गतिविधि संचालित नहीं की जा सकती. नियमानुसार उद्यान से 500 मीटर की दूरी तक आवासीय या व्यावसायिक निर्माण या गतिविधि का संचालन नहीं किया जा सकता. यदि कोई व्यक्ति इस तरह का कार्य करता है, तो राजस्थान वन अधिनियम के तहत जेल का प्रावधान है.

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