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भरतपुर: पुलिस-प्रशासन ने किसानों को चक्काजाम करने से रोका, विरोध में की नारेबाजी

भरतपुर में नेशनल हाईवे-21 पर पुलिस-प्रशासन के दबाव के कारण किसानों को चक्काजाम निरस्त करना पड़ा. महापड़ाव में बैठे सभी किसान नेशनल हाईवे से होते हुए उच्चैन चौराहे पर पहुंचे और नारेबाजी की. वहीं, उदयपुर में पीएम मोदी के मन की बात का किसानों ने थाली बजाकर विरोध किया.

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भरतपुर में पुलिस-प्रशासन के दबाव के चलते निरस्त हुआ किसानों का चक्का जाम प्रदर्शन
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Published : Dec 27, 2020, 5:48 PM IST

भरतपुर. दिल्ली में चल रहे किसान आंदोलन के समर्थन में भरतपुर के किसान 22 दिसंबर से सेवर चौराहे पर महापड़ाव डाले हुए हैं. दिल्ली में आंदोलन कर रहे किसानों के आह्वान पर आज भरतपुर के किसान नेशनल हाईवे 21 पर जाम करने वाले थे, लेकिन पुलिस प्रशाशन के दबाव के कारण किसानों को चक्का जाम का कार्यक्रम निरस्त करना पड़ा. महापड़ाव में बैठे सभी किसान नेशनल हाईवे से होते हुए उच्चैन चौराहे पर पहुंचे और नारेबाजी की. पुलिस प्रशाशन ने किसानों को प्रदर्शन के दौरान भी ज्यादा देर सड़क पर नहीं टिकने दिया.

भरतपुर में पुलिस-प्रशासन के दबाव के चलते निरस्त हुआ किसानों का चक्का जाम प्रदर्शन

वहीं किसान नेताओं ने बताया कि दिल्ली में आंदोलन कर रहे किसानों के आह्वान पर आज उच्चैन चौराहे को जाम किया, लेकिन उसमें कोई समय सीमा नहीं थी. केंद्र सरकार तक किसानों की आवाज पहुंचाने के लिए किसानों द्वारा उच्चैन चौराहे को जाम किया गया. इस कदम से भरतपुर जिले के आम आदमी में भी जागृति आएगी और वह हमारे साथ कंधे से कंधा मिलाकर खड़े होंगे. इसके अलावा किसान नेता मनुदेव ने राजनैतिक नेताओं पर आरोप लगाया कि पुलिस प्रशाशन के ऊपर राजनीतिक दबाव है.

यह भी पढ़ें- अलवर: हादसे का शिकार हुए नारायण बेनीवाल, पिकअप ने मारी टक्कर...निजी अस्पताल में भर्ती

मनुदेव ने बताया कि कुछ राजनीतिक लोग किसानों के नाम पर राजनीति करते हैं, लेकिन किसानों के लिए कुछ करना नहीं चाहते. उन सभी राजनीतिक लोगों का प्रशाशन पर दबाव था कि किसानों का चक्का जाम कार्यक्रम नहीं होने दिया जाए. इसके अलावा भरतपुर के किसानों का 22 दिसंबर से महापड़ाव जारी है. जब तक केंद्र सरकार किसानों की मांग नहीं मानेगी तब तक महापड़ाव जारी रहेगा. वहीं पुलिस ने चक्का जाम को लेकर बताया कि किसान अपनी मांगों के लिए करीब 5 दिनों से धरने पर बैठे हैं. किसानों ने चक्का जाम की चेतावनी दी थी, लेकिन प्रशाशन द्वारा समझाइश की गई. इसके बाद कोई चक्का जाम नहीं किया गया.

उदयपुर में मन की बात का विरोध

कृषि कानून को लेकर जहां देशभर में किसान पिछले 30 दिनों से विरोध प्रदर्शन कर सरकार द्वारा लाए गए तीनों कृषि कानूनों को निरस्त करने की मांग कर रहे हैं. इस बीच किसानों ने रविवार को प्रधानमंत्री मोदी के मन की बात का विरोध एक अनूठे अंदाज में किया. प्रधानमंत्री की मन की बात के समय किसानों ने थाली बजाकर विरोध प्रदर्शन किया. उदयपुर के एक पार्क में किसान संगठन और अन्य लोगों ने कृषि कानूनों का विरोध करते हुए जमकर नारेबाजी की.

इस दौरान कई महिला और युवाओं द्वारा थाली बजाकर सरकार द्वारा लाए गए कानूनों का विरोध किया गया. किसानों का कहना था कि सरकार द्वारा जो कानून लाए गए हैं. इन कानूनों से किसानों का किसी प्रकार का कोई भला नहीं होगा. इसलिए सरकार इन कृषि कानूनों को निरस्त करें, जिससे किसानों को राहत मिले. वहां मौजूद महिलाओं ने कहा कि प्रधानमंत्री कॉरपोरेट घराने को फायदा पहुंचाने के लिए इस प्रकार का कानून लेकर आए हैं.

भरतपुर. दिल्ली में चल रहे किसान आंदोलन के समर्थन में भरतपुर के किसान 22 दिसंबर से सेवर चौराहे पर महापड़ाव डाले हुए हैं. दिल्ली में आंदोलन कर रहे किसानों के आह्वान पर आज भरतपुर के किसान नेशनल हाईवे 21 पर जाम करने वाले थे, लेकिन पुलिस प्रशाशन के दबाव के कारण किसानों को चक्का जाम का कार्यक्रम निरस्त करना पड़ा. महापड़ाव में बैठे सभी किसान नेशनल हाईवे से होते हुए उच्चैन चौराहे पर पहुंचे और नारेबाजी की. पुलिस प्रशाशन ने किसानों को प्रदर्शन के दौरान भी ज्यादा देर सड़क पर नहीं टिकने दिया.

भरतपुर में पुलिस-प्रशासन के दबाव के चलते निरस्त हुआ किसानों का चक्का जाम प्रदर्शन

वहीं किसान नेताओं ने बताया कि दिल्ली में आंदोलन कर रहे किसानों के आह्वान पर आज उच्चैन चौराहे को जाम किया, लेकिन उसमें कोई समय सीमा नहीं थी. केंद्र सरकार तक किसानों की आवाज पहुंचाने के लिए किसानों द्वारा उच्चैन चौराहे को जाम किया गया. इस कदम से भरतपुर जिले के आम आदमी में भी जागृति आएगी और वह हमारे साथ कंधे से कंधा मिलाकर खड़े होंगे. इसके अलावा किसान नेता मनुदेव ने राजनैतिक नेताओं पर आरोप लगाया कि पुलिस प्रशाशन के ऊपर राजनीतिक दबाव है.

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मनुदेव ने बताया कि कुछ राजनीतिक लोग किसानों के नाम पर राजनीति करते हैं, लेकिन किसानों के लिए कुछ करना नहीं चाहते. उन सभी राजनीतिक लोगों का प्रशाशन पर दबाव था कि किसानों का चक्का जाम कार्यक्रम नहीं होने दिया जाए. इसके अलावा भरतपुर के किसानों का 22 दिसंबर से महापड़ाव जारी है. जब तक केंद्र सरकार किसानों की मांग नहीं मानेगी तब तक महापड़ाव जारी रहेगा. वहीं पुलिस ने चक्का जाम को लेकर बताया कि किसान अपनी मांगों के लिए करीब 5 दिनों से धरने पर बैठे हैं. किसानों ने चक्का जाम की चेतावनी दी थी, लेकिन प्रशाशन द्वारा समझाइश की गई. इसके बाद कोई चक्का जाम नहीं किया गया.

उदयपुर में मन की बात का विरोध

कृषि कानून को लेकर जहां देशभर में किसान पिछले 30 दिनों से विरोध प्रदर्शन कर सरकार द्वारा लाए गए तीनों कृषि कानूनों को निरस्त करने की मांग कर रहे हैं. इस बीच किसानों ने रविवार को प्रधानमंत्री मोदी के मन की बात का विरोध एक अनूठे अंदाज में किया. प्रधानमंत्री की मन की बात के समय किसानों ने थाली बजाकर विरोध प्रदर्शन किया. उदयपुर के एक पार्क में किसान संगठन और अन्य लोगों ने कृषि कानूनों का विरोध करते हुए जमकर नारेबाजी की.

इस दौरान कई महिला और युवाओं द्वारा थाली बजाकर सरकार द्वारा लाए गए कानूनों का विरोध किया गया. किसानों का कहना था कि सरकार द्वारा जो कानून लाए गए हैं. इन कानूनों से किसानों का किसी प्रकार का कोई भला नहीं होगा. इसलिए सरकार इन कृषि कानूनों को निरस्त करें, जिससे किसानों को राहत मिले. वहां मौजूद महिलाओं ने कहा कि प्रधानमंत्री कॉरपोरेट घराने को फायदा पहुंचाने के लिए इस प्रकार का कानून लेकर आए हैं.

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