भरतपुर. पक्षियों का स्वर्ग कहलाने वाला केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान (Keoladeo National Park) अपने आगोश में ज्ञान के भंडार छुपाए हुए है. यह उद्यान प्रवासी पक्षियों के कलरव, देश के सर्वाधिक पाइथन (अजगर) और औषधीय भंडार के कारण जाना जाता है. खास बात यह भी है कि उद्यान के परिसर में भारत के बर्डमैन कहलाने वाले डॉक्टर सलीम अली की याद में एक इंटरप्रिटेशन सेंटर भी है. यह सेंटर जानकारियों का विषद भंडार है.
क्रिस्टल किंग ने बनाया था सेंटर
पर्यावरणविद भोलू अबरार ने बताया कि केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान को दुनियाभर में पहचान दिलाने में डॉ. सलीम अली का महत्वपूर्ण योगदान था. यही वजह है कि डॉ. सलीम अली को भारत के बर्डमैन के रूप में भी पहचाना जाता है. सलीम अली के योगदान और केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान में छुपे प्राकृतिक भंडार को देखते हुए ऑस्ट्रिया के क्रिस्टल किंग स्वारोवस्की ने वर्ष 2006 में सेंटर का निर्माण कराया.
स्वारोवस्की के नाम से नहीं मिली अनुमति
पर्यावरणविद भोलू अबरार ने बताया कि स्वारोवस्की (Crystal King Swarovski of Austria) ने पहले खुद के नाम से इंटरप्रिटेशन सेंटर खोलने की इच्छा जताई थी. लेकिन भारत सरकार ने जब इस संबंध में वर्ल्ड वाइड फंड(wwf) से चर्चा की तो स्वारोवस्की के नाम पर सहमति नहीं बनी. आखिर में डॉ सलीम अली के नाम से सेंटर (Dr Salim Ali Interpretation Center bharatpur) बनाना तय हुआ.
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क्या है सलीम अली सेंटर में ?
पर्यावरणविद भोलू अबरार ने बताया कि इंटरप्रिटेशन सेंटर में पर्यावरण, प्रकृति, पक्षियों समेत तमाम विषयों से संबंधित जानकारी का भंडार है. सेंटर के अंदर पक्षियों की प्रजातियों की जानकारी, कौन सा पक्षी, कौन से रूट से केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान तक पहुंचता है, इसकी मैप के माध्यम से जानकारी दी गयी है. साथ ही पक्षियों के स्कल्पचर के माध्यम से पर्यावरण और केवलादेव उद्यान की भी विस्तृत जानकारी दी गई है.
प्रशिक्षण केंद्र भी
भोलू अबरार ने बताया कि डॉ सलीम अली सेंटर परिसर में एक बड़ा हॉल भी निर्मित किया गया है, जिसमें प्रशिक्षु आईएफएस और आरएफएस अधिकारियों को प्रशिक्षण भी दिया जाता है. भोलू अबरार ने बताया कि इंटरप्रिटेशन सेंटर अपने आप में पूरे केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान की जानकारी को समेटे हुए है. जो विद्यार्थी या अधिकारी इंटरप्रिटेशन सेंटर घूम लेता है, उसे केवलादेव उद्यान की वनस्पति, पक्षी और अन्य सभी प्राकृतिक जानकारियां मिल जाती है.
झेलना पड़ा था विरोध
भोलू अबरार ने बताया कि इंटरप्रिटेशन सेंटर के निर्माण से पहले स्थानीय लोगों का विरोध भी झेलना पड़ा था. कुछ लोगों ने केस भी किया था. लोगों का आरोप था कि सेंटर के निर्माण के लिए काफी पेड़ काटे गए, लेकिन हकीकत में सेंटर निर्माण के समय एक भी पेड़ को हानि नहीं पहुंचाई गई.
ऐसे थे भारत के बर्डमैन
असल में डॉ सलीम अली एक पक्षी विज्ञानी और प्रकृतिविद थे. भारत में पहली बार पक्षियों का सर्वेक्षण डॉक्टर सलीम अली ने ही किया था. केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान के गठन में भी डॉक्टर सलीम अली का महत्वपूर्ण योगदान था. उन्होंने अपना पूरा जीवन पक्षियों के लिए समर्पित कर दिया था. ऑस्ट्रिया के क्रिस्टल किंग स्वारोवस्की भी डॉ अली के माध्यम से ही केवलादेव के बारे में परिचित हुए.
कौन हैं क्रिस्टल किंग स्वारोवस्की
स्वारोवस्की (Crystal King Swarovski of Austria) ऑस्ट्रियाई ग्लास निर्माता हैं. जिसका मुख्यालय वॉटेंस ऑस्ट्रिया में है. 1895 में डैनियल स्वारोवस्की ने इसकी स्थापना की थी. स्वारोवस्की कंपनी क्रिस्टल बिजनेस की दुनिया में धाक रखती है. यह मुख्य रूप से क्रिस्टल ग्लास, गहने और उपकरण का उत्पादन करती है. इसकी पहुंच 170 देशों तक है. इसका 2018 तक ज्ञात राजस्व 2.7 बिलियन यूरो था. कंपनी को अब स्वारोवस्की की पांचवीं पीढ़ी संभाल रही है. क्रिस्टल किंग स्वारोवस्की ने भारत के बर्डमैन डॉ सलीम के जरिये ही केवलादेव को जाना और यहां सेंटर में इन्वेस्ट किया.