भरतपुर. उपभोक्ताओं के अधिकारों की रक्षा करने और उन्हें न्याय दिलाने वाले जिला उपभोक्ता मंच का नाम बदलकर अब जिला आयोग कर दिया गया है. साथ ही जिला आयोग के अधिकारों में भी वृद्धि की गई है. ऐसे में अब इन आयोग में एक करोड़ तक के परिवादों का निस्तारण किया जा सकेगा.
जिला आयोग के सदस्य दीपक मुद्गल ने बताया कि 34 साल बाद नियमों में संशोधन किया गया है और अब उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 2019 राजस्थान में 20 जुलाई से लागू कर दिया गया है. इसके तहत नियमों में कई संशोधन किए गए हैं. अब 20 लाख से अधिक के परिवाद निस्तारण के लिए जयपुर जाने की आवश्यकता नहीं पड़ेगी. नए नियम के तहत अब जिला आयोग में 20 लाख के बजाय एक करोड़ तक के परिवादों का निस्तारण किया जाएगा.
सदस्य दीपक मुद्गल ने बताया कि अब जिला आयोग में वस्तुओं या सेवाओं के प्रतिफल के रूप मूल्य/फीस में भी परिवर्तन किया गया है. इसके तहत 5 लाख तक के परिवाद पूरी तरह से निशुल्क यानी बिना फीस के सुने जाएंगे.
वस्तुओं या सेवाओं के प्रतिफल की नई फीस
- 5 से 10 लाख तक कोर्ट फीस- 200 रुपए
- 10 से 20 लाख तक कोर्ट फीस- 400 रुपए
- 20 लाख से 50 लाख तक कोर्ट फीस- 1 हजार रुपए
- 50 लाख से 1 करोड़ तक कोर्ट फीस- 2 हजार रुपए
- नकली माल के विक्रय, विनिर्माण या भंडारण के लिए 1 साल से 7 तक कारावास एवं 3 लाख से 10 लाख तक आर्थिक दंड.
अपील करने का समय बढ़ाया
पहले परिवाद उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 1986 'के' की धारा 12 में पेश किया जाता था, लेकिन अब परिवाद उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 2019 की धारा 35 के अंतर्गत पेश किया जाएगा. साथ ही नए नियम के तहत अपील के लिए 15 दिन का समय बढ़ाया गया है. अब 30 दिन के बजाय 45 दिन में भी अपील कर सकते हैं.
परिवाद में अपील की फीस सिर्फ 50 रुपए
पहले अपील के लिए 20 हजार से 20 लाख तक के परिवाद में 25 हजार रुपए जमा कर के राज्य आयोग में चले जाते थे, लेकिन अब प्रत्येक परिवाद में सिर्फ 50 रुपए जमा कर के ही अपील की जा सकती है. साथ ही इस कानून में अब सजा और जुर्माना दोनों का प्रावधान किया गया है. नकली माल के विक्रय, विनिर्माण या उनके भंडारण वितरण, आयात के लिए 1 साल से 7 तक कारावास एवं तीन लाख से 10 लाख तक आर्थिक दंड का प्रावधान रखा गया है.
1 साल में एक हजार परिवादों का निस्तारण
वर्ष 2019 में 1 साल में 1000 परिवादों का न्यायालय की ओर से निस्तारण किया जा चुका है, जबकि इस दौरान 500 नए परिवाद भी दर्ज हुए हैं. वहीं, वर्तमान में 1800 परिवाद अभी भी न्यायालय में विचाराधीन है. कोरोना संक्रमण के कारण करीब 2 महीने तक किसी परिवाद की सुनवाई नहीं हो पाई और ना ही नया परिवाद दायर किया गया. अनलॉक होने के बाद भी बीते 2 महीने में सिर्फ 50 नए परिवाद दायर हो पाए हैं.
न्यायालय में करें परिवाद
जिला आयोग के सदस्य दीपक मुद्गल ने बताया कि यदि उपभोक्ता को निजी हॉस्पिटल, फाइनेंस कंपनी, ठेकेदार, विज्ञापन एजेंसी, गैस एजेंसी, पेट्रोल पंप, होटल, मनोरंजन के स्थल, ट्रैवल एजेंसी, टेलीफोन सेवाएं, विद्युत, पानी, बीमा, रेलवे आदि स्थलों पर धोखाधड़ी का शिकार होना पड़े, तो उपभोक्ता न्यायालय में परिवाद कर सकते हैं.
गौरतलब है कि हर वर्ष सैकड़ों उपभोक्ता कहीं ना कहीं धोखाधड़ी के शिकार हो जाते हैं. ऐसे उपभोक्ताओं को न्याय दिलाने के लिए ही जिला आयोग संचालित किया जाता है. यहां हर वर्ष अधिकतर उपभोक्ताओं को न्याय मिलता है.