भरतपुर. 68वीं सीनियर राज्य स्तरीय कबड्डी प्रतियोगिता के उद्घाटन कार्यक्रम में भाग लेने शुक्रवार को भरतपुर आए एशिया कबड्डी संघ के अध्यक्ष जनार्दन गहलोत ने ईटीवी भारत से विशेष बातचीत की. इस दौरान उन्होंने कहा कि भारत में कबड्डी का खेल जीरो था, लेकिन आज दुनिया के 33 देशों में खेला जा रहा है. उन्होंने कहा कि अब हमारा लक्ष्य कबड्डी को ओलंपिक तक ले जाने का है.
जनार्दन गहलोत ने कहा कि वर्ष 1984 तक देश में कबड्डी खेल को कोई पहचान नहीं मिली थी. कबड्डी खेल जीरो था, ना ही इसको ऑफिशियल गेम के रूप में कहीं शामिल किया गया था. कबड्डी खेल उस समय तक भारत में सिर्फ गांव में खेला जाता था, लेकिन कबड्डी संघ ने इसे ऑफिशियल गेम में जुड़वाया. उसके बाद एशियन गेम में जुड़वाया और अब इसे इंटरनेशनल गेम में जुड़वाकर ओलंपिक तक ले जाना हमारा लक्ष्य है.
दरी के लिए लड़ते थे खिलाड़ी...
जनार्दन गहलोत ने बताया कि जब तक देश और विदेश में कबड्डी को पहचान नहीं मिली थी, तब तक कबड्डी के खिलाड़ी बिना रिजर्वेशन के ट्रेन में यात्रा करते थे. लेकिन आज हवाई यात्रा करते हैं. एक वक्त था जब कबड्डी के खिलाड़ी सरकारी स्कूलों के दबड़ों में पड़े रहते थे और एक-एक दरी पट्टी के लिए लड़ते थे. वहीं, आज फाइव स्टार होटलों में ठहरते हैं. यह सब पहचान कबड्डी संघ के प्रयासों से मिली है.
खिलाड़ियों को मिलते हैं डेढ़-दो करोड़...
जनार्दन गहलोत ने ईटीवी भारत से विशेष बातचीत करते हुए बताया कि अब ना केवल देश में, बल्कि एशिया भर में कबड्डी खेल और खिलाड़ियों को विशेष पहचान मिल चुकी है. यह एक बड़ी उपलब्धि है. आज कबड्डी के खिलाड़ी डेढ़ से दो करोड़ रुपये में जा रहे हैं.
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उन्होंने आगे कहा कि आज क्रिकेट के आईपीएल की तर्ज पर अब कबड्डी के केपीएल/कबड्डी लीग भी आयोजित होते हैं. पूरी दुनिया में कबड्डी खेल लोकप्रिय हो गया. नहीं तो एक वक्त था कि कोई कबड्डी को देखता नहीं था. गौरतलब है कि भरतपुर में गुरुवार से चार दिवसीय 68वीं सीनियर राज्य स्तरीय कबड्डी प्रतियोगिता-2012 का शुभारंभ हुआ है. इसमें पूरे प्रदेश के लड़कों की 35 टीमें और लड़कियों की 21 टीमें भाग ले रही हैं.