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SPECIAL: पक्षी विज्ञानी का दावा, चमगादड़ से नहीं फैला कोरोना

वैश्विक महामारी कोरोना वायरस के फैलने को लेकर लोगों ने तरह-तरह के तर्क दिए. कुछ ने इसे प्राकृतिक आपदा बताया तो कुछ ने इसे चमगादड़ों से फैलना बताया. लेकिन इसे लेकर भरतपुर के पक्षी विज्ञानी ने दावा किया है कि इसके लिए चमगादड़ नहीं बल्कि मनुष्य खुद जिम्मेदार हैं.

Ornithologist Dr. Satya Prakash Mehra
चमगादड़ और कोरोना का नहीं है कनेक्शन
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Published : May 11, 2020, 5:50 PM IST

Updated : May 12, 2020, 9:39 AM IST

भरतपुर. पूरा विश्व कोरोना संक्रमण से जूझ रहा है. ऐसे में चमगादड़ को कोरोना संक्रमण का जिम्मेदार मानते हुए उसे खलनायक के रूप में देखा जा रहा है. लेकिन एक पक्षी विज्ञानी का दावा है कि कोरोना संक्रमण के लिए चमगादड़ जिम्मेदार नहीं है. बल्कि इसके लिए खुद मनुष्य ही जिम्मेदार हैं.

भरतपुर निवासी देश के जाने-माने पक्षी विज्ञानी और राजपूताना सोसाइटी ऑफ नेचुरल हिस्ट्री के संस्थापक डॉ. सत्य प्रकाश मेहरा ने यह दावा अपने शोध 'वन्यजीव, कोरोना विषाणु के विभिन्न प्रकारों एवं इसके मानव पर प्रभाव का समीक्षात्मक विश्लेषण' के आधार पर किया है. डॉ. मेहरा ने अपने शोध से संबंधित कई महत्वपूर्ण जानकारियां ईटीवी भारत के साथ साझा की.

चमगादड़ और कोरोना का नहीं है कनेक्शन

डॉ. मेहरा ने अपने शोध के आधार पर बताया कि संपूर्ण प्रकृति में अनेक प्रकार के विषाणु और जीवाणुओं की उपस्थिति है. वन्य प्राणी वायरस को अपने भीतर रखते हुए उसे फैलने से रोकते हैं. वन्य प्राणियों के किसी भी प्रकार से मनुष्य के सीधे संपर्क में आने पर भी वायरस की आक्रामकता नहीं होती. क्योंकि यह वन्य प्राणी से सीधे मनुष्य में पहुंच ही नहीं सकता. इसे कई चक्रों के माध्यम से गुजरना पड़ता है. तब वह मनुष्य तक प्राकृतिक रूप से पहुंचता है.

ये भी पढ़ें- COVID-19: एक ही दिन में कोरोना संक्रमण के 126 नए मामले आए सामने, कुल आंकड़ा पहुंचा 3,940 पर

उन्होंने बताया कि इनमें से कुछ विषाणु लाभदायक है तो कुछ हानिकारक भी. हानिकारक विषाणु या जीवाणुओं के लिए प्रकृति ने पोषण हेतु संसाधन की भरमार कर रखी है. इसलिए इनका सीधे ही मनुष्य में प्रवेश पाना अत्यंत कठिन होता है. जब तक की हानिकारक विषाणु/जीवाणु के संसाधन को मनुष्य नहीं छेड़ता तब तक इन संक्रमणों का मनुष्य में प्रवेश पाना संभव नहीं है.

ऐसे में डॉक्टर मेहरा ने दावा किया कि कोरोना संक्रमण मानवीय कृत्यों का परिणाम है, ना कि कोई प्राकृतिक आपदा. ऐसे में चमगादड़ को कोरोना संक्रमण के लिए खलनायक के रूप में प्रदर्शित करना मनुष्य की ओर से स्वयं की चूक पर पर्दा डालने जैसा ही है.

चमगादड़ से मनुष्य को कई लाभ

डॉ. मेहरा ने बताया कि प्रकृति ने सभी जीवों को एक भूमिका दी है और वन्यप्राणी मनुष्य को कई बीमारियों से सुरक्षा देते हैं. चमगादड़ के कारण मनुष्य को कई लाभ होते हैं. चमगादड़ जीव परागण में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है और इसी के कारण प्रकृति में स्थित अनेक पादप प्रजातियां पल्लवित हो रही हैं. ऐसे में चमगादड़ को खलनायक नहीं मानते हुए इसके संरक्षण पर ध्यान देना चाहिए.

ये भी पढ़ें- आत्मविश्वास और पॉजिटिविटी को हथियार बनाकर इस वॉरियर ने जीत ली कोरोना से जंग

सॉर्स और मर्स संक्रमण भी कोरोना का स्वरूप

डॉक्टर मेहरा ने बताया कि वर्ष 2002 में सॉर्स कोव-1 नामक संक्रमण से कई देशों में महामारी फैली थी. इस महामारी ने धीमी गति से अनेक देशों में 8 हजार से अधिक लोगों को संक्रमित किया था. सॉर्स कोव-1, कोरोना वायरस का ही एक प्रकार है. इसी प्रकार वर्ष 2012 में मर्स (मिडल ईस्ट रेस्पिरेट्री सिंड्रोम) नामक संक्रमण ने कई मध्य पूर्वी अरेबियन देशों में महामारी को जन्म दिया था. यह भी कोरोना वायरस का ही एक प्रकार है.

चमगादड़ों की प्रजाती

  • चमगादड़ उड़ने वाला एकमात्र स्तनधारी जीव है.
  • विश्व भर में चमगादड़ों की 1411 प्रजातियां, भारत में 128 और राजस्थान में 25 प्रजातियां पाई जाती हैं.
  • चमगादड़ फल, फूलों का नेक्टर और कीट खाते हैं.
  • कीट खाने वाली इसकी प्रजातियां एक रात में 1 हजार से अधिक मच्छर खाती हैं और मनुष्यों को इनसे होने वाली बीमारी से बचाती हैं.

ये भी पढ़ें- SPECIAL: यहां पक्षियों के लिए बनाई गई है 9 मंजिला इमारत, 'फ्लैट' में रहते हैं 900 से ज्यादा परिंदे

वन विभाग ने जारी की एडवाइजरी

विश्वभर में कोरोना संक्रमण फैलने की वजह चमगादड़ को माना जा रहा है. कई स्थानों से लोगों की ओर से चमगादड़ को भगाने की भी खबरें आ रही हैं. केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान के डीएफओ मोहित गुप्ता ने बताया कि इसके चलते वन विभाग ने समस्त संबंधित अधिकारियों को आमजन को चमगादड़ के प्रति जागरूक करने के निर्देश दिए हैं. साथ ही यदि कोई व्यक्ति चमगादड़ को नुकसान पहुंचाता है, तो नियमानुसार उसके खिलाफ कार्रवाई करने के निर्देश भी हैं.

भरतपुर. पूरा विश्व कोरोना संक्रमण से जूझ रहा है. ऐसे में चमगादड़ को कोरोना संक्रमण का जिम्मेदार मानते हुए उसे खलनायक के रूप में देखा जा रहा है. लेकिन एक पक्षी विज्ञानी का दावा है कि कोरोना संक्रमण के लिए चमगादड़ जिम्मेदार नहीं है. बल्कि इसके लिए खुद मनुष्य ही जिम्मेदार हैं.

भरतपुर निवासी देश के जाने-माने पक्षी विज्ञानी और राजपूताना सोसाइटी ऑफ नेचुरल हिस्ट्री के संस्थापक डॉ. सत्य प्रकाश मेहरा ने यह दावा अपने शोध 'वन्यजीव, कोरोना विषाणु के विभिन्न प्रकारों एवं इसके मानव पर प्रभाव का समीक्षात्मक विश्लेषण' के आधार पर किया है. डॉ. मेहरा ने अपने शोध से संबंधित कई महत्वपूर्ण जानकारियां ईटीवी भारत के साथ साझा की.

चमगादड़ और कोरोना का नहीं है कनेक्शन

डॉ. मेहरा ने अपने शोध के आधार पर बताया कि संपूर्ण प्रकृति में अनेक प्रकार के विषाणु और जीवाणुओं की उपस्थिति है. वन्य प्राणी वायरस को अपने भीतर रखते हुए उसे फैलने से रोकते हैं. वन्य प्राणियों के किसी भी प्रकार से मनुष्य के सीधे संपर्क में आने पर भी वायरस की आक्रामकता नहीं होती. क्योंकि यह वन्य प्राणी से सीधे मनुष्य में पहुंच ही नहीं सकता. इसे कई चक्रों के माध्यम से गुजरना पड़ता है. तब वह मनुष्य तक प्राकृतिक रूप से पहुंचता है.

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उन्होंने बताया कि इनमें से कुछ विषाणु लाभदायक है तो कुछ हानिकारक भी. हानिकारक विषाणु या जीवाणुओं के लिए प्रकृति ने पोषण हेतु संसाधन की भरमार कर रखी है. इसलिए इनका सीधे ही मनुष्य में प्रवेश पाना अत्यंत कठिन होता है. जब तक की हानिकारक विषाणु/जीवाणु के संसाधन को मनुष्य नहीं छेड़ता तब तक इन संक्रमणों का मनुष्य में प्रवेश पाना संभव नहीं है.

ऐसे में डॉक्टर मेहरा ने दावा किया कि कोरोना संक्रमण मानवीय कृत्यों का परिणाम है, ना कि कोई प्राकृतिक आपदा. ऐसे में चमगादड़ को कोरोना संक्रमण के लिए खलनायक के रूप में प्रदर्शित करना मनुष्य की ओर से स्वयं की चूक पर पर्दा डालने जैसा ही है.

चमगादड़ से मनुष्य को कई लाभ

डॉ. मेहरा ने बताया कि प्रकृति ने सभी जीवों को एक भूमिका दी है और वन्यप्राणी मनुष्य को कई बीमारियों से सुरक्षा देते हैं. चमगादड़ के कारण मनुष्य को कई लाभ होते हैं. चमगादड़ जीव परागण में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है और इसी के कारण प्रकृति में स्थित अनेक पादप प्रजातियां पल्लवित हो रही हैं. ऐसे में चमगादड़ को खलनायक नहीं मानते हुए इसके संरक्षण पर ध्यान देना चाहिए.

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सॉर्स और मर्स संक्रमण भी कोरोना का स्वरूप

डॉक्टर मेहरा ने बताया कि वर्ष 2002 में सॉर्स कोव-1 नामक संक्रमण से कई देशों में महामारी फैली थी. इस महामारी ने धीमी गति से अनेक देशों में 8 हजार से अधिक लोगों को संक्रमित किया था. सॉर्स कोव-1, कोरोना वायरस का ही एक प्रकार है. इसी प्रकार वर्ष 2012 में मर्स (मिडल ईस्ट रेस्पिरेट्री सिंड्रोम) नामक संक्रमण ने कई मध्य पूर्वी अरेबियन देशों में महामारी को जन्म दिया था. यह भी कोरोना वायरस का ही एक प्रकार है.

चमगादड़ों की प्रजाती

  • चमगादड़ उड़ने वाला एकमात्र स्तनधारी जीव है.
  • विश्व भर में चमगादड़ों की 1411 प्रजातियां, भारत में 128 और राजस्थान में 25 प्रजातियां पाई जाती हैं.
  • चमगादड़ फल, फूलों का नेक्टर और कीट खाते हैं.
  • कीट खाने वाली इसकी प्रजातियां एक रात में 1 हजार से अधिक मच्छर खाती हैं और मनुष्यों को इनसे होने वाली बीमारी से बचाती हैं.

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वन विभाग ने जारी की एडवाइजरी

विश्वभर में कोरोना संक्रमण फैलने की वजह चमगादड़ को माना जा रहा है. कई स्थानों से लोगों की ओर से चमगादड़ को भगाने की भी खबरें आ रही हैं. केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान के डीएफओ मोहित गुप्ता ने बताया कि इसके चलते वन विभाग ने समस्त संबंधित अधिकारियों को आमजन को चमगादड़ के प्रति जागरूक करने के निर्देश दिए हैं. साथ ही यदि कोई व्यक्ति चमगादड़ को नुकसान पहुंचाता है, तो नियमानुसार उसके खिलाफ कार्रवाई करने के निर्देश भी हैं.

Last Updated : May 12, 2020, 9:39 AM IST
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