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मौत के सौदागर: RBM अस्पताल का ट्रॉली पुलर 5 हजार में बेचता रहा ऑक्सीजन, चिकित्साकर्मियों ने बाहर से मंगाया सिलेंडर - RBM district hospital latest news

भरतपुर संभाग के सबसे बड़े आरबीएम जिला अस्पताल में मौत के सौदागरों का भंडाफोड़ हुआ है. आरबीएम अस्पताल का ट्रॉली पुलर मरीज के परिजनों को 5 हजार में ऑक्सीजन बेच रहा था. तो वहीं चिकित्साकर्मियों ने गैस की कमी बताकर परिजनों से बाहर से सिलेंडर मंगाया. देखिए ये रिपोर्ट...

RBM district hospital, blackmarketing of oxygen cylinders
मौत के सौदागर का खुलासा
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Published : Apr 29, 2021, 9:04 PM IST

भरतपुर. संभाग के सबसे बड़े आरबीएम जिला अस्पताल में मौत के सौदागरों का भंडाफोड़ हुआ है. अस्पताल का ट्रॉली पुलर अस्पताल के ही सरकारी ऑक्सीजन सिलेंडरों को मरीजों के परिजनों को 4 हजार से 5 हजार रुपए में बेच रहा था. गुरुवार को एडीएम प्रशासन ने ऑक्सीजन सिलेंडरों की ऑडिट की तो इसका खुलासा हुआ, जिसके बाद कार्रवाई करते हुए अस्पताल के ट्रॉली पुलर को पकड़ा गया है.

मौत के सौदागर का खुलासा

पढ़ें- SPECIAL: 'VIP' ने कब्जा रखे हैं बेड, 'आम' लोगों को नहीं मिल रहा इलाज

वहीं, दूसरी तरफ एक मरीज के परिजनों ने आरोप लगाया है कि आरबीएम अस्पताल में चिकित्साकर्मियों ने ऑक्सीजन नहीं होने की बात बोलकर उनसे बाहर से ऑक्सीजन मंगवाई. बाद में मरीज की मौत हो गई. गुरुवार को एक के बाद एक आरबीएम अस्पताल के तीन सनसनीखेज मामले सामने आए.

  • केस 1 : सांसों की कालाबाजारी

गुरुवार दोपहर को एडीएम प्रशासन बीना महावर ने आरबीएम जिला अस्पताल के ऑक्सीजन गोदाम की ऑडिट की. ऑडिट में सामने आया कि ऑक्सीजन सिलेंडरों की संख्या और खपत में कहीं ना कहीं कोई गड़बड़ी है. इसकी गहराई से जांच की तो ऑक्सीजन की कालाबाजारी होने की आशंका हुई. एडीएम प्रशासन बीना महावर ने बताया कि जांच और पूछताछ में अस्पताल के ही ट्रॉली पुलर प्रवेंद्र की ओर से अस्पताल के ही मरीजों को 4 हजार से 5 हजार रुपए में सिलेंडर बेचने का भंडाफोड़ हुआ. जिसके बाद ट्रॉली पुलर को पकड़ कर पुलिस के हवाले कर दिया.

  • केस 2: बाहर से मंगवाई ऑक्सीजन

शहर के तिलक नगर निवासी रामनिवास ने बताया कि बुधवार रात 8 बजे उसके भाई रामकिशोर की तबीयत खराब होने पर उसे आरबीएम जिला अस्पताल में भर्ती कराया. अस्पताल में जुगाड़ करके एक टूटा फूटा बेड मिला, जिसे ईटों के सहारे ठीक करके मरीज को लिटाने लायक बनाया. मरीज का ऑक्सीजन लेवल 45 था.

रामनिवास ने बताया कि उसने मरीज को ऑक्सीजन लगाने के लिए नर्सिंग स्टाफ और अन्य कर्मचारियों को कई बार बोला, लेकिन उन्होंने कहा कि अस्पताल में ऑक्सीजन उपलब्ध नहीं है बाहर से लेकर आओ. ऐसे में जैसे-तैसे करके बाहर से ऑक्सीजन सिलेंडर खरीद कर लाए. इसके बाद कर्मचारियों ने ऑक्सीजन सिलेंडर पर लगने वाले मीटर भी खरीद कर लाने की बात कही. जिसके बाद मरीज के परिजन फिर से बाजार दौड़े और ऑक्सीजन सिलेंडर पर लगने वाला मीटर खरीद कर लाए. तब जाकर मरीज को ऑक्सीजन लगी.

पढ़ें: SPECIAL : अलवर के सरकारी अस्पताल में 29 वेंटिलेटर स्टोर में बंद...जिले में ऑक्सीजन बेड की भारी कमी के दौर में लापरवाही

इस दौरान मरीज बिना ऑक्सीजन के तड़पता रहा. बाद में मरीज की गुरुवार सुबह मौत हो गई. परिजनों का कहना है कि यदि मरीज को समय पर ऑक्सीजन लगा दी गई होती तो शायद उसकी जान बच गई होती.

पहचान वालों को लगा रहे ऑक्सीजन

मृतक के भाई रामनिवास ने अस्पताल प्रशासन पर आरोप लगाते हुए कहा कि अस्पताल में ऑक्सीजन होने के बावजूद मरीजों को ऑक्सीजन नहीं लगाई जा रही है. अस्पताल के चिकित्साकर्मी अपने जान पहचान वाले लोगों को ही ऑक्सीजन लगा रहे हैं.

  • केस 3: रेमेडेसिविर का खेल

आरबीएम अस्पताल में रविवार को खूबीराम नामक कोरोना पॉजिटिव मरीज भर्ती कराया गया. मरीज के भाई ने बताया कि उसके नाम से 5 रेमेडेसिविर इंजेक्शन जारी किए गए. मरीज को 2 इंजेक्शन तो लगा दिए लेकिन खूबीराम के नाम से जारी किया गया इंजेक्शन की अन्य डोज जानबूझकर किसी अन्य मरीज को लगा दिया गया. मरीज खूबीराम के परिजन का कहना है कि उन्होंने इस संबंध में एडीएम एवं अस्पताल प्रबंधन के अधिकारियों को भी सूचित किया लेकिन कहीं पर कोई सुनवाई नहीं हुई.

गौरतलब है कि भरतपुर जिले में अब तक 11,080 लोग कोरोना की चपेट में आ चुके हैं, जिनमें से 137 लोगों की अब तक मौत हो चुकी है. जिले में फिलहाल 1044 एक्टिव केस हैं.

भरतपुर. संभाग के सबसे बड़े आरबीएम जिला अस्पताल में मौत के सौदागरों का भंडाफोड़ हुआ है. अस्पताल का ट्रॉली पुलर अस्पताल के ही सरकारी ऑक्सीजन सिलेंडरों को मरीजों के परिजनों को 4 हजार से 5 हजार रुपए में बेच रहा था. गुरुवार को एडीएम प्रशासन ने ऑक्सीजन सिलेंडरों की ऑडिट की तो इसका खुलासा हुआ, जिसके बाद कार्रवाई करते हुए अस्पताल के ट्रॉली पुलर को पकड़ा गया है.

मौत के सौदागर का खुलासा

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वहीं, दूसरी तरफ एक मरीज के परिजनों ने आरोप लगाया है कि आरबीएम अस्पताल में चिकित्साकर्मियों ने ऑक्सीजन नहीं होने की बात बोलकर उनसे बाहर से ऑक्सीजन मंगवाई. बाद में मरीज की मौत हो गई. गुरुवार को एक के बाद एक आरबीएम अस्पताल के तीन सनसनीखेज मामले सामने आए.

  • केस 1 : सांसों की कालाबाजारी

गुरुवार दोपहर को एडीएम प्रशासन बीना महावर ने आरबीएम जिला अस्पताल के ऑक्सीजन गोदाम की ऑडिट की. ऑडिट में सामने आया कि ऑक्सीजन सिलेंडरों की संख्या और खपत में कहीं ना कहीं कोई गड़बड़ी है. इसकी गहराई से जांच की तो ऑक्सीजन की कालाबाजारी होने की आशंका हुई. एडीएम प्रशासन बीना महावर ने बताया कि जांच और पूछताछ में अस्पताल के ही ट्रॉली पुलर प्रवेंद्र की ओर से अस्पताल के ही मरीजों को 4 हजार से 5 हजार रुपए में सिलेंडर बेचने का भंडाफोड़ हुआ. जिसके बाद ट्रॉली पुलर को पकड़ कर पुलिस के हवाले कर दिया.

  • केस 2: बाहर से मंगवाई ऑक्सीजन

शहर के तिलक नगर निवासी रामनिवास ने बताया कि बुधवार रात 8 बजे उसके भाई रामकिशोर की तबीयत खराब होने पर उसे आरबीएम जिला अस्पताल में भर्ती कराया. अस्पताल में जुगाड़ करके एक टूटा फूटा बेड मिला, जिसे ईटों के सहारे ठीक करके मरीज को लिटाने लायक बनाया. मरीज का ऑक्सीजन लेवल 45 था.

रामनिवास ने बताया कि उसने मरीज को ऑक्सीजन लगाने के लिए नर्सिंग स्टाफ और अन्य कर्मचारियों को कई बार बोला, लेकिन उन्होंने कहा कि अस्पताल में ऑक्सीजन उपलब्ध नहीं है बाहर से लेकर आओ. ऐसे में जैसे-तैसे करके बाहर से ऑक्सीजन सिलेंडर खरीद कर लाए. इसके बाद कर्मचारियों ने ऑक्सीजन सिलेंडर पर लगने वाले मीटर भी खरीद कर लाने की बात कही. जिसके बाद मरीज के परिजन फिर से बाजार दौड़े और ऑक्सीजन सिलेंडर पर लगने वाला मीटर खरीद कर लाए. तब जाकर मरीज को ऑक्सीजन लगी.

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इस दौरान मरीज बिना ऑक्सीजन के तड़पता रहा. बाद में मरीज की गुरुवार सुबह मौत हो गई. परिजनों का कहना है कि यदि मरीज को समय पर ऑक्सीजन लगा दी गई होती तो शायद उसकी जान बच गई होती.

पहचान वालों को लगा रहे ऑक्सीजन

मृतक के भाई रामनिवास ने अस्पताल प्रशासन पर आरोप लगाते हुए कहा कि अस्पताल में ऑक्सीजन होने के बावजूद मरीजों को ऑक्सीजन नहीं लगाई जा रही है. अस्पताल के चिकित्साकर्मी अपने जान पहचान वाले लोगों को ही ऑक्सीजन लगा रहे हैं.

  • केस 3: रेमेडेसिविर का खेल

आरबीएम अस्पताल में रविवार को खूबीराम नामक कोरोना पॉजिटिव मरीज भर्ती कराया गया. मरीज के भाई ने बताया कि उसके नाम से 5 रेमेडेसिविर इंजेक्शन जारी किए गए. मरीज को 2 इंजेक्शन तो लगा दिए लेकिन खूबीराम के नाम से जारी किया गया इंजेक्शन की अन्य डोज जानबूझकर किसी अन्य मरीज को लगा दिया गया. मरीज खूबीराम के परिजन का कहना है कि उन्होंने इस संबंध में एडीएम एवं अस्पताल प्रबंधन के अधिकारियों को भी सूचित किया लेकिन कहीं पर कोई सुनवाई नहीं हुई.

गौरतलब है कि भरतपुर जिले में अब तक 11,080 लोग कोरोना की चपेट में आ चुके हैं, जिनमें से 137 लोगों की अब तक मौत हो चुकी है. जिले में फिलहाल 1044 एक्टिव केस हैं.

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